वर्षा की बूंदें, नालियों में बहती कागज की नावें, रिमझिम वर्षा में नहाने का आनंद, बादलों से भरे आकाश में कड़कड़ाती बिजली की चमक अब लगता है कि कहीं खो सी गई है. आजकल बंद कमरों में टैलीविजन या मोबाइल स्क्रीन पर चिपके किशोरों को वर्षा का पता तब चलता है जब टीवी के वैदर चैनल पर जाते हैं. जिस तरह से आज की पीढ़ी ने प्रकृति का आनंद लेना बंद कर दिया है, वह बेहद दुखदायी है. इसलिए कि भले ही हम नई चीजों के कितने ही निकट क्यों न हों, प्रकृति का साया हम पर रहेगा ही और हरेक को प्रकृति के साथ हिलमिल कर चलने और जूझने की आदत बनी रहना जरूरी है. शहरी व कसबाई जिंदगी के बावजूद प्रकृति का असर बहुत ज्यादा है और आधुनिक तकनीक, सुविधाओं और खोजों से चाहे जीवन पर प्रकृति की मार न पड़ती हो, पर फिर भी आमनासामना तो होगा ही.
प्रकृति ने मानव को जो दिया है वह सब अरबों सालों में बना है और विज्ञान अभी 200 साल पुराना है. तभी तो हर कोई आज प्रकृति की गोद में जाने को लालायित है. आजकल लोग छुट्टी मनाने रिसोर्ट्स में जाते हैं जहां पेड़पौधे होते हैं. बड़े विशाल होटल तो अब केवल व्यावसायिक कामों तक सीमित रह गए हैं.
किशोरावस्था ऐसा समय है जब प्रकृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है और इन सुनहरे दिनों को हाथ से न निकलने दें. वर्षा का भरपूर आनंद लें. कुछ भीगें, कुछ बौछारों का आनंद लें. पानी भरी सड़कों पर चलें. कीचड़ में पांव गंदे करें. ये सब जीवन के पाठ हैं जो बाद में पढ़ने को नहीं मिलेंगे. एक बार जिम्मेदारियों ने घेर लिया तो फिर मौका नहीं मिलेगा धूप, वर्षा, ठंड, गरमी, पतझड़ का आनंद लेने का.
मानव ने पिछले दशकों में प्रकृति को कुछ ज्यादा ही दुहा है. आजकल ग्रीन हाउस इफैक्ट से दुनिया परेशान है. इतनी गरमी 100-150 साल में कभी नहीं पड़ी. कहीं अति वर्षा है, कहीं अति ठंड और कहीं सूखा. समुद्र में पानी का स्तर बढ़ रहा है. आर्कटिका और अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है, पशुपक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां खतरे में हैं. यह इसलिए कि बंद कमरों में हम ने प्रकृति को भुला दिया है, इस का आदरसम्मान करना बंद कर दिया है. ठीक है, हम प्रकृति के गुलाम नहीं बने रहना चाहते, पर इस का मतलब यह नहीं कि हम इसे भुला दें. हमें प्रकृति को अपने सुखों के लिए ढालना है. आज वैज्ञानिक लगे हैं इस काम के लिए, पर प्रकृति प्रेम, जिस में वर्षा की वे ठंडी बूंदें शामिल हैं जो गरमी के बाद आती हैं, भी जरूरी हैं.
तो चलें, बाहर बारिश हो रही हो तो भीग लें. कोई डांटेगा, तो सुन लेना. बारिश पूरे साल थोड़ी होती है.