‘कृष-3’ कृष सीरीज का तीसरा भाग है, जिसे राकेश रोशन ने पिछले 2 भागों से आगे बढ़ाया है. फिल्म साइंस फिक्शन पर है जिस में खूब सारा ऐक्शन है, थ्रिल है. फिल्म के कई दृश्य बहुत ही रोमांचक हैं.

राकेश रोशन ने फिल्म बनाने में बहुत मेहनत की है. तकनीकी दृष्टि से फिल्म सुपरहिट है. स्पैशल इफैक्ट्स इतने बढि़या हैं कि अब हम कह सकते हैं कि बौलीवुड वाले हौलीवुड वालों से कम नहीं हैं.

‘कृष-3’ में ‘कृष’ की कहानी को आगे बढ़ाया गया है. ‘कृष’ में खतरनाक सिद्धार्थ आर्य को परास्त कर कृष अपने पिता रोहित मेहरा (रितिक रोशन) और पत्नी प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ रह रहा है. वह मुसीबत के पलों में कृष बन कर लोगों की मदद करता है. एक दिन शहर में एक वायरस लोगों की जान लेने लगता है. देखते ही देखते पूरा शहर वायरस की चपेट में आ जाता है.

यह वायरस एड्स या डेंगू के वायरस की तरह है पर प्रयोगशाला में बनाया गया है ताकि कुछ मिनटों में असर दिखा सके. इस वायरस को हमेशा व्हीलचेयर पर बैठे काल (विवेक ओबराय) और उस की सहयोगी म्यूटैंट काया (कंगना राणावत) ने फैलाया है. काल इस वायरस का तोड़ बेच कर करोड़ोंअरबों रुपए कमाना चाहता है. इस का तोड़ काल के अपने खून के वायरस में ही मौजूद है और कहीं नहीं.

कृष का वैज्ञानिक पिता रोहित कृष के डीएनए से इस वायरस का तोड़ निकाल लेता है. क्योंकि काल और कृष का जन्म एक ही डीएनए से हुआ था. दोनों एक तरह से भाई हैं.

काल को जब इस का पता चलता है तो वह प्रिया को किडनैप कर लेता है. इस के बाद उलझी हुई अविश्वसनीय कहानी है जिस में खूब घमासान होता है. काल कृष को मार डालता है परंतु रोहित मेहरा अपनी नई खोज, ‘सूर्य की किरणों से पुनर्जीवन’ से कृष को जीवनदान देता है, पर खुद उस प्रयोग में मर जाता है.

फिल्म की इस काल्पनिक कहानी में ‘कृष’ को बहुत शक्तिशाली सुपरहीरो दिखाया गया है. निर्देशक ने शक्तिशाली सुपरहीरो के साथसाथ एक शक्तिशाली विलेन की संरचना भी की है जो अधिकांश समय व्हीलचेयर पर ही बैठा रहता है.

फिल्म का निर्देशन अच्छा है, मगर कहानी वही पुरानी है यानी बुराई पर अच्छाई की जीत. पटकथा कमजोर पड़ गई है. फिल्म का कोई दृश्य दिल को छू नहीं पाता.

रितिक रोशन का काम अच्छा है. स्पैशल इफैक्ट्स और ऐनिमेशन के जरिए उसे हवा में उड़ते दिखाया गया है. वह उड़ते जहाज के न खुलने वाले पहियों को अपनी ताकत से खोल कर जहाज को सुरक्षित उतरने में मदद भी करता है. यह सुपरमैन, बैटमैन की तर्ज पर अनियत कहानी है, साइंस फिक्शन नहीं.

प्रियंका चोपड़ा की जोड़ी रितिक के साथ जमती है. कंगना राणावत का काम बहुत बढि़या है. उस ने अच्छे ऐक्शन किए हैं. विवेक ओबराय लकड़ी का पुतला नजर आता है. वह न आंखों से भाव प्रकट कर पाता है न चेहरे से.

फिल्म में दिखाए गए म्यूटैंट्स को लैब में बनते हुए दिखाया गया है. फिल्म का गीतसंगीत औसत है. एक गीत में कंगना राणावत बहुत सुंदर लगी है. एक अन्य गीत ‘रघुपति राघव राजाराम’ में रितिक ने जानेपहचाने स्टाइल में डांस किया है.

फिल्म को चाहे जो प्रचार मिला हो, देखना हो तो इसे रामलीला समझ कर देखें और मस्तिष्क को घर पर छोड़ कर जाएं.

 

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