पूरी दुनिया में बाघ लुप्त होती प्रजाति में शुमार है. देश में सन 1900 में एक लाख बाघ थे, परंतु 2018 तक केवल 2800 बाघ रह गए हैं. हाल में बाघिन अवनि (टी1) को शार्प शूटर असगर अली के पुत्र नवाब शफत अली ने महाराष्ट्र के यवतमाल स्थित बोराटी के जंगल में गोली मार दिए जाने का मामला सुर्खियों में है. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी समेत देश के वन्य प्राणियों को संरक्षण तथा सुरक्षा से जुड़े संगठनों ने इस हत्या पर गहरी नाराजगी जताई है. ऐसे में जब यह मामला राजनीतिक रूप से गर्म है, सेंसर बोर्ड ने बाघ के शिकार कथानक वाली लेखक निर्देशक रवि बुले की फिल्म ‘आखेट’ को हरी झंडी दे दी है.
मुंबई में रहने वाले फिल्म पत्रकार रवि बुले की यह पहली फिल्म है. ‘आखेट’ एक पुराने रसूसदार-रईस परिवार के व्यक्ति, नेपाल सिंह की कहानी है, जिसके अमीर पुर्वजों ने सैकड़ों बाघों का शिकार किया था. नेपाल सिंह को दुख है कि शिकारियों के खानदान में पैदा होने के बाजवूद वह आज तक बाघ का शिकार नहीं कर पाया. अतः वह एक दिन बाघ के शिकार का फैसला करते हुए जंगल को निकल पड़ता है. फिल्म का निर्माण आशुतोष पाठक ने किया है.
आखेट की शूटिंग इस साल मार्च में झारखंड के पलामू स्थित घने जंगलों में की गई. रवि बुले ने बताया कि ‘आखेट’ बाघ के शिकार और इसके पेशे से जुड़े लोगों की जिंदगी के रहस्यों से पर्दे उठाती है. यह उन लोगों की मानसिकता को भी सामने लाती है जो शिकार को खेल समझते हैं. उन्होंने कहा कि फिल्म बाघ से जुड़े कई रोचक तथ्यों को सामने लाने के साथ अंततः एक सकारात्मक संदेश देती है.
क्या फिल्म में बाघ का शिकार दिखाया गया है? इस सवाल का जवाब देते हुए रवि ने बताया कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रदर्शन की अनुमति दे दी है और इस सवाल का जवाब फिल्म देखकर ही मिलेगा. रवि बुले ने कहा कि दर्शकों को यह फिल्म जंगल, वनस्पति और बाघ के साथ मनुष्य के रिश्ते को नए नजरिये से देखना सिखाएगी. एपी मूव्हीटोन्स बैनर तले बनी फिल्म ‘आखेट’ में आशुतोष पाठक, नरोत्तम बेन और तनिमा भट्टाचार्य मुख्य भूमिका में हैं. संगीत डा. विजय कपूर का है और गीत डा. अनुपम ओझा ने लिखे हैं. यह फिल्म कोलकाता में रहने वाले हिंदी के चर्चित युवा लेखक कुणाल सिंह की कहानी ‘आखेट’ पर आधारित है.