फिल्म समीक्षा

अनवर का अजीब किस्सा नवाजुद्दीन सिद्दीकि का शानदार किरदार

रटिंग – तीन स्टार

निर्माता – अजय शर्मा और अचिष्मान शर्मा

निर्दशक- बुद्धदेव दास गुप्ता

कलाकार- नवाजुद्दीन सिद्दीकि, निहारिका सिंह , पंकज त्रिपाठी, अन्नया चटर्जी, अमृता चट्टोपाध्याय, मकरंद

अवधि- 2 घंटे 13 मिनट

अटोटी फिल्म – इरोज नाउ

जीवन के टूटे हुए लय को सही करने के लिए बंगला  फिल्मकार बुद्धदेव दास गुप्ता अपनी नई और चौथी हिंदी फिल्म अनवर के अजीब किस्से में बेहतर तरीके से दिखाया है. यह फिल्म इस बात की ओर इशारा करती है कि इंसा को खुद की सोच के करनी बहुत ज्यादा जरूरी है.

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2013 में बाई गई फिल्म पूरे 7 साल साल बाद सिनेमा इरोज नाउ में 20 नवंबर को दिखाई जाएगी.

इस फिल्म की कहानी एक बेवकूफ किस्म के जासूस के बारे में मं दिखाया गया है जो इंसान के खोज क बारे में कला हुआ है. अनवर कलकत्ता के एक जासूस कंपनी इनर आई डिटेक्टिव में काम करता है. जिसका मालिक है दयाशंकर जोशी है. उनके पिता ने इस कंपनी को 40 साल पहले शुरू किया था.

अनवर बाकी सभी जासूसों से अलग काम करता है. अनवर के काम करने का तरीका बाकी सभी लोगों से बहुत ज्यादा अलग है.

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वहीं मों अनवर के पिता पोस्टमैन का काम करते थें वह शहर से दूर जाकर गांव गांव में जाकर चिट्ठिया बांटते हैं. मों अनवर अकेले अपने कुत्ता के साथ रहते थें. अनवर एक लड़की के कहने पर जासूसी शुरू करते हैं. वह लड़की रंगरलिया मना रही है. एक निखिल नाम के लड़के के साथ.

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