Bollywood की अधिकतर फिल्में बौक्सऔफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

पिछले दोतीन वर्षों के अंतराल में बौलीवुड यानी कि हिंदी भाषा की एक भी फिल्म अपनी लागत या यों कहें कि अपनी लागत का 50 प्रतिशत भी बौक्सऔफिस पर नहीं जुटा पाई. पिछले 2 वर्षों के अंतराल में प्रदर्शित 80 प्रतिशत फिल्में अपनी लागत का 2 प्रतिशत भी बौक्सऔफिस से एकत्र नहीं कर पाईं. मजेदार आंकड़ा यह भी है कि केवल 2024 में तथाकथित राष्ट्रवादी सिनेमामेकरों ने 155 फिल्में बनाईं, इन में से एक भी फिल्म ऐसी नहीं रही जिस ने बौक्सऔफिस पर अपनी लागत का 2 प्रतिशत भी एकत्र किया हो. यानी कि पूरा नुकसान. इस के बावजूद इन फिल्ममेकरों के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है. ये गदगद हैं कि इन्होंने राष्ट्रभक्ति की, राष्ट्रवाद और हिंदू सनातन धर्म का परचम लहराया.

मतलब यह है कि हिंदी की फिल्म देखने के लिए दर्शक सिनेमाघर जाना ही नहीं चाहता. दर्शक को अच्छी कहानी व अच्छा मनोरंजन चाहिए. तभी तो तेलुगू व कन्नड़ भाषा की फिल्में हिंदी में डब हो कर अनापशनाप धन कमा रही हैं. फिर चाहे वह ‘केजीएफ 2’ हो या ‘कंतारा’ या ‘पुष्पा 2 : द रूल’ ही क्यों न हों.

लुभावनी स्कीम्स

पिछले 2 वर्षों में दशकों को सिनेमाघर के अंदर खींचने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते रहे हैं. दर्शकों को सिनेमाघर तक लाने के लिए ‘सिनेमा लवर्स डे’ के नाम पर एक दिन रखा गया, जिस दिन सभी मल्टीप्लैक्स में टिकट दर केवल 99 रुपए होती है. पहले साल में सिर्फ एक दिन के लिए तय किया गया था पर 2024 में तो दोतीन बार ‘सिनेमा लवर्स डे’ मनाया गया. लेकिन 99 रुपए के टिकट पर भी लोग खराब फिल्में देखने सिनेमाघर नहीं पहुंचे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...