पैसा, धोखा, लालच, वासना, क्रोध, ईष्या/जलन, आलस्य व अहंकार इन इंसानी स्वभावों के साथ शेयर बाजार के उतार चढ़ाव व उससे जुड़े इंसानों की जिंदगी में झांकने वाली रोचक कहानी है-फिल्म ‘‘बाजार’’. जो कि हर वर्ग के दर्शक को पसंद आएगी. फिल्म में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि सपना और महत्वाकांक्षा बहुत अलग चीज हैं. ‘‘बाजार’’ में इस सवाल को बड़ी बारीकी से उठाया गया है कि पैसा कमाने के लिए या बड़ा आदमी बनने के लिए आप किस हद तक जाएंगे, कितनी लाइन क्रौस करेंगे?

फिल्म की कहानी के केंद्र में चार मुख्य पात्र हैं. शकुन कोठारी (सैफ अली खान) व उनकी पत्नी मंदिरा कोठारी (चित्रांगदा सिंह) तथा रिजवान अहमद (रोहन मेहरा) और उनकी प्रेमिका व सहकर्मी प्रिया रौय (राधिका आप्टे). सूरत में आंगड़िया के यहां नौकरी से शुरुआत कर शकुन कोठारी मुंबई में डायमंड मार्केट के साथ ही शेयर बाजार के राजा बने हैं. पचास करोड़ की कंपनी को उन्होंने पांच हजार करोड़ में बदल दिया. अब वह 10 हजार करोड़ के ऊपर का गेम खेल रहे हैं. वह ऐसे उद्योगपति हैं, जो पैसे के लिए कुछ भी करेंगे.

शेयर बाजार से जुड़े लोग उन्हे धोखेबाज इंसान मानते हैं, जबकि खुद शकुन का मानना है कि वह तो सिर्फ व्यापार कर रहा है. पर उन्हें अपनी बेटियों के भविष्य का डर जरूर सताता है. शकुन कोठारी जिस उद्योगपति के यहां नौकरी करते थे, उसी की बेटी मंदिरा से शादी की है. शकुन कोठारी व मंदिरा समाज की नजर में पति पत्नी हैं, मगर इनके बीच काफी कड़वाहट है.

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