बौलीवुड में बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना लेने वाले अभिनेता विक्की कौशल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह हर फिल्म में एकदम नए अंदाज में ही नजर आते हैं.आनंद एल राय निर्मित और अनुराग कश्यप निर्देशित 14 सितंबर को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘मनमर्जियां’’ में विक्की कौशल का लुक भी एकदम अलग है.

अब आपको अपना करियर कहां जाता नजर आ रहा है?

मैं अपने करियर का प्लानर नहीं हूं. मैने आज तक कोई योजना नहीं बनायी. मैं अपने वर्तमान पर मेहनत कर रहा हूं. आज पर मैं मेहनत कर रहा हूं. अपने कर्म ईमानदारी से कर रहा हूं. मुझे नहीं पता कि मेरा करियर कहां तक जाएगा. मैं अपने करियर को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता.

आपकी पिछली ‘राजी’और ‘संजू’ दोनों ही फिल्में वास्तविक किरदारों व कहानी पर आधारित हैं. इनमें से किसमें किसी को महिमा मंडित किया गया?

कहीं आपका इशारा फिल्म ‘संजू’की तरफ तो नहीं है. तो सर आप खुद बताइए कि इसमें संजय सर की इमेज को सुधारने की बात तब आती, जब इसमें संजय दत्त को पाक साफ बताया जाता. इसमें बताया गया है कि वह ड्रग्स लेता है या उसने घर में हथियार रखा. पर आप बताएं कि संजू का अपराध क्या है. सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे हथियार रखने का अपराधी बताया. तो इसे फिल्म में दिखाया गया है. जेल के द्रश्य दिखाए गए हैं. तो उसकी इमेज कहां सुधारी गयी. हमने फिल्म में संजू को मदर टेरेसा की तरह थोड़े ही पेश किया है. उसका दोस्त कमली भी उसे लताड़ता रहता है कि वह नही सुधरेगा.

राजी’और ‘संजू’ के प्रदर्शन के बाद आपको किस तरह के कमेंट सुनने को मिले?

बहुत प्यारे कमेंट मिले. मैं खुद आश्चर्यचकित हो रहा था कि ऐसा क्या काम मैंने कर दिया. ‘राजी’के प्रदर्शन से पहले लोग मुझसे कहते थे कि अरे,आप पाकिस्तानी सेना के मेजर का किरदार निभा रहे हो? तो मुझे तनाव हो रहा था. पर फिल्म के रिलीज के बाद लोगों ने बधाई दी तो खुशी हुई. एक पाकिस्तानी सैनिक का किरदार निभाकर मुझे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान सहित पूरे विश्व से प्यार मिला. लोगों ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिक भी एक इंसान है, जिसे अपने वतन से प्यार है. हर इंसान को अपने वतन से प्यार करना ही चाहिए. यह तो राजनीति है,जो कि हमें अलग करती है. सत्ता का मसला अलग है.

यदि ‘‘संजू’’ की बात करें, तो मेरे किरदार कमली को काफी पसंद किया गया. मेरे पास हजारों लोगों ने संदेश भेजा की, उन्हें भी कमली जैसा दोस्त चाहिए. कुछ लोगो ने लिखा कि उन्हे भी अपनी जिंदगी में कमली बनना है, जिससे लगा कि लोगों ने कनेक्ट किया. यानी कि हम जो इमोशंस आम दर्शकों तक पहुंचाना चाह रहे थे, वह इमोशन पहुंचा. यह बात हमें अच्छी लगी. लोग प्लेन में मिलते हैं, तो मुझे ‘ओ कमली’ कह कर बुलाते हैं. यह सुनकर मुझे बड़ी ख़ुशी मिलती है. इतना ही नही मुझे उस दिन बहुत ख़ुशी मिली थी, जब मैं सर्बिया में ‘उरी’ की शूटिंग कर रहा था और मेरे पापा लंदन में शूटिंग कर रहे थे. वहां से उन्होने मुझे फोन करके बताया कि, ‘पता है आज क्या हुआ? आज मुझे किसी ने एक तीसरे इंसान से विक्की कौशल के पिता शाम कौशल कह कर परिचय कराया.’ मेरे लिए यह बड़े गर्व की बात है.

bollywood-vicky-kaushal-interview on sets of-manmarjiyan-movie

पर इन फिल्मों की वजह से आपकी जिंदगी और आपके आस पास क्या बदलाव आया?

सबसे बड़ा बदलाव यही है कि लोग मेरे पिता का परिचय विक्की कौशल का पिता कहकर कराने लगे. जबकि बौलीवुड में उनका करियर मेरी उम्र के बराबर का है.

फिल्म ‘‘मनमर्जिया’’ को लेकर क्या कहेंगे?

‘मनमर्जियां’ तीन ऐसे इंसानों की कहानी है, जो एक छोटे से शहर के हैं और उनकी अपने पार्टनर से क्या इच्छाएं है, उसी में उलझे हुए हैं. इन तीनों फिल्मों की दुनिया ही अलग है. इसकी पटकथा सुनते ही मैंने इस फिल्म को करने के लिए हामी भर दी थी.

bollywood-vicky-kaushal-interview on sets of-manmarjiyan-movie

आपको पटकथा सुनकर यह फिल्म करने की इच्छा क्यों हुई?

क्योंकि यह संगीत प्रधान प्रेम कहानी वाली फिल्म है. मेरे करियर की यह पहली फिल्म है, जिसमें मैं नाच और गा रहा हूं. इसके अलावा इस फिल्म के तीनों किरदार इतने अलग हैं कि आप देखते रह जाएं. एक है जो कमिटमेंट से डरता है. दूसरा भगवान राम की तरह आदर्शवादी है. हर मॉं ऐसे ही युवक से अपनी बेटी की शादी करना चाहती है. इन दोनों के बीच एक लड़की है, जिसे पैशनेट प्यार और सुरक्षा में से एक को चुनना है. खुशहाल जीवन के लिए पैशन व सुरक्षा दोनों चाहिए, पर उसे एक युवक से पैशन और दूसरे से सुरक्षा मिल रही है. ऐसे में वह क्या करे? एक युवक कमिटमेंट नहीं दे पा रहा है और दूसरा कमिटमेंंट दे पा रहा है. फिर फिल्म का ट्रीटमेंट और संगीत भी बहुत बेहतरीन है.

यह पंजाब के छोटे शहर अमृतसर की कहानी है, जहां हर किसी को जाने का मौका नहीं मिलता है. तो एक नया स्वाद है. अभिषेक बच्चन जी दो साल बाद इस फिल्म में नजर आएंगे. इसमें रोचकता बहुत है. हमें इस फिल्म को करने का गर्व है.

फिल्म के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

फिल्म ‘मनमर्जिया’ में पंजाब का एक आवारा लौंडा है, जो कि डी जे है. उसका नाम डी जे सैंड है. वह मनमौजी व शरारती है. जिसे रूमी (तापसी पन्नू) नामक इस लड़की से प्यार करने के अलावा कुछ आता ही नहीं है. वह दूसरा कोई काम जानना भी नहीं चाहता. वह अधीर युवक है. वह काम करने से पहले या बाद में भी नहीं सोचता कि उसने जो किया वह सही है या गलत. इस तरह तीनों ही किरदारों में बहुत अलग अलग शेड्स हैं. मुझे यह तीनों किरदार निभाने में बड़ा मजा आया.

bollywood-vicky-kaushal-interview on sets of-manmarjiyan-movie

आपका प्यार कैसा है?

मेरी राय में पैशन व सुरक्षा दोनों का होना बहुत जरुरी है. कई बार लड़की का हाथ पकड़ लेना ही बहुत कुछ होता है. कई बार दूर रहकर फोन पर बात कर लेना ही सकून देता है. सवाल यह कि आप दोनों के बीच किस तरह का जुड़ाव है और कितना एक दूसरे को समझते हैं. ऐसा दोस्ती में भी होता है.

हरलीन कौर से आपके प्यार व रिश्ते की जो चर्चाएं हो रही हैं, उनमें कितनी सच्चाई है?

आज हम निजी रिश्तों पर बात नहीं करना चाहते. इसके लिए हम फिर कभी बैठकर बात करेंगे.

इसके अलावा कौन सी फिल्म कर रहे हैं?

एक फिल्म ‘उरी’ कर रहा हूं. यह फिल्म सितंबर 2016 में उरी हमले और उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक पर यह फिल्म है. इसमें मैने एक भारतीय कमांडों का किरदार निभाया है. यह पूर्न्क्षेपण एक्शन फिल्म है. पहली बार मैं किसी एक्शन फिल्म का हिस्सा बना हूं. इसके लिए हम सर्बिया में दो माह की संजीदा व अति कठिन शूटिंग करके आए हैं. इसके लिए हमें पांच माह तक आर्मी से ट्रेनिंग लेनी पडी़. अभी पांच दिन की शूटिंग होनी बाकी है.

आप फिल्म ‘उरी’ की शूटिंग सर्बिया में कर रहे थे. क्या वहां कोई भारतीय फिल्म देखी?

सर्बिया में बौलीवुड फिल्में रिलीज नहीं होती. कुछ बौलीवुड फिल्में लंबे समय बाद रिलीज होती हैं. मसलन ‘पद्मावत’ हमारे यहां फरवरी माह में रिलीज हुई थी. जबकि सर्बीया में ‘पद्मावत’ अगस्त माह में सुबह नौ बजे सिर्फ एक शो में रिलीज हुई. वहां पर बौलीवुड फिल्म डीवीडी पहुँचने  पर रिलीज होती हैं. सर्बिया में वैसे भी फिल्म का कोई क्रेज नहीं है. वहां पर थिएटर यानी कि नाटक का क्रेज है. वहॉं पर हर वर्ष सिर्फ पांच छह फिल्में बनती है. वहॉं के लोग ताज्जुब कर रहे थे कि भारत हर वर्ष हजार फिल्में कैसे बना लेता है.

सर्बिया में किस तरह की फिल्में बनती हैं?

उन्हें नब्बे के दशक में आजादी मिली. पहले वह बहुत बड़े देश यूगोस्लाविया का हिस्सा था. उनका 25 साल पुराना गृहयुद्ध का इतिहास है. इसलिए उनकी फिल्में कहीं न कहीं उसी सुर पर होती हैं. सिविल वार/गृह युद्ध व राजनीति के चलते वहां पर जो जिंदगियां बदलीं, उन्हीं को वह कहानी के साथ अपनी फिल्मों में पेश कर रहे हैं. इस तरह की फिल्मों के साथ आज की पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी दोनों रिलेट कर पा रही हैं. पर मुझे वहॉं की फिल्म देखने का अवसर ही नहीं मिला.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...