बौलीवुड में ‘‘आंख से ओझल दिमाग से ओझल’’ वाली कहावत आम है. इसी के चलते हर कलाकार की कोशिश रहती है कि वह सदैव लोगों की नजरों में बना रहे. ऐसे में दो वर्ष तक खुद को बौलीवुड से दूर रखना बहुत बड़ा जोखिम होता है. दो वर्ष तक दूर रहते ही लोग कलाकार को भूल जाते हैं, परिणामतः कलाकार का करियर खत्म सा हो जाता है. इसके बावजूद अभिषेक बच्चन ने जोखिम उठाया ओर खुद को दो वर्ष तक अभिनय से दूर रखकर अपने आपको नए सिरे से काम करने के लिए तैयार करते रहे. अब वह दो वर्ष बाद 14 सितंबर को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘मनमर्जियां’’ से पुनः बौलीवुड में कदम रख रहे हैं.
आपके करियर के टर्निंग प्वाइंट क्या रहे?
मेरे लिए हर फिल्म का रिलीज होना ही टर्निंग प्वाइंट होता है. इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है कि हमारे दर्शक हमसे क्या चाहते हैं? हमारे दर्शक क्या नहीं देखना चाहते? किसी फिल्म की सफलता या असफलता की वजह क्या है?
आप दो वर्ष के बाद ‘‘मनमर्जियां’ में नजर आएंगे?
सही फिल्म का चयन करने में समय लगा. तीन वर्ष पहले मुझे लगा कि मैं जो काम कर रहा हूं, उससे संतुष्ट हो गया हूं. तो मुझे कुछ चैलेंजिंग काम के लिए इंतजार करना चाहिए. इसलिए दो वर्ष के लिए मैंने सिनेमा की लाइट से दूरी बनाकर अपने अंदर को खोजा और मैंने महसूस किया कि अब मुझे वह फिल्में या किरदार करने चाहिए, जो आसान व सहज न हों और उन्हें करना मेरे लिए चुनौती हो. मैं कंफर्ट जोन से बाहर निकलना चाहता था. हर कलाकार को समय समय पर स्वखोज करनी चाहिए. जो कलाकार नही करते हैं, वह फ्रस्टेशन के शिकार हो जाते हैं. जब अनुराग कश्यप मिले और उन्होंने मुझसे ‘‘मनमर्जियां’’ के बारे में बात की, तो मुझे लगा कि मुझे ऐसा काम करना चाहिए. फिल्म ‘मनमर्जियां’ के प्रोमो के बाजार में आने के बाद दर्शकों ने जिस तरह से पौजिटिव रिस्पौंस दिया, उससे मेरे निर्णय को बल मिला.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन