हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि नाम में क्या रखा है लेकिन दुनिया में हर शख्स इसी ‘नाम’ के पीछे जिंदगी भर भागता है. इसे हासिल करने के लिए एक से एक कई तरीके अपनाता है. नाम के लिए ऐसा ही कुछ काम 1973 में हुआ था.

यह किस्सा मशहूर स्क्रिप्ट राइटर जोड़ी सलीम और जावेद से जुड़ा है. जब फिल्म जंजीर बनी थी, जिसकी स्क्रिप्ट इन्हीं दोनों ने लिखी थी. उसकी रिलीज से पहले मुंबई भर में उसके पोस्टर्स लगवाए गए. अमिताभ बच्चन से लेकर जया और प्राण के उस पर चेहरे थे. फिल्म के डायरेक्टर प्रोडयूसर का नाम भी लिखा था. लेकिन स्क्रिप्ट राइटर जोड़ी का कहीं कोई जिक्र नहीं था.

दोनों ने दिन रात एक कर बड़ी मेहनत से फिल्म लिखी थी. वह कहानी को किसी हीरो से कम नहीं समझ रहे थे. ऐसे में जब उनकी फिल्म के पोस्टर पर नजर पड़ी, तो उन्हें इस बात से धक्का लगा. पोस्टर पर अपना नाम गायब देखकर दोनों के दिल में मानो खलबली सी मची थी. दोनों ने इस समस्या से निपटने का फैसला किया और एक तरीका निकाला.

दोनों ने एक पेंटर ढूंढा उसे पोस्टर दिखाया और कहा कि जहां भी यह दिखे इस पर सलीम जावेद लिख दो. रात वह पोस्टर खोज खोज कर सलीम और जावेद का नाम लिखता रहा. जुहू से लेकर ओपेरा हाउस तक जितने पोस्टर थे, उन पर हरी स्याही से दोनों के नाम लिखे थे. लेकिन हां पेंटर को यह पता नहीं था कि नाम कहां लिखे जाने हैं. सो जहां उसे समझ में आया उसने नाम लिख दिए. किसी पोस्टर पर अमिताभ के हाथ पर नाम लिखा मिला, तो कहीं रेखा के चेहरे पर स्क्रिप्ट राइटर जोड़ी का नाम लिखा था.

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