बौलीवुड में इम्तियाज अली बढ़िया निर्देशक है जो अपनी फिल्मों में प्रेम की भावनाओं को सहज हो कर दिखाता रहा है. उस की ‘लैला मंजनू’, ‘लव आज और कल’, ‘जब वी मेट’, ‘रौकस्टार’, ‘तमाशा’, ‘जब हैरी मेट सेजल’ चर्चित फिल्मों में से हैं. अब उस ने एक सच्ची त्रासदी पर बनी म्यूजिकल बायोपिक बनाई है. यह बायोपिक फिल्म पंजाब के बेहद लोकप्रिय लेकिन बदनाम ‘अमर सिंह चमकीला’ की जिंदगी पर बनाई गई है.
पंजाबी फ्लेवर लिए इस हिंदी फिल्म की कहानी 80 के दशक की है. अधिकांश दर्शकों ने शायद अमर सिंह चमकीला का नाम भी न सुना हो. पंजाब के एक सिख परिवार में 1960 में जन्मा अमर सिंह चमकीला गानेबजाने के प्रति अपनी दीवानगी के चलते ऐसा चमका कि विदेशों में भी उस के चर्चे होने लगे. वह अश्लील गाने ठेठ पंजाबी में गाया करता था.
हाथ में सारंगी लिए जब वह गाता था तो लोग चटखारे लेले कर उस के गाने सुनते थे. धीरेधीरे वह बहुत पौपुलर हो गया. उस ने धार्मिक गाने भी गाए परंतु सुनने वालों की मांग पर वह पुराने रास्ते पर लौट आया. उसे धमकियां मिलने लगीं. आखिर 1988 में उसे और उस की बीवी अमरजीत को गोली मार दी गई. उस वक्त अमर सिंह की उम्र 28 साल ही थी. जिस तरह फटाफट वह चमका उसी तरह फटाफट बुझ भी गया.
अब सवाल यह उठता है कि गंदे और अश्लील गीत गाने वाले सिंगर पर बायोपिक बनाने की जरूरत क्यों पड़ गई? इस के बारे में निर्देशक का कहना है कि अमर सिंह की नजरों में सारा समाज ही गंदा है. लोग उस के गानों को सुनते ही क्यों हैं. फिल्म इस बहस को भी शुरू करती है. दरअसल यह फिल्म हमारे समाज के दोगलेपन को दिखाती है.