Film Review : नाडियाडवाला की ‘हीरोपंती’ टाइगर श्रौफ की पहली फिल्म थी. इस के बाद 2016 में उसे ‘बागी’ का औफर मिला. इस फिल्म में उस की कोस्टार श्रद्धा कपूर थी. इस फिल्म ने एक अरब रुपए की कमाई की थी. 2018 में आई ‘बागी-2’ इस श्रृंखला की सब से सफल फिल्म मानी जाती है. टाइगर श्रौफ और उस के ऐक्शन दृश्यों को युवा खूब पसंद करते हैं. टाइगर को ऐक्शन हीरो स्थापित करने में ‘बागी’ सीरीज की चारों फिल्मों का बड़ा हाथ है.
जिन दर्शकों ने खूनखराबे वाली ‘एनिमल’ फिल्म देखी होगी उन्हें इस फिल्म में ऐक्शन और मारधाड़ वाले सीन ‘एनिमल’ से कौपी किए लगेंगे. निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने निर्देशन की जिम्मेदारी कन्नड़ फिल्मों के निर्देशक ए हर्षा को दी है, जो फिल्म को लाउड बनाने में यकीन करते हैं. ‘बागी-4’ भी बेहद लाउड है. टाइगर श्रौफ और संजय दत्त जब एकदूसरे से लड़ते हैं तो चिल्ला कर एकदूसरे की ओर दौड़ते हैं. दक्षिण भारतीय ऐक्शन फिल्मों का यही स्टाइल है. हमारे फिल्मकार मारधाड़ और खूनखराबे वाली ‘एनिमल’ और ‘किल’ जैसी फिल्में कब बनाना बंद करेंगे. इन फिल्मों से समाज में गहरा नकारात्मक असर पड़ता है.
लोगों को एकदूसरे को मारने की पड़ी रहती है. गुस्सा उन की नाक पर रहता है. ढूंढ़ने से बौलीवुड में सैकड़ों ऐसी कहानियां मिल जाएंगी जो न सिर्फ प्रेरणादायक हैं, युवाओं को सही राह पर ले जाने को भी तैयार हैं. कहानी रौनी (टाइगर श्रौफ) की है. वह नेवी का धाकड़ अफसर है, मगर एक ऐक्सिडैंट के बाद कोमा में चला जाता है. 7 महीने बाद वह कोमा से बाहर आता है तो अपने प्यार अलीशा (हरनाज संधू) को उस हादसे में खोने के गम से उबर नहीं पाता. डाक्टर से ले कर अलीशा के भाई (श्रेयस तलपड़े) उसे यकीन दिलाते हैं कि अलीशा नाम की कोई लड़की कभी थी ही नहीं. यह उस का सिर्फ वहम है.
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