रेटिंग: 2 स्टार

निर्माता : बोनी कपूर, अरुनव जौय सेनगुप्ता और आकाश चावला
लेखक : सायविन क्वाड्रस, अमन राय, आकाश चावला, अरुनव जौय सेनगुप्ता, अतुल शाही और रितेश शाह
निर्देशक : अमित रवींद्रनाथ शर्मा
कलाकार : अजय देवगन, प्रियामणि, गजराज राव और रुद्रनील घोष व अन्य
अवधि : 3 घंटे 2 मिनट

हमारे देश में इन दिनों क्रिकेट खेल की चर्चा होती रहती है. लोगों को तो यह भी नहीं पता है कि भारत में कभी फुटबौल के खेल का स्वर्णिम काल हुआ करता था. उसे ब्यूरोक्रेट्स की लाल फीताशाही, उन के स्वार्थ व क्षेत्रीयवाद के जहर ने चौपट कर दिया.

1962 में भारतीय फुटबौल टीम ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था. तब से 62 साल गुजर गए पर भारतीय फुटबौल टीम कुछ भी अर्जित नहीं कर पाई. यों तो फुटबौल खेल के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से ‘हिप हिप हुर्रे’, ‘गोल दे दनादन’, ‘झुंड’ जैसी कुछ फिल्में अतीत में बनी हैं मगर अफसोस कि किसी भी फिल्मकार ने इतिहास के दबेकुचले अध्याय को उधेड़ कर देश की जनता के सामने रखा हो.

फिल्मकार रवींद्रनाथ शर्मा के साहस को सलाम कि उन्होंने भारतीय फुटबौल टीम के कोच व हैदराबाद निवासी सैय्यद अब्दुल रहीम के जीवन व कृतित्व को फिल्म ‘मैदान’ से परदे पर उकेरा है, जिन्हें न इतिहास में जगह मिली है और न ही पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाता है.

हमें 1962 में घटित घटनाओं की विस्तृत जानकारी नहीं है, मगर वर्तमान समय के राजनीतिक माहौल के अनुसार फिल्म में पश्चिम बंगाल बनाम हैदराबाद का जामा पहना कर पश्चिम बंगाल को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास भी किया गया है. यह फिल्म करीबन 5 साल बाद सिनेमाघरों में 11 अप्रैल को रिलीज होगी.

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