सुशील कुमार सिंह दिल्ली के चावड़ी बाजार स्थित वीनस इंटरप्राइजेज नाम की दुकान पर काम करता था. यहां उस की इसी साल नौकरी लगी थी. यह सैनिटरीवेयर की नामचीन दुकान थी. सुशील यहां एकाउंटेंट का काम करता था.
11 अगस्त, 2018 की शाम को सुशील दुकान के मालिक पवन से कह कर निकला कि वह अपने गांव जा रहा है. वहां से 2 दिन बाद लौटेगा. सुशील जब 3-4 दिन बाद भी काम पर नहीं लौटा तो पवन ने उस के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन उस का मोबाइल स्विच्ड औफ निकला. 2-3 बार की कोशिश के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो पवन को सुशील पर काफी गुस्सा आया.
पवन के पास सुशील के पिता ऋषिपाल सिंह का भी फोन नंबर था. उस ने फौरन फोन लगा कर ऋषिपाल सिंह से सुशील के काम पर नहीं लौटने की शिकायत की. पवन की बात सुन कर ऋषिपाल सिंह चौंक गए, क्योंकि सुशील 11 अगस्त की शाम घर पहुंचा ही नहीं था. उन्होंने यह बात पवन को बताई तो पवन ने चिंता जाहिर करते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराने का सुझाव दिया.
16 अगस्त, 2018 को ऋषिपाल सिंह दिल्ली के थाना हौजकाजी पहुंचे और बेटे की फोटो दे कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. इस केस की तहकीकात का जिम्मा एसआई आर.के. सिंह को दिया गया. उन्होंने ऋषिपाल सिंह से सुशील के बारे में जरूरी जानकारी लेने के बाद उस के दोस्तों व करीबियों के मोबाइल नंबर अपनी डायरी में नोट कर लिए.
एसआई आर.के. शर्मा ने डायरी में दर्ज किए सभी मोबाइल नंबरों की जांचपड़ताल शुरू की. इन में से एक मोबाइल नंबर बंद मिला तो उन्होंने उस की और गुमशुदा सुशील दोनों की काल डिटेल्स निकलवाई. उन्होंने काल डिटेल्स की बारीकी से जांच की तो पाया कि सुशील के फोन से दूसरे फोन पर काफी मैसेज भेजे गए थे.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन