Film Review : ‘हीर एक्सप्रैस’ में हलकाफुलका फैमिली ड्रामा है, जो जिंदगी की बड़ी सीख दे कर जाता है. हीर की भूमिका में दिविजा जुनेजा ने डैब्यू किया है. मसालों से परहेज करने वाली इस फिल्म को सुकून के साथ परिवार के साथ बैठ कर देखा जा सकता है. इस में कोई ऐक्शन नहीं है, गालीगलौज नहीं है, ‘ओह माई गौड’ और ‘102 नौट आउट’ जैसी फिल्में बनाने वाले उमेश शुक्ला ने इस बार युवाओं पर भरोसा जताया है. आजकल जब ‘एनिमल’ और ‘किल’ जैसी मारामारी वाली खूनखराबे से भरी फिल्में बन रही हैं तब इस फिल्म में आप को पंजाब का एक खूबसूरत गांव देखने को मिलेगा.

फिल्म की कहानी हीर वालिया (दिविता जुनेजा) की है. उस की मां नहीं है, उसे उस के चाचाओं (गुलशन ग्रोवर और संजय मिश्रा) ने पाला है. लंदन में एक रैस्तरां में एक विदेशी महिला ओलिविया (सारा लाकेट) हीर के हाथ का खाना खा कर खुश हो जाती है. वह हीर को अपने रैस्टोरैंट की कमान संभालने को कहती है. हीर राजी हो जाती है. लंदन पहुंच कर हीर ओलविया के पति टी जे (आशुतोष राणा) से मिलती है और रैस्तरां का काम शुरू करती है.

टी जे के दूसरे बिजनैस उस के नाबालिक बेटे की वजह से नाकाम होने लगते हैं. अब हीर के सामने अपनी मां के नाम पर चल रहे रैस्तरां को बचाने के लिए एक महीने का समय है. मामला तब बिगड़ता है जब टी जे का बेटा गुंडों से रैस्तरां में तोड़फोड़ कराता है.

फिल्म एक पारिवारिक ड्रामा है. क्लाइमैक्स में सारी चीजें बेतुकी हो जाती हैं और एक अलग ही लैवल पर पहुंचती हैं. घुड़सवारी का कंपीटिशन है. कौमेंट्री बौक्स में बैठे रौनी को अचानक लगता है कि ओलिविया का खत पढ़ने का यही सही समय है, जबकि दर्शकों को लगता है कि जल्दी से यह रेस खत्म हो जाए तो बाहर जाया जा सके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...