कादर खान नहीं रहे. लेकिन वे पहली बार नहीं मरे हैं, इस से पहले वे कई बार अफवाहों की मौत मारे जा चुके हैं. लेकिन हर बार उनके बेटे सरफराज अफवाहों को खारिज कर उनके जिंदा होने की तसल्ली दे देते थे. लेकिन इस बीते साल की आखिरी शाम उनकी जिंदगी की आखिरी शाम साबित हुई. लेखक, शिक्षक, और अदाकारी का एक साथ लोहा मनवाने वाले कादर खान ताउम्र अमिताभ बच्चन की एहसान फरामोशी पर अपना दर्द बयान करते रहे. उन्होंने अमिताभ की न सिर्फ कई सफल फिल्में लिखीं, बल्कि उन्हें संवाद अदायगी का लहजा भी सिखाया, लेकिन असफल और एकाकी दौर में अमिताभ ने उनसे दूरी बना कर रखी, इसका उन्हें दुःख रहा.
अमिताभ तो कादर खान से इसी बात से चिढ़ गए थे कि उन्होंने अमिताभ को उनके सितारा दिनों में ‘सर’ कहकर नहीं पुकारा. क्योंकि वे बिग बी को काफी पहले से ‘भाईजान’ कहते थे. शायद उनका ईगो हर्ट हो गया होगा. और फिर उन्होंने कादर खान को अपनी फिल्मों से बाहर का रास्ता दिखवाना शुरू कर दिया. यह खुदा गवाह के दिनों की बात है. कुछ इसी तरह का तंज हास्य अभिनेता महमूद को भी था. कभी अमिताभ को अपने घर पनाह देने वाले महमूद जब बदहाली में घिरे तो सबसे पहला साथ छोड़ने वाले अमिताभ ही थे.
न अमिताभ आये न गोविंदा
बहरहाल कादर खान के निधन के कुछ दिन बाद उनके बेटे सरफराज खान ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के बड़े सितारों पर दोगले और स्वार्थी होने का आरोप लगाया है. सरफराज के मुताबिक एक दौर में फिल्मों में रीढ़ बन चुके कई सीनियर कलाकार बाद में या तो एकाकी जीवन जीते हैं या फिर आर्थिक अभाव में किसी सरकारी अस्पताल में दम तोड़ देते हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन