मंगेतर मनपसंद हो तो उस के साथ रिश्ते में पूरी तरह डूबना एक लड़की के लिए जाहिर सी बात है. लेकिन किसी वजह से शादी होने से पहले ही टूट जाए तो यह भावनात्मक जुड़ाव लड़की के लिए मानसिक अवसाद की स्थिति बना सकता है.
शादी की धूमधाम वाले घर में आज इतना सन्नाटा पसरा था कि तापसी से मिलने आई उस की सहेली विधि घर में घुसते ही ठिठक गई.
क्या हुआ, रिश्तेदार चले गए? सामान इधरउधर बिखरे पड़े जैसे मातम मना रहे हों. हफ्तेभर में जिस की शादी होने वाली है, वह अंधेरे कमरे में बंद हो कर सो रही थी. वही जो देररात तक जाग कर अपनी शादी की खरीदारी की तसवीरें विधि को साझा किया करती थी. होने वाले पति के साथ अपनी तरहतरह की तसवीरें फेसबुक और व्हाट्सऐप स्टेटस पर डाला करती थी. एक तरह से मंगेतर के आर्कषण में अति उत्साहित व भावविभोर.
विधि को तापसी की मां से पता चला कि तापसी की शादी लड़के वालों ने तोड़ दी थी. ‘आखिर ऐसा क्या हो गया?’ उस ने तापसी को सहारा देते हुए कुरेदा तो वह फूटफूट कर रो पड़ी. मंगेतर से उस का लगाव इतना हो गया था कि शादी के टूट जाने का दर्द प्रेम में खाए धोखे और ब्रेकअप से कम न था उस के लिए. दूसरे, घरपरिवार में उस के मंगेतर का घर के सदस्य की हैसियत से स्थान बन चुका था. शादी टूट जाने से रिश्तेदारों और पहचान वालों में बेइज्जती हो रही थी. ऊपर से सोशल मीडिया में कई तसवीरें तो ऐसी भी साझा हो चुकी थीं जो भारतीय समाज की मानसिकता के हिसाब से शादी के बाद खिंचवाई जाती हैं.
दरअसल, तापसी की शादी तय हो जाने के बाद दोनों के परिवारों ने उन्हें जानपहचान बढ़ाने का मौका दिया और कुछ समय साथ बिताने की इजाजत भी दी. कुछ दिन गुजरे और सब बेफिक्री के साथ चलता रहा तो तापसी उस से कुछ ज्यादा ही खुलने लगी. वह दिनरात उसी की फिक्र लगाए रहती, उसी की बात सोचती और इस तरह वह उस से कुछ ज्यादा ही भावनात्मक रूप से जुड़ गई.
इधर, लड़के के परिवार में एक हादसा हो गया और ऐक्सिडैंट में लड़के के पिता की मौत हो गई. सो, हमारा दकियानूसी, अंधविश्वासी भारतीय समाज लड़की के विरुद्ध हो गए. लड़की को अपशकुनी मान कर उस से रिश्ता तोड़ने की बात पर घर के लोग एकमत होने लगे.
लड़का परिवार का बड़ा भक्त था और पित्रशोक में दिशाहीन. उस ने शादी के मामले में परिवार के साथ जाने का फैसला लिया. लोगों ने उसे यही समझाया कि ऐसे मौके पर उसे अपनी मां का साथ देना चाहिए जैसे कि लड़की से ब्याह कर लेना पिता के हत्यारे से ब्याह रचाना था.
उन के दो टूक कह देने से बात खत्म तो हो गई लेकिन क्या वाकई खत्म हुआ सबकुछ? अब तो शुरू हुई मानसिक यातना, तनाव, दबाव, घुटन, बेइज्जती. क्या करेंगे लड़की वाले? लड़की अवसाद में जा रही है तो कोर्ट जाएंगे? लड़के को जेल भिजवाएंगे? कुछ भी नहीं?
इतना ही है कि गिर कर संभलना है, आगे बढ़ना है. और आगे बढ़ना तभी होगा जब लड़की किसी भी रिश्ते में पूरी तरह डूबने से पहले होने वाले साथी को समझते हुए शादी तक का सफर तय करे. लड़कों के लिए भी यही परिस्थिति बन सकती है जब तय शादी लड़की वालों की तरफ से तोड़ी जाए किसी फालतू कारण से. ऐसे में शादी से पहले भावनात्मक जुड़ाव शादी टूटने के बाद दूसरी तमाम परेशानियों के साथ मानसिक अवसाद की स्थिति भी बना देता है.
अकसर लड़के लड़कियां शादी तय होते ही अतिउत्तेजना और अतिभावुकता में आ कर जिंदगी के प्रैक्टिकल पक्ष को नजरअंदाज कर देते हैं.
आइए जानें वे प्रैक्टिकल पक्ष जो शादी तक पहुंचने से पहले युवा को साथी के साथ सामंजस्य बैठाते हुए और भावनाओं को शिक्षित करते हुए रिश्ते को मजबूती देते हैं :
व्यावसायिकता और प्रेम : भारत में अरेंज्ड मैरिज के लिए यही सच है. यह 2 परिवारों, उन के रिश्तेदारों, समाजों
के लेनदेन, ऊंचनीच जैसे प्रैक्टिकल व्यावसायिक आधार पर अंकुरित किया गया गुलाब है. इसलिए प्रेम से पहले इस रिश्ते में व्यावसायिकता की सही समझ भी जरूरी है.
शादी की जिम्मेदारी युवाओं की भी: जिन की शादी तय हुई है वे भविष्य के मीठे सपने ही नहीं बुनें या होने वाले साथी के साथ समय से पहले बहुत ज्यादा न खुलें, बल्कि बड़ों के नजरिए से भी रिश्ते को देखें. दुनियादारी की समझ बढ़ाएं. अरेंज्ड है शादी, इसलिए ससुराल पक्ष के दूसरे लोगों को पहचानने की, उन के स्वभाव को समझने की भी कोशिश करें. इस से शादी के प्रैक्टिकल पक्ष पर ध्यान रहेगा और होने वाले साथी पर निर्भरता घटेगी.
विश्वास करें मगर धीरेधीरे : रिश्ते की आधारशिला विश्वास तो है, लेकिन शादी तय होते ही पार्टनर पर अंधविश्वास कभी न करें. उसे पहचानने में समय लगाएं. ज्यादा और समय से पहले विश्वास युवा को भावनात्मक रूप से कमजोर कर देगा. यदि कभी शादी में झुकनेझुकाने की नौबत पैदा हो गई, परिवारों में अहं का टकराव हो गया तो बेवजह भावनात्मक रूप से कमजोर साथी को घुटने टेकने पड़ेंगे, जो कि नएनए परिचय में दुखदायी होगा.
अरेंज्ड मैरिज और लेनदेन : अभी भी भारतीय पारंपरिक विवाहों में लेनदेन सिर्फ सामानों का नहीं, बल्कि परंपराओं और रीतिरिवाजों को जाननेसमझने का भी रहता है. रिश्तेदारों में कई ऐसे लोग होते हैं जो छोटीछोटी मीनमेख के आधार पर शादी तुड़वाने पर तुले रहते हैं, इसलिए विवाह को पहले जाननासमझना, उस के बाद मानसिक रूप से जुड़ने की सोचना ज्यादा संगत है.
लड़का दीवाना तो है लेकिन पहले परिवार : अरेंज्ड मैरिज में अकसर भारतीय लड़के लड़की को पाने की बेताबी में तो रहते हैं, लेकिन परिवार और खासकर पारंपरिक मांओं के प्रति वफादारी को वे होने वाली दुलहन को ज्यादा महत्त्व न दे कर निभाना चाहते हैं. ऐसे भावी दूल्हों से बंधी लड़कियां होशियार रहें क्योंकि शादी के पहले तक लड़के किसी भी पल आप का साथ छोड़ दें तो आप ठगा सा महसूस करेंगी. इन लड़कों के साथ संबंध परिवार की छत्रछाया में ही ज्यादा टिकाऊ होता है.
शादी से पहले कुछ बातों को ना कहें : जरूरत से ज्यादा डेटिंग, रैस्तरां में अकेले जाना, अंतरंग तसवीरें लेना, इन्हें सोशल मीडिया में साझा करना आदि को ना कहना और शादी तक सब्र के साथ इस रिश्ते में आगे बढ़ना सीखना होगा.
कितना जानते हैं एकदूसरे को : यह रिश्ता न तो सिर्फ दोस्ती का है, न सिर्फ प्रेम का. इस नए रिश्ते में दोस्ती और प्रेम के साथ शारीरिक आकर्षण, बौद्धिक तालमेल, सामाजिक हैसियत, पारिवारिक परिस्थिति, संपत्ति जैसे कई सारे महत्त्वपूर्ण फैक्टर और भी हैं, जो इस संबंध को परिभाषित करने में अपनीअपनी भूमिका निभाते हैं. दूसरी ओर प्रेम निभाने के लिए व्यक्तित्व में जिम्मेदारी, करुणा और कमिटमैंट रहनी ही चाहिए. लेकिन युवा इन बातों को समझने से पहले ही शरीर व मन की मृगमरीचिका में खो कर प्रैक्टिकल पहलू को किनारे कर देते हैं.
प्रेम संबंधों का भी कई बार खात्मा हो जाता है जबकि अरेंज्ड मैरिज तो दिमाग के रास्ते दिल में प्रवेश है. स्वाभाविक ही है कि कई बार बात न बने. ऐसे में युवाओं की समझदारी और परिपक्वता उन्हें कई प्रकार की तकलीफों से बचा सकती है.