बौलीवुड में बेहतरीन रोमांचक फिल्में नही बन पाती हैं. मगर श्रीराम राघवन की फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ एक बेहतरीन रोमांचक फिल्म के रूप में उभरती है. वैसे श्रीराम राघवन की फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ 2010 की चर्चित फ्रेंच लघु फिल्म ‘‘पियानो ट्यूटर’’ से प्रभावित एक ब्लैक कौमेडी से भरी रोमांटिक रोमांचक फिल्म है.

पुणे में पियानो बजाने में माहिर मगर अंधे आकाश (आयुष्मान खुराना) और शुभा (राधिका आप्टे) की सुंदर प्रेम कहानी चलती रहती है, पर जैसे ही आयुष्मान की मुलाकात सिमी (तब्बू) से होती है, सब कुछ बदल जाता है. सिम्मी प्यार की भूखी व प्यार में धोखा खाई हुई है. क्रूर सिमी को कुछ लोग एकदम बेकार औरत मानते हैं.

आकाश एक दिन मशहूर अभिनेता रहे प्रमोद सिन्हा (अनिल धवन) के निमंत्रण पर उनकी शादी की सालगिरह पर उनके घर पियानो बजाने जाता है. घर का दरवाजा प्रमोद सिन्हा की पत्नी सिमी खोलती है. पहले वह आकाश को वापस भेजना चाहती है. पर फिर मजबूरन उसे आकाश को अंदर लाना पड़ता है.

आकाश, सिमी के घर में पियानो बजाना शुरू कर देता है. पियानो बजाते हुए वह देखता है कि अंदर के एक कमरे से मनोहर (मनोहर विज) निकलता है, जिसकी मदद से सिमी को प्रमोद सिन्हा की लाश को ठिकाने लगाते हुए आकाश देख लेता है. सिमी के घर से निकलकर आकाश पुलिस स्टेशन हत्या की रपट लिखाने पहुंचता है, वहां पर वह मनोहर को पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में देखकर अपनी बात बदल देता है कि उसकी बिल्ली गुम हो गयी है.अब इंस्पेक्टर मनोहर उसके साथ उसके घर जाता है बिल्ली को ढूंढने की बात कहकर वह यह जानने की कोशिश करता है कि आकाश अंधा है या नहीं.

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