फिल्म की कहानी शुरू होती है. जेल में एक इंसान चम्मच को दीवार पर या अपनी जंजीर पर खुरचता नजर आता है, जिसे देखकर दो पुलिस वाले आपस में बातें करते है, फिर कहानी फ्लैशबैक में शुरू होती है.

कहानी बनारस की है, जहां काशी के एक घाट पर होली का त्यौहार मनाया जा रहा है. जब एक स्थानीय गुंडा बबीना (क्रांति प्रकाश झा) लखनऊ से आयी पत्रकार देविना (ऐश्वर्या दीवान) को छेड़ता है, तो घाट पर डोम का काम करने वाले काशी (शर्मन जोशी) उस गुंडे से देविना को बचाता है. फिर देविना के कहने पर काशी उसे अपने घर ले जाता है और अपने बूढे पिता व माता के अलावा युवा बहन गंगा (प्रियंका सिंह) से मिलाता है.

दूसरे दिन उसे पूरा बनारस शहर घुमाता है, रात में देविना उसे अपने साथ रात्रि भोज के लिए आमंत्रित करती है, जहां नाटकीय ढंग से दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि उनके बीच शारीरिक संबंध बन जाते हैं. फिर पता चलता है कि गंगा गायब है.

देविना व काशी उस कालेज में जाते हैं, जहां गंगा पढ़ती है. पर कौलेज की प्रिंसिपल कहती है कि गंगा चौधरी उनके कौलेज में नहीं पढ़ती है. उसके बाद देविना एक लड़की श्रुति को काशी से मिलवाती है, जो कि कहती है कि वह गंगा के साथ कौलेज में पढ़ती है और गंगा का शहर के उद्योगपति व राजनेता पांडे (गोविंद नामदेव) के बेटे (पारितोष त्रिपाठी) के साथ प्रेम संबंध थे.

पिता की मर्जी के खिलाफ गंगा से उसका प्यार चलता रहा और गंगा गर्भवती हो गयी थी. उसके बाद से गंगा की श्रुति से मुलाकात नहीं हुई. अब काशी अपनी बहन की तलाश में पांडे के घर जाता है. फिर मसूरी जाकर पांडे के बेटे की हत्या कर देता है. अदालत में कारवाही के दौरान सभी गवाह यही कहते हैं कि काशी की बहन गंगा व उसके माता पिता तो बचपन में ही मारे गए थे.

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