2002 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘‘कंपनी’’ से अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले विवेक ओबेराय ने साथिया’, ‘ओमकारा’, ‘शूटआउट ऐट लोखंडवाला’, ‘युवा’, ‘मस्ती’ सहित कई फिल्में कर चुके हैं. उनके करियर पर गौर किया जाए, तो उन्होंने गैंगस्टर, लवर ब्वॉय के साथ कॉमेडी कर हर तरह के रंग अपने अभिनय से परदे पर दिखाए हैं. फिलहाल उनकी नई फिल्म ‘‘बैंक चोर’’ 16 जून को प्रदर्शित होने वाली है.

विवेक ओबेराय महज अभिनेता नहीं हैं. वह बिजनेसमैन व समाज सेवक भी हैं. वह ‘एंटी टोबैको’ के ब्रांड एम्बेसेडर भी हैं. वह भवन निर्माता भी हैं. उन्होंने हाल ही में सैनिकों के परिवारों को 25 फ्लैट उपहार में दिए हैं.

आप बहुत कम फिल्में करने लगे हैं?

जी हां. 2013 से पहले मैं हर साल कम से कम पांच फिल्में कर रहा था. यह वह वक्त था, जब मैं फिल्म की शूटिंग करता था और बीच बीच में बिजनेस व चैरिटी की मीटिंग करता था. बहुत तनाव हो रहा था. परिवार व अपने नवजात बेटे विवान को भी समय नहीं दे पा रहा था. इसलिए फिर निर्णय लिया कि हमें कैसे क्या करना है. समय के साथ इंसान को खुद विश्लेषण करना चाहिए कि हमें क्या चाहिए, कितना चाहिए. देखिए, इंसानी चाहत की कोई सीमा नहीं पर जरुरत तो तय कर सकते हैं. तब हमने तय किया कि हर साल कम मगर बेहतरीन फिल्में की जाएं.

फिल्म ‘‘बैंक चोर’’ को लेकर क्या कहेंगे?

‘‘वाय एफ’’ के बैनर तले बनी बेहतरीन ह्यूमर वाली फिल्म है, जिसमें मैं एक पुलिस अफसर अमजद खान के किरदार में हूं. फिल्म की कहानी के केंद्र में बैंक चोरी है. चंपक नामक मराठी युवक दो लड़कों लेकर बैंक के अंदर चोरी करने जाता है, क्योंकि उसे अपनी मां के इलाज के लिए पैसे की सख्त जरुरत है. यह लार्जर दैन लाइफ फिल्म है. पूरी तरह से मध्यम वर्गीय फिल्म है. एक अच्छी फिल्म और अपने दोस्त रितेश देशमुख के साथ काम करने का अवसर था, इसलिए मैंने की है. फिल्म बनी भी अच्छी है.

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