भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि रुपये की मौजूदा स्थिति काफी ठीक-ठाक है और इसके अवमूल्यन के किसी भी प्रयास से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ सकता है. इससे अवमूल्यन का लाभ भी गायब हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को चीन के प्रति व्यक्ति जीडीपी के स्तर को प्राप्त करने के लिए अभी काफी सफर तय करना होगा जिसके लिए देश को लगातार कई और वर्षों तक मजबूत वृद्धि की जरूरत होगी. राजन राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान में परिचर्चा में भाग ले रहे थे.

वैश्विक नरमी से निपटने के लिए रूपये के अवमूल्यन की संभावना के बारे में एक सवाल पर राजन ने कहा, रूपये के मूल्य का मुद्दा काफी जटिल है. कुछ लोग मानते हैं कि निर्यात बढ़ाने के लिए रूपये का अवमूल्यन होना चाहिए. अवमूल्यन के कड़ाई के साथ कई तरीके होते हैं, लेकिन इनमें से बहुत से तरीकों के लिए वित्तीय प्रणाली में उल्लेखनीय कार्रवाई की जरूरत है, जिनका इस्तेमाल हमारे पड़ोसी देशों ने लंबे समय तक किया है. उन्होने कहा कि इसके कई विपरीत प्रभाव भी हैं. यदि आपको आयात के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा तो देश में मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी. आपको तेल के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा, जिसका मुद्रास्फीतिक असर होगा. गवर्नर ने कहा, इससे आपको अवमूल्यन से मिलने वाला लाभ समाप्त हो जाएगा. मेरा मानना है कि आज रुपये का मूल्य ठीक है. मुझे नहीं लगता कि किसी समस्या के हल के लिए हम एक तरह या दूसरी तरफ चलने पर जोर देना चाहिए.

गवर्नर ने इसके साथ ही कहा कि कोई भी वृद्धि पर्यावरण की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, क्या जीडीपी के आंकड़े ही यह कहने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि हम विकसित हो चुके हैं? निश्चित रुप से नहीं. वित्तीय समावेश के लिए बैंकों के महाजनों से हाथ मिलाने के सवाल पर राजन ने कहा कि वह इस विचार से असहमत नहीं हैं, लेकिन वसूली जैसे कई मुद्दों पर विचार करने की जरुरत है. देश की सहकारी बैंकिंग प्रणाली की स्थिति के बारे में राजन ने कहा कि यह प्रणाली अपनी उत्साह गंवा चुकी है. उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकिंग प्रणाली देश की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है. मैं इस बात पर जोर दूंगा कि इसका देश के उन हिस्सों में पहुंचना काफी महत्वपूर्ण है जहां वित्तीय संस्थान नहीं पहुंच सके हैं.

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