फिल्म किल को क्रिटिक से तारीफ़ तो मिली पर दर्शकों को पच नहीं पाई. अपने पहले हफ्ते में फिल्म औंधे मुंह गिर गई है.

बौलीवुड में हौलीवुड और कोरियाई फिल्मों की नकल करते हुए हिंसा प्रधान फिल्मों का निर्माण जितनी तेजी से बढ़ा है. उतनी ही तेजी से दर्शकों ने उन सभी हिंसा प्रधान फिल्मों को नकारना शुरू कर दिया है, जिस में कहानी और हिंसा के औचित्य की बात न हो. इस के बावजूद फिल्मकार सुधरने को तैयार नहीं हैं.

पिछले लंबे समय से लगातार असफलता का दंश झेल रहे फिल्म निर्माता करण जोहर ने अपनी सोच व कार्यशैली को बदलते हुए एक अति हिंसा प्रधान फिल्म ‘किल’ का निर्माण किया, जिसे टोरंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में काफी पसंद किया गया. राघव जुयाल, लक्ष्य लालानी, अभिषेक चौहाण और तान्या मनकाटा के अभिनय से सजी करण जोहर निर्मित तथा निखिल नागेश भट निर्देशित फिल्म ‘किल’ जुलाई माह के पहले सप्ताह, पांच जुलाई को बिना किसी प्रचार के सिनेमाघरों में पहुंची.

फिल्म देख कर अहसास होता है कि इस फिल्म की लागत काफी है, पर निर्माता अपनी इस फिल्म की लागत बताने को तैयार नहीं हैं. 5 जुलाई को सिनेमाघरों में पहुंचते ही पहले दिन ‘किल’ बौक्स औफिस पर महज सवा करोड़ रूपए ही कमा सकी और पूरे सप्ताह में यह फिल्म 11 करोड़ 89 लाख रूपए ही कमा पाई. इस में से निर्माता की जेब में केवल साढ़े चार करोड़ रूपए ही जाएंगे. इस तरह यह फिल्म बौक्स औफिस पर पूर्णतः डिजास्टर हो चुकी है और इस की मूल वजह यह है कि फिल्मकार ने फिल्म में हिंसा और खूनखराबा तो बहुत भर दिया, मगर कहानी पर ध्यान नहीं दिया.

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