निवेश की जब भी बात आती है, सब से पहले प्राथमिकता सुरक्षित निवेश होता है. एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो सुरक्षित निवेश करना चाहता है. निवेश करने वाले को यह लगता है कि उस का पैसा सुरक्षित रहे. इस के बदले अगर थोड़ाबहुत ब्याज में नुकसान हो रहा हो तो उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता. ऐसे निवेशकों के लिए एफडी यानी फिक्स्ड डिपौजिट और आरडी यानी रिकरिंग डिपौजिट निवेश के सब से सुरक्षित तरीके हैं. इन की लोकप्रियता का अंदाजा इस से लगाया जा सकता है कि बैंकों के साथ ही पोस्टऔफिस और बचत के दूसरे माध्यमों में इस को प्रमुख निवेश के रूप में रखा जाता है.

आरडी और एफडी लोकप्रिय इसलिए हैं क्योंकि इन में एक तय समय के लिए पैसा जमा किया जाता है. पैसा जमा करते समय ही निवेशक को यह पता होता है कि उसे जमा पैसे पर तयशुदा निश्चित रकम मिलेगी.

एफडी यानी एकमुश्त सुरक्षित निवेश

तयशुदा रकम मिलने के भरोसे के कारण ही आरडी और एफडी को सुरक्षित निवेश माना जाता है. एफडी के लिए अलगअलग बैंकों में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा की अलग अवधि निर्धारित है. यह समय 15 दिन से ले कर 3 साल के ऊपर तक होता है. जब से बैंकों की ब्याजदर तेजी से बदलने लगी है, 3 साल की समयसीमा को सब से अच्छा निवेश माना जाता है.

एक समय एफडी की ब्याजदर 10 फीसदी से ऊपर चली गई थी. अब भी यह 7 से 8 प्रतिशत के करीब है. एफडी में मिलने वाली ब्याज की रकम को निवेशक चाहे तो जमा की मियाद पूरी होने पर एकसाथ ले सकता है. बैंक यह सुविधा भी देता है कि ब्याज के रूप में मिलने वाली रकम ग्राहक यदि चाहे तो हर माह या हर तीसरे माह उस के बचत खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है.

अपने पैसों को एफडी में निवेश करने का फैसला निवेशक को अपनी जरूरत के हिसाब से लेना चाहिए. अगर निवेशक को समयसमय पर पैसे की जरूरत पड़ती है तो उसे ब्याज की रकम को हर माह या हर तीसरे माह लेने का औप्शन चुनना चाहिए. इस से उस की मूल रकम एफडी के रूप में बैंक में जमा होगी और ब्याज के रूप में मिलने वाली रकम से वह अपने खर्च चला सकता है.  इस का एक लाभ यह है कि बचत खाते में आए पैसों पर बचत बैंक खाते पर मिलने वाला ब्याज भी मिलेगा. ऐसे में एक ही रकम से 2 तरह के ब्याज भी मिलते हैं.

एफडी की खासीयत यह है कि इस का पैसा घटता नहीं है. बैंक ने एफडी करते समय जो ब्याजदर देने का वादा किया था वही वह देता है. इस बीच, बैंक अगर अपनी ब्याजदर कम भी करता है तो एफडी की ब्याजदर में कोई बदलाव नहीं होगा.

निवेशक को अगर यह लगता है कि उसे सालदोसाल बाद एक तय समय में पैसों की जरूरत पड़ने वाली है तो उसे एकसाथ मिलने वाली रकम का औप्शन चुनना चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर आप को 5 साल बाद पैसे की जरूरत है, तो उस समय ही पैसा लीजिए, जिस से जमा रकम और ब्याज मिला कर एकमुश्त बड़ी रकम मिल जाए.

आरडी यानी छोटीछोटी बचत मिले एकमुश्त

आरडी यानी रिकरिंग डिपौजिट, छोटीछोटी बचत के लिए जरूरी और सुरक्षित तरीका है. इस का खाता पोस्टऔफिस और बैंक दोनों जगहों पर खोला जा सकता है. 100 रुपए प्रति माह से ले कर ज्यादा से ज्यादा कितनी भी रकम जमा की जा सकती है. एक साल से ले कर 3 साल या ऊपर तक की आरडी निवेशक शुरू कर सकते हैं. औसतन निवेशक 3 साल की आरडी ज्यादा पसंद करते हैं. छोटीछोटी बचत बड़ी रकम के रूप में मिलती है, जिस को निवेशक लंबी बचत के लिए एफडी भी करा सकते हैं. आरडी बहुत लोकप्रिय निवेश है.

म्यूचुअल फंड बाजार ने भी आरडी जैसी ही एसआईपी स्कीन बना रखी है. एसआईपी और आरडी में केवल एक ही अंतर है कि एसआईपी में मुनाफा बाजार के उतारचढ़ाव से प्रभावित हो सकता है जबकि आरडी में तय ब्याजदर के हिसाब से ही मुनाफा मिलता है. निवेश की दोनों ही तरीकों में छोटीछोटी रकम बड़ी बन जाती है. सामान्य निवेशक के पास हमेशा ही छोटीछोटी बचत होती है, जिसे वह इन के जरिए एकसाथ बड़ी कर सकता है. बचत का कोई समय नहीं होता.

बचत के लिए रकम की कोई सीमा नहीं होती. निवेशक को अपनी क्षमता के अनुसार बचत योजनाओं में पैसा जमा करना चाहिए. आरडी से बचत की आदत भी पड़ती है. ऐसे में बच्चों में अगर बचपन से बचत की आदत डालें तो यह आगे चल कर उन के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी.

गुल्लक से करें शुरुआत

बचत योजनाओं में आरडी एक गुल्लक की तरह काम करती है. छोटी बचत वाले निवेशक घर में गुल्लक रख सकते हैं. रोज उस में तय रकम डालें और फिर माह के अंत में गुल्लक का पैसा निकाल कर तय जमा रकम बैंक के आरडी खाते में जमा कर दें. एकएक दिन की यह बचत आप को पता भी नहीं चलेगी और एक दिन यह बड़ी रकम के रूप में आप की मदद के लिए मौजूद होगी. निवेशक को सब्र के साथ इस बचत को शुरू करना चाहिए. बूंदबूंद पानी से घड़ा भरने में सब्र की जरूरत होती ही है. पर यह बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के हो जाता है.

नियमित बचत छोटे कामधंधा करने वालों के लिए बेहद जरूरी और उपयोगी होती है. ऐसे में इस की ओर सभी ध्यान दें. आरडी से मिले पैसे की एफडी कर दें. ऐसे में छोटी बचत से बड़ी बचत की ओर निवेश बढ़ता जाएगा. जरूरत केवल इस बात की होती है कि बचत की आदत पड़े और धैर्यपूर्वक नियमित बचत का सिलसिला जारी रहे. इस से बड़ी बचत का लाभ मिलेगा. जो लोग यह सोचते हैं कि एकमुश्त ही बड़ी बचत कर लें, वे असल में खुद को भुलावे में रखते हैं. बचत हमेशा छोटे निवेश से ही शुरू होती है.

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