New Fashion Trend : भारत में फैशन की दुनिया बदल गई है. बड़े ब्रांड अब सस्ते कपड़े बेच रहे हैं जिस से अमीर और गरीब का फर्क मिट गया है.
रामपुर गांव में एक 20 साल की लड़की सड़क पर प्रिटेंड टी शर्ट पहन कर घूम रही थी. वहां रिश्तेदारी करने आए रमेश को लगा यह लखनऊ, मुम्बई जैसे बड़े शहर की होगी. उस ने अपने पड़ोसी से पूछा तो पता लगा वह गांव की ही रहने वाली सुनीता है. वह कालेज में पढ़ने जाती है. बाकी घर का काम भी देखती है. इंस्टाग्राम रील्स, के-पोप ड्राप्स और कोचेला फिट्स मनोरंजन से कहीं ज्यादा हैं. वे फैशन का प्रचार करती हैं. अगर कोई चीज न्यूयौर्क या सियोल में वायरल है, तो एक सप्ताह तक सूरत के बाजार तक पहुंच जाती है.
आज अगर किसी व्यक्ति के पास फोन है, तो उस के पास फैशन भी है. फैशन की चाहत सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं रह गई है. फास्ट फैशन का अर्थ है तेजी से बदलते फैशन रुझानों का अनुसरण करते हुए कम कीमत पर कपड़े और एक्सेसरीज का उत्पादन करना. यह एक ऐसा व्यवसाय मौडल है जो जल्दी से रुझानों की नकल करता है, उन्हें बड़े पैमाने पर और कम कीमत पर बनाता है, और उन्हें जल्दी से स्टोर में बेचता है. एक समय था जब अंतर्राष्ट्रीय फैशन चमकदार पत्रिकाओं, एनआरआई रिश्तेदारों या हवाई अड्डे पर रुकने से कभीकभार जारा के सामान के जरिए भारत में आता था.
भारत में फास्ट फैशन का मतलब था नकल और देर से आने वाले उत्पाद. अंतर्राष्ट्रीय रुझान अपने समय के बाद महीनों तक छाए रहते थे. 2025 तक तेजी से आगे बढ़ते हुए, मिलान और मुंबई के बीच का अंतर लगभग मिट चुका है. भारत ने फास्ट फैशन ने कदम बढ़ाया है. जिस के चलते मुम्बई और मिलान के बीच का अंतर खत्म हो चुका है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन