मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद की डेढ़ करोड़ रुपए की कीमत वाली लग्जरी गाड़ी के 12 लाख रुपए के टैक्स को माफ कर दिया गया तो कुछ मंत्रियों ने इस फैसले पर एतराज जताया, क्योंकि ये शंकराचार्य आएदिन भाजपा की आलोचना करते रहते हैं और कांग्रेसी खेमे में शुमार किए जाते हैं. खासतौर से भाजपा के इन दिनों उमड़ रहे दलित प्रेम को राजनीतिक चाल कहने का कोई मौका वे चूकते नहीं. उन्हें खामोश रखने के लिए शिवराज सिंह ने टैक्स माफी वाला प्रस्ताव पारित करा लिया हो तो बात कतई हैरत की नहीं. लेकिन लोगों को हैरानी इस बात की है कि जो धर्मगुरु अरबों की जायदाद का मालिक है और करोड़ों की गाड़ी में घूमता है वह उस का टैक्स क्यों नहीं भर सकता? सरकार का पंडेपुजारियों को प्रसन्न रखने का यह कौन सा तरीका है कि वह जनता का पैसा यों ही उन पर लुटाए? 

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