इस वर्ष के 5 माह बीत गए. अब तक एक भी फिल्म बौक्स औफिस पर अपनी लागत वसूल नहीं कर पाई. बल्कि लगभग सभी फिल्में बुरी तरह से धराशाही हुईं. जिस के चलते अप्रैल माह से 80 प्रतिशत सिनेमाघर बंद चल रहे थे. ऐेसे माहौल में जब मई माह के पांचवे सप्ताह यानी कि 31 मई को एक साथ 3 फिल्में प्रदर्शित हुईं और 31 मई को ‘सिनेमा दिन’ घोषित कर टिकटों की दर 99 रूपए की गई तो कुछ बंद सिनेमाघर मालिकों ने सिनेमाघर खोलने, मल्टीप्लैक्स ने अपनी एकदो स्क्रीन ज्यादा शुरू करने की योजना बनाई.

ऐसे में उम्मीद जगी थी कि अब बौलीवुड में रौनक लौटने का सिलसिला शुरू होगा. मगर कुछ भी नहीं हुआ. 99 रूपए की टिकट दर के साथ ही एक टिकट पर एक टिकट मुफ्त का औफर भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक नहीं खींच पाया. मई के पांचवे सप्ताह प्रदर्शित तीनों फिल्में बौक्स औफिस पर बुरी तरह से धराशाही हो गईं और इस की मूल वजह यह है कि किसी भी फिल्म में ऐेसा कुछ नहीं है कि दर्शक सिनेमाघर तक आते.

17 मई को ही राज कुमार राव की तुशार हीरानंदानी निर्देशित फिल्म ‘श्रीकांत’ प्रदर्शित हुई थी, जिस की बौक्स औफिस पर बड़ी दुर्गति हुई थी. इस के बावजूद 15 दिन बाद ही 31 मई को ही राज कुमार राव की दूसरी फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेस माही’ प्रदर्शित की गई. इसे निर्माताओं की मूर्खता ही कहा जा रहा है.

सभी को पता है कि 2018 से ले कर अब तक राज कुमार राव की जितनी भी फिल्में सिनेमाघर पहुंची, किसी को भी सफलता नहीं मिली. ऐेसे में 15 दिन के अंतराल में राज कुमार राव के अभिनय से सजी दूसरी फिल्म देखने दर्शक आएंगे, यह सोच ही गलत थी.

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