भोजपुरी गाने केवल मनोरंजन ही नहीं करते हैं, बल्कि समाज और राजनीति की घटनाओं पर वार भी करते हैं. ‘नोटबंदी’, ‘नीतीश कुमार के महागठबंधन के टूटने’, ‘पतंजलि के सामान बेचने’ जैसी घटनाओं पर भोजपुरी में तुरंत गाने रैकौर्ड हो कर म्यूजिक बाजार में आ जाते हैं. ‘शादीब्याह’, ‘प्रेमविवाह’, ‘सुहागरात’ जैसे मुद्दों पर लिखे गए भोजपुरी गाने सब से ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं.

अब फिल्मों के बराबर ही भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री बन गई है. पहले जहां गायकों को कैसेट कंपनियों के आगेपीछे चक्कर लगाने पड़ते थे, वहीं अब वे अपने गाने का आडियोवीडियो खुद ही बना कर यूट्यूब पर पोस्ट कर देते हैं.

भोजपुरी गानों में अपना कैरियर बनाने वाले ज्यादातर लड़केलड़कियां गायकी की कोई बड़ी ट्रेनिंग ले कर नहीं आते हैं. गांवों और छोटे शहरों में रहने वाले नौजवानों के लिए भोजपुरी म्यूजिक  ने कैरियर बनाने के नए दरवाजे खोल दिए हैं.

भोजपुरी में गाने वाली लड़कियों की तादाद सब से ज्यादा है. कल्पना और इंदू सोनाली जैसी लड़कियों ने भोजपुरी फिल्मों में गाने गा कर धूम मचाई है.

भोजपुरी गानों से चमकने वाली लड़कियों में खुशबू उत्तम, निशा पांडेय,  अमृता दीक्षित, मोहिनी पांडेय, खुशबू तिवारी, पिंकी सिंह, निशा दुबे, ब्यूटी पांडेय, आर्या नंदिनी, अलका सिंह पहाडि़या, ज्योति गुप्ता और सोना सिंह जैसे तमाम नाम हैं.

इन लड़कियों में सब से अलग बात यह है कि  ये लोकगीत से ले कर हर तरह के गाने गाती हैं. ये लड़कियां बड़े आराम से ‘राजा छोट बा सामान धर के बड़ा करा’ जैसे गाने गाती हैं. ब्यूटी पांडेय का गाया यह गाना खूब सुना जा रहा है.

बात केवल ब्यूटी पांडेय की नहीं है, बल्कि और भी लड़कियां खूब नाम कमा रही हैं. खुशबू उत्तम का छोटू छलिया के साथ गाया गाना ‘धीरेधीरे डालो न अबहि जगइयां छोट बा’ लोगों में खूब पसंद किया जा रहा है.

इसी तरह खुशबू तिवारी का गाना ‘भतरू से पहले दे ले बानी’, पिंकी सिंह का गाना ‘राजा भंड़ुया सुताला

बजत खटिया’ और मोहिनी पांडेय के विवाह गीतों में गाली गीत ‘रहरी की तीन पत्ता तीनों कचनार जी, अगुवा की तीन बहिनियां तीनों पक्की छिनार जी’ खूब बज रहा है.

भोजपुरी फिल्मों में हीरो का रोल निभाने वाले पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, अरविंद अकेला, चिंतामणि सिंह, रितेश पांडेय, नीलकमल सिंह, प्रमोद प्रेमी, गुंजन सिंह, गोलू गोल्ड, समर सिंह, आलम राज, दीपक दिलदार और आनंद राज जैसे गायक आज नौजवान दिलों की धड़कन बन गए हैं.

बदलते गांव की झलक

गायक चिंतामणि सिंह कहते हैं, ‘‘भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में रोज नया हुनर आ रहा है. ऐसे में यहां पर गायकों के बीच कंपीटिशन बढ़ता जा रहा है. जिन गायकों को फिल्मों में गाने को नहीं मिल रहा है, वे अपने सुर की बदौलत अपना काम कर रहे हैं.

‘‘भोजपुरी गानों में आज की जिंदगी की झलक होती है, जिस के चलते लोग इन को खूब पसंद करते हैं. जो गायक समय के हिसाब से गाने देता है वही हिट होता है.’’

चिंतामणि सिंह का गाना ‘टोपेटोपे चुअता’ पहली बार में ही लोगों की पसंद बन गया है.

आज गांवदेहात और छोटे शहरों में भी कपड़ों की पसंद के लिए औनलाइन शौपिंग का क्रेज बढ़ रहा है.

खेसारी लाल यादव ने अपने गाने ‘यूट्यूब पर देखले बानी वीडियो ब्लाउज रेडीमेड चाही’ में इस बात को समझाने की कोशिश की गई है.

इन गानों में गांव में प्रधान की दबंगई के साथ महिला प्रधान के बनने पर आए बदलाव को दिखाया जाता है. यह भी कि किस तरह से भौजी बन कर घर में रहने वाली औरत अब थानाकचहरी जाती है.

एक समय सारे गानों के केंद्र में सिपाही और दारोगा होते थे पर अब स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर और प्रधान भी गानों के केंद्र में आने लगे हैं.

पहले ये गाने केवल देवरभाभी, जीजासाली के रंगीन किस्सों पर ही बनते थे, पर अब शादी से पहले और शादी के बाद के संबंधों पर भी तैयार होते हैं.

सैक्स को ले कर गांवों में भले ही औरतों को कुछ कहने की आजादी न हो, पर भोजपुरी गानों में सैक्स सुख के लिए परेशान औरत की दास्तान सुनाने की हिम्मत दिखाई जाती है.

स्टूडियो की भरमार

भोजपुरी से ज्यादा खुलापन पंजाबी, गुजराती और हिंदी के गानों में है, पर जितनी बुराई भोजपुरी गानों के खुलेपन की होती है इतनी किसी और की नहीं होती. इस के बावजूद भोजपुरी गानों के आलोचकों से ज्यादा इन को पसंद करने वाले हैं. यही वजह है कि यूट्यूब पर सब से ज्यादा डाउनलोड होने वाले गानों में भोजपुरी गाने हैं.

भोजपुरी फिल्मों के बराबर ही भोजपुरी म्यूजिक का उद्योग खड़ा हो गया है. कुछ समय पहले तक तो गाने रैकौर्ड कराने और उन का वीडियो बनवाने के लिए लोगों को दिल्ली, मुंबई और वाराणसी के चक्कर लगाने पड़ते थे, पर अब ऐसे वीडियो पटना, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज और रांची में ही तैयार हो जाते हैं.

झारखंड और बिहार के शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवकसबों तक में गाने के डाउनलोड करने वाली दुकानें खुल गई हैं. गाने डाउनलोड करने की जितनी दुकानें बिहार और झारखंड में खुली हैं उतनी दुकानें किसी और प्रदेश में नहीं मिलेंगी.

35 से 40 रुपए में एक जीबी वाला मैमोरी कार्ड गानों से डाउनलोड किया जा रहा है. केवल पटना शहर में आडियो और वीडियो अलबम बनाने वाले तकरीबन 50 से ज्यादा स्टूडियो हैं.

हर स्टूडियो में एक महीने में 5 से 6 अलबम तैयार होते हैं. एक अलबम में तकरीबन 8 गाने होते हैं. एक आडियोवीडियो 50,000 से ले कर 80,000 हजार रुपए तक में तैयार हो जाता है.

पटना के अलावा हाजीपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और रांची में भी ऐसे वीडियो अलबम बनते हैं. बिहार में ऐसे बढ़ते रोजगार को देखते हुए मुंबई व दिल्ली जाने वाले यहां के रहने वाले लोग वापस अपने शहरों को लौट आए हैं.

बेहूदगी का दाग

जिस तेजी से भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है, उसी तेजी से इस के गानों पर बेहूदा होने का दाग भी लग रहा है. मजेदार बात यह भी है कि हर कोई दूसरे पर बेहूदगी फैलाने का जिम्मेदार मान रहा है. पर सचाई यह है कि भोजपुरी गानों पर इस तरह के आरोप पुराने समय से ही लगते आ रहे हैं. इन गानों को सुनने वालों का एक बड़ा तबका है.

भोजपुरी फिल्मों की कामयाबी का फार्मूला भी ऐसे गाने ही होते हैं. हर फिल्म में 7 से 8 गाने होते हैं, इन में 1 से 2 आइटम गीत होते हैं. ठीक इसी तरह से वीडियो अलबम में भी बनते हैं. वैसे तो एक अलबम में हर तरह के गाने होते हैं, पर हिट वही होते हैं जो बेहूदा कहे जाते हैं.

यूट्यूब पर ऐसे भोजपुरी गाने ‘हौट सौंग’ के नाम से जाने जाते हैं. इन के नाम भी इसी तरह से रखे जाते हैं. यही नहीं, केला और बैगन तक का इस्तेमाल कर के शब्दों से बेहूदगी फैलाने का पूरा इंतजाम किया जाता है.

वीडियो अलबम के ‘गुदगुदी होता ए राजाजी’, ‘सील टूट जाई’, ‘खुलल इंटरनैट’, ‘डिस्कवरी देखा ए देवरू’, ‘दरदिया उठे ये ननदी’, ‘बाइलेंस ब्लाउज के’, ‘लहंगा में धइले बांटी सर्दी’, ‘जोवन चूसे देवरा’, ‘हमार लहंगा के अंदर वाईफाई बाटे’ जैसे नाम रखे जाते हैं.

गायिका खुशबू उत्तम कहती हैं, ‘‘गाना लिखने वाले ऐसे गानों के बीचबीच में कुछ शब्द डाल देते हैं. जब गाने वाला एतराज करता है तो वह लिखने वाला कहता है कि इसी शब्द में तो गाने का पूरा रस है.’’

दरअसल, ऐसा म्यूजिक बनाने वाले लोग गानों को जल्दी बाजार तक पहुंचा देते हैं जिन को लोग चटकारे ले कर सुनते हैं. लेखक और गायक को फायदा उसी गाने से होता है जिसे लोग मजे ले कर सुनते हैं. केवल अकेले में ही नहीं बल्कि शादीब्याह, बरात और ऐसे तमाम दूसरे मौकों पर भी ऐसे गाने खूब बजते हैं, जिन पर लोग डांस भी करते हैं.

अब ज्यादातर लोग अपने मोबाइल फोन में लोड कर के ऐसे गानों को सुनते हैं. कई ऐसे शब्द होते हैं जो भोजपुरी में खराब लगते हैं पर असल में उन का मतलब ऐसा नहीं होता है. आम भाषा में पति शब्द का प्रयोग किया जाता है, पर जब गाने में पति को भतार कहा जाता है तो यह बुरा लगता है.

जातिगत रिश्तों का जोर

जाति और धर्म के आधार पर भी गायक खूब गाने लिखते हैं. बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यादव और भूमिहार बिरादरी के लोग ज्यादा हैं. ऐसे में इन जातियों को ले कर गाने ज्यादा बनने लगे हैं.

आलम राज का गाना ‘अहिरन की जौन हाउ’ और ‘यादवजी के बेटा पीछे पड़ गईल’ जैसे अनेक गाने हैं. पहले इन गानों में ऊंची जातियों में ठाकुर और पंडितों का जोर ज्यादा होता था. गानों के किरदार उसी तरह के बनते थे. फिल्मों की ही तरह गानों में भी दबंगई खूब पसंद की जाती है.

दबंगई के लिहाज से मशहूर जिलों के नाम पर गाने भी बनते हैं. आरा, आजमगढ़ और बलिया के नाम पर गाने खूब बनते हैं.

जानकार लोग बताते हैं कि पहले गायकों में ऊंची जाति के ही लोग आते थे, पर अब पिछड़ी और दलित जातियों के लोग भी गायकी में किसी से पीछे नहीं रहते हैं, जिस से वे अपने समाज पर ज्यादा लिखते हैं.

डांसर का बढ़ा रोल

गानों में आडियो से ज्यादा वीडियो का जोर रहता है. ऐसे में डांसर का रोल अहम हो जाता है. कई गाने आडियो में उतने पसंद नहीं किए जाते जितना वीडियो में पसंद किए जाते हैं. हर गायक को लगता है कि वह एक बार हिट हो जाए तो भोजपुरी गानों के सहारे उस को काम मिलने लगेगा.

वीडियो बनने के बाद ऐसे गाने स्टेज शो पर भी पसंद किए जाते हैं. ऐसे शो 50,000 से 5 लाख रुपए तक में होते हैं.

गानों से केवल गायक ही नहीं वीडियो डांस में भी कैरियर बन गया है. चांदनी सिंह, डिंपल सिंह, प्रिया शर्मा और प्रियंका ऐसे नाम हैं जो डांस के चलते ही रातोंरात चर्चा में आ गए.

निशा पांडेय का नाम तेजी से स्टेज डांसर के रूप में उभरा है. वे भोजपुरी की सपना चौधरी कही जाती हैं. पहले के मुकाबले गायकगायिका बदल गए हैं. पहले के गायक गांव तक सिमटे रहते थे, पर अब वे अपने गानों के ट्रैक रैकौर्ड कर के खुद ही रिलीज कर रहे हैं, जिस से उन को ज्यादा से ज्यादा लोग जानने लगे हैं.

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