बाबुल प्यारे सजन सखा रे, सुन ओ मेरी मैया बोझ नहीं मैं किसी के सिर का न मझधार में नैया पतवार बनूंगी, लहरों से लड़ूंगी,अरे मुझे क्या बेचेगा रुपैया…

टैलीविजन चैनल पर कुछ समय पहले प्रसारित होने वाले शो ‘सत्यमेव जयते’ में गाया गया ‘रुपैया’ गीत लड़कियों के हौसलों को नई उड़ान देता है. इस गीत में ऐसी कई पंक्तियां हैं जिन में औरतों व लड़कियों को कभी मांबाप के बुढ़ापे का सहारा बनते दिखाया गया है तो कभी दहेज के लालच में बुने गए शादी जैसे रिश्ते से आजादी की बात कही गई है. इस गीत में कही गई बात हम असल जिंदगी में भी देखते हैं.

आज लड़कियां आगे बढ़ रही हैं किसी और पर निर्भर होने के बजाय खुद पर निर्भर हैं. कल तक दूसरों की मार सहने वाली आज अहिंसा के खिलाफ खुद हाथ उठाना जानती हैं. आज लड़के व लड़कियों को 2 नजरों के बजाय एक ही नजरिए से देखा जाता है. शिक्षा की बात हो या संपत्ति की, लड़कियों को भी बराबर अधिकार दिया जा रहा है.

वहीं, हमारे समाज में ऐसी भी लड़कियां हैं जो इन अधिकारों का गलत फायदा उठाती हैं, जैसे छोटीछोटी बातों पर कानूनी धमकी देना. यदि इन्हें लड़कों से कम तवज्जुह दी जाए तो तुरंत अधिकार की बात करने लग जाती हैं. मैट्रो में ये विकलांग या वरिष्ठ नागरिक की सीट पर क्यों न बैठ जाती हों, लेकिन यदि महिला सीट पर कोई पुरुष बैठ जाता है तो तुरंत ये अपना अधिकार दिखा देती हैं. अधिकार दिखाना और अधिकार लेना आज की महिलाएं व लड़कियां बखूबी जानती हैं. अब शादीविवाह में ही देख लीजिए, लड़कियां मांबाप पर धौंस दिखा कर जम कर खर्च करवाती हैं. सुनीता ने भी अपनी शादी में मांबाप की जेब अच्छे से ढीली कराई.

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बेटी के हाथ पीले, मांबाप ढीले

सुनीता और उस का परिवार राजस्थान के जोधपुर में रहता है. सुनीता के परिवार में उस का बड़ा भाई और मातापिता हैं. पिता की कपड़ों की दुकान व खेती है. मां गृहिणी हैं और भाई पिता के साथ दुकान पर बैठता है. सुनीता की शादी होने वाली है. शादी की खरीदारी के लिए सुनीता ने बड़ी लंबी लिस्ट बना रखी है.

फोन पर बात करते वक्त सुनीता अपनी बचपन की दोस्त काजल को अपनी खरीदारी की लिस्ट की जानकारी दे रही थी. तभी काजल ने चौंकते हुए कहा, ‘अरे बाप रे, इतनी लंबी लिस्ट.’ सुनीता ने हंसते हुए कहा, ‘लंबी लिस्ट, अरे अभी तो बहुतकुछ बाकी है. और लंबी लिस्ट बनाएं भी क्यों न, क्या पता शादी के बाद कुछ मिले न मिले. वैसे भी मेरी शादी के एक साल बाद भैया की शादी हो जाएगी. फिर तो सब भाभी को ही मिलेगा. तब मुझे कौन पूछेगा. यही समय है जब मैं अपनी बातें मनवा सकती हूं.’

सुनीता का परिवार मध्यवर्ग परिवारों में से है. सुनीता के पिता और भाई शादी में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रखना चाहते थे. इस के लिए उन्होंने कुछ रुपए उधार भी लिए हुए थे.

इधर खरीदारी के लिए जब भी सुनीता जाती तो उस की लिस्ट में कुछ नया जरूर जुड़ जाता. मां ने सुनीता के लिए कुछ गहने बनवाए थे. सुनीता ने जब गहनों को देखा तो उस का मुंह ही उतर गया. मुंह बनाते हुए सुनीता ने कहा, ‘मैं ये गहने नहीं पहनूंगी. मुझ को नए डिजाइन के गहने चाहिए.’ जब मां ने बोला कि ये गहने भी तो अच्छे हैं, तो सुनीता ने सीधा बोला, ‘ठीक है, फिर तो आप ये जब भाभी आएंगी उन्हीं को दे देना.’ मां को मजबूरन सुनीता को नए डिजाइन के गहने दिलवाने पड़े.

शादी की सजावट कैसी हो, यह बात जब पिताजी ने सुनीता से पूछी तो उस ने सब से महंगी वाली डिजाइन चुनी. पिताजी डिजाइन देख कर कहा, ‘नहीं, यह हमारे बजट में नहीं है. तुम दूसरी कोई पसंद कर लो.’ दूसरी डिजाइन भी महंगी थी. लेकिन अब सुनीता पिताजी को एकटक देखने लगी. इस से पहले पिताजी फिर मना करते, सुनीता ताना मारते हुए कहने लग गई, ‘भैया की शादी का कुछ होता तो फिर तो आप पहली वाली ही डिजाइन चुनते. मेरे समय पर क्यों चुनेंगे.’ यह कह कर वह मुंह बना कर चली गई.

सुनीता का उदास चेहरा देख कर पिताजी ने शादी की सजावट के लिए सुनीता द्वारा पसंद की गई डिजाइन ही चुनी. धौंस दिखा कर आज लड़कियां अपने ही घर वालों से छोटीछोटी बातों को ले कर अधिकार की मांग करने लग जाती हैं. आज सच में जमाना पूरी तरह बदल चुका है. कल तक लड़कों की मांग पूरी की जाती थी, आज लड़कियों की.

सोशल मीडिया पर ऐसी कई बातें पढ़नेदेखने को मिलती हैं जिन में लड़की खुद शादी से इनकार करती नजर आती है. कई बार मुद्दे सच में गंभीर होते हैं. तो कई बार ऐसे मुद्दे भी होते हैं जिन्हें विस्तार में बात कर के सुलझाया जा सकता है. लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि लड़कियां ऐसे समय पर कानूनी किताब खोल कर बैठ जाती हैं. हाल में ही एक दुलहन ने दूल्हे के शराब पीने पर शादी से इनकार कर दिया.

अधूरी शादी

बरात वापस लौट जाना, लड़की का शादी से इनकार करना यह हम फिल्मों या टीवी धारावाहिकों में ही देखते हैं. लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे, ऐसा असल जिंदगी में भी होता है. गोरखपुर में ऐसा ही कुछ हुआ. ज्योति और सत्यम की शादी को तय हुए 2 महीने हुए थे. शादी तय होने के बाद सत्यम और ज्योति फोन पर बात करने लगे. 2 महीने से दोनों एकदूसरे को जानने में लगे हुए थे. ज्योति ने एक दिन सत्यम से पूछा ‘तुम शराब पीते हो?’

सत्यम का जवाब ‘नहीं’ था. यह सुन कर ज्योति बहुत खुश हुई क्योंकि उस को शराबी से सख्त नफरत थी. धीरेधीरे दोनों की शादी की तारीख भी करीब आने लगी. दिन बीतते गए और वह दिन भी आ गया जब ज्योति सत्यम की दुलहन बन कर बैठी थी. दरवाजे पर बरात, नाचगाना हो रहा था. पूरा माहौल खूबसूरत लग रहा था. वरमाला के समय सब ने खूब मस्ती की. सब ने दोनों के साथ तसवीरें खिंचवाईं. अब फोटोग्राफर ने दोनों से कपल शूट करने को कहा. सत्यम और ज्योति एकदूसरे के करीब आ कर पोज दे रहे थे. लेकिन अचानक ज्योति के व्यवहार में बदलाव दिखाई देने लगा. वह गुस्से में सत्यम को देख रही थी. आधा ही फोटोशूट हुआ था कि ज्योति स्टेज से उतर कर चली गई.

अंदर जाने के बाद ज्योति ने गुस्से में बोला ‘मुझे नहीं करनी इस आदमी से शादी.’ यह सुन कर सब हैरान हो गए. वजह पूछने पर ज्योति ने बताया, ‘सत्यम ने झूठ बोला. शादी से पहले मुझ से कहा कि वह शराब नहीं पीता और आज शादी के ही दिन शराब पी कर आ गया. अभी फोटोशूट के दौरान मुझे उस के पास से शराब की बदबू आ रही थी. मैं उस से शादी नहीं कर सकती.’

गलत फैसला

मांबाप और परिवार वालों ने भी ज्योति को समझाने की कोशिश की लेकिन वह अपनी जिद पर थी. बाद में सत्यम खुद उस के पास आया. इस से पहले सत्यम उस को कुछ समझाता, उस ने उस के गाल पर थप्पड़ मार दिया. इस के बाद होना क्या था. दोनों परिवारों में मारपीट शुरू हो गई. ज्योति सत्यम के परिवार पर झूठे आरोप लगाने लगी और कानूनी धमकियां देने लगी. बात इतनी बढ़ गई कि पुलिस तक को आना पड़ गया.

जब आखिर में पूरी बात सामने आई तो पता चला कि शराब की बदबू सत्यम के कपड़ों से आ रही थी. हालांकि सत्यम के दोस्तों ने उसे शराब पिलाने की कोशिश जरूर की थी लेकिन उस ने साफ मना कर दिया था. उसी दौरान उस के कपड़ों पर शराब गिर गई थी जिसे ज्योति गलत समझ बैठी.

यह कहना गलत नहीं होगा कि आज अधिकतर लोग शराब को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाए बैठे हैं. हर किसी में कोई न कोई बुरी आदत जरूर होती है अब चाहे उसे शराब की आदत ही क्यों न कहें. लेकिन आदतों को बदला जा सकता है बिना रिश्ते तोड़े. परंतु यहां तो मुद्दा ही अलग था. ज्योति ने पूरी बात जाने बिना ही गलत फैसला ले लिया. ऐसे कई केसेस हुए हैं जिन में लड़की ने लड़के में कमियां निकाल कर शादी तोड़ दी है.

यह कैसा गुस्सा है? यह कैसा अहंकार है? क्या इसे धौंस दिखाना नहीं कहेंगे? जब लड़के लड़कियों में कमी निकालते हैं तो उन्हें नीची सोच का बोला जाता है. लेकिन जब लड़की लड़के में कमी निकालती है तो उसे लड़की के हित के लिए सराहा जाता है.

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आज लड़कियां हर क्षेत्र में सक्षम हैं. सहीगलत का फैसला लेना अच्छी तरह जानती हैं. महिला सशक्तीकरण की आज महिलाएं मिसाल बनती दिखाई दे रही हैं. लेकिन, कहीं ऐसा न हो सशक्तीकरण के बजाय यह अतिसशक्तीकरण बन जाए.

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