बुलंदशहर दंगे में हिन्दूवादी संगठनों का नाम आने के बाद पुलिस प्रशासन बैकफुट पर आ चुका है. भारतीय जनता पार्टी सहित हिन्दू संगठनों से जुड़े लोग पूरे मामले में भीड़ के हमले के लिये पुलिस को ही दोषी साबित करने में जुट गये हैं.

पुलिस के आला अफसर हिन्दूवादी संगठनों का नाम लेने के औचित्य नहीं समझ रहे. जांच कर रहे अफसर कह रहे हैं कि जब तक एसआईटी की जांच नहीं होती किसी के खिलाफ कोई काररवाई नहीं होगी.

बुलंदशहर दंगे के केन्द्र बिंदु में बजरंग दल का योगेश राज पहले दिन से है पर उसकी भूमिका पर पुलिस कुछ नहीं कर रही है. नामजद होने के बाद भी पुलिस उस तक भले न पहुंची हो पर वह वीडियो वायरल करके अपनी सफाई दे रहा है. सोशल मीडिया पर बने रहने के बाद भी पुलिस का खुफिया तंत्र उस तक नहीं पहुंच पा रहा है.

बुलंदशहर में हिन्दूवादी संगठनों और भाजपा के लोग घटना में मारे गये इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को विलेन साबित करने में जुटे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुबोध कुमार सिंह के परिवार को मुआवजा देकर उनके घावों पर मरहम लगाने का काम भले किया हो पर प्रशासन अपनी जांच रिपोर्ट में भीड़ के दंगे से अधिक गोकशी के सवाल पर फोकस कर रही है. हिन्दू संगठनों के पैरोकार कहते हैं कि अगर क्षेत्र में गोकशी नहीं हो रही होती तो यह हमला नहीं होता. पूरी घटना के लिये पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है.

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के खिलाफ बुलदंशहर के भाजपा नेताओं ने 9 सितम्बर को सांसद भोला सिंह को पत्र लिखा था. इसमें इंस्पेक्टर के व्यवहार, पशुचोरी, अवैध कटान, और हिन्दूओं के धर्मिक कामों में अड़चन डालने वाला बताया गया था. हिन्दूवादी संगठन जिस तरह से इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के खिलाफ थे उसमें उनकी बिसाहडा कांड की छवि का बड़ा हाथ था. उत्तर प्रदेश पुलिस बिना गहराई में जाये इस मसले को पहली नजर में ही नकार दे रही है.

पुलिस पर पत्थरबाजी कर रहे सुमित की मौत के बाद प्रदेश सरकार ने 10 लाख का मुआवजा देने का एलान किया. इसके बाद सुमित के परिजन अब उन सभी चीज़ों की मांग कर रहे हैं जो सुबोध कुमार सिंह को मिली हैं. भाजपा के सरधना मेरठ के विधायक संगीत सोम कहते हैं ‘सुमित के घर वालों को मुआवजा देना सही कदम है. अगर अखलाक के घर में गोमांस मिलने के बाद भी उसके मरने पर मुआवजा दिया जा सकता है तो सुमित के मरने पर क्यो नहीं देना चाहिये ?’

बुलंदशहर की घटना के केन्द्र बिंदु में खड़े योगेश राज को सभी संगठन बचाने में लगे हैं. पुलिस प्रशासन भी उसकी भूमिका को लेकर विवादित बयान दे रहा है. आईजी रेंज मेरठ राम कुमार कहते हैं, ‘अभी तक जांच में योगेश राज की भूमिका समाने नहीं आई है.’ इसी तरह योगेश राज के बजरंग दल से जुड़े होने के सवाल पर एडीजी ला एंड आर्डर आनंद कुमार ने कहा कि ‘किसी संगठन के नाम लेने का कोई औचित्य नहीं है.’

योगेश राज के बचाव में दूसरे संगठन के लोग भी उतर आये हैं. जिससे घटना के 4 दिन बाद भी योगेश राज तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है. भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने भी पुलिस प्रशासन को दोषी ठहराया है. विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री सुदर्शन चक्र ने मीडिया से कहा कि ‘कश्मीर के पत्थरबाजों पर रबर की गोली मारने की बात होती है और गौरक्षक पर सीधे गोली चलाई जा रही है. समय आने पर योगेश राज सामने आ जायेगा.’ ऐसे में अब यह आशंका बलवती हो रही है कि पुलिस जांच के नाम पर मामले को ठंडा करने का प्रयास किया जा रहा है. भीड द्वारा हत्या पर गोकशी भारी पड़ेगी. पुलिस भीड़ द्वारा हत्या करने वाले लोगों के बजाय गोकशी करने के आरोपी लोगों पर ज्यादा सख्त होगी.

घटना में यह तथ्य साफ है कि जिस खेत में गोकशी करने की बात की जा रही है वहां पर गोकशी नहीं हुई. वहां पर गोकशी के टुकड़े लाकर डाले गये थे. ऐसे में साफ है कि यह घटना किसी गहरी साजिश का अंजाम है. इसकी तह में जाने पर ही सच का पता चल सकता है.

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