Haq Movie 2025 Review : इंदौर की शाहबानो के संघर्ष ने मुसलिम महिलाओं के अधिकारों पर एक नई बहस छेड़ दी थी. तीन तलाक प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उस ने व्यक्गित न्याय की मांग की और पूरे समुदाय के लिए मिसाल बन गई. 33 साल बाद 2012 में जा कर मोदी सरकार को होश आया और ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित करने वाला कानून लागू हुआ. अब इस संघर्ष को बड़े परदे पर दिखाया गया है फिल्म ‘हक’ में.

‘हक’ को जिग्ना वोरा की किताब ‘बानो भारत की बेटी’ से एडौप्ट किया गया है. फिल्म एक कोर्टरूम ड्रामा है जो शाहबानो मामले से प्रेरित है, जो एक महिला के आत्मसम्मान और न्याय के लिए संघर्ष को दर्शाती है. कहानी 1980-90 के समय की है. उस वक्त देश में महिलाओं के अधिकारों और तलाक के कानूनों पर बहुत चर्चा चल रही थी. शाजिया (यामी गौतम) का मशहूर वकील पति अहमद खान (इमरान हाशमी) उसे तीन तलाक दे कर छोड़ देता है. वह इस के लिए धर्म का सहारा लेता है और कहता है कि मुसलिम समाज में तीन तलाक दे कर बीवी को छोड़ा जा सकता है. वह अपनी प्रेमिका सायरा (कृतिका), जिस का पति गुजर चुका है, से निकाह कर लेता है.

शाजिया अपने हक की बात करती है और गुजारे भत्ते के लिए अदालत जाती है. उस की लड़ाई अब सिर्फ पति से नहीं, पूरे समाज से है. कुछ अरसे तक गुजारे के लिए रुपए देने के बाद अहमद उसे खर्च देना बंद कर देता है. अदालत शाजिया के हक में फैसला सुनाती है. मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है. लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट भी शाजिया के हक में फैसला सुनाता है जो तमाम दूसरी मुसलिम महिलाओं की जिंदगी भी बदल देता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...