महिलाओं को अपनी प्राथमिकताएं देखते समय यह देखना चाहिए कि बचत उन के काम के अनुकूल हो. नौकरीशुदा महिलाओं को बचत के सामान्य तरीके प्रयोग में लाने चाहिए. वे रिकरिंग डिपौजिट, फिक्स्ड डिपौजिट, शेयर मार्केट और एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान

का सहारा ले सकती हैं. नौकरीपेशा महिलाओं को हर माह एक तय रकम मिलती है. ऐसे में उन को उसी तरह से अपनी बचत योजना भी बनानी चाहिए. बिजनैस करने वाली महिलाओं के पास दूसरी तरह के बचत करने के तरीके होते हैं. बचत के पैसों को वे अपने बिजनैस में लगाती हैं. प्रौपर्टी की खरीदारी भी वे बचत के हिसाब से करती हैं.

निवेश के जानकार बताते हैं कि बिजनैस करने वाली महिलाओं को भी बैंक में बचत के उपाय जरूर करने चाहिए. इस की वजह यह है कि प्रौपर्टी, बिजनैस, शेयर बाजार और सोने की खरीदारी में जो इन्वैस्टमैंट होता है वह हार्डकैश नहीं माना जाता.

कई बार जरूरत पड़ने पर इस पैसे के मिलने में देरी होती है. ऐसे में कई बार बिजनैस करने वाली महिलाओं को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए बाजार से महंगी दर पर पैसा लेना पड़ जाता है. वहीं, यदि आप के पास बैंक में पैसा है तो उसे अपनी जरूरत के मुताबिक ले सकती हैं. ऐसे में बिजनैस करने वाली महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे अपनी बचत का एक हिस्सा कम से कम ऐसी बचत योजनाओं में जरूर लगाएं जहां उन को आसानी से पैसा वापस मिल सके.

कम उम्र में लंबे समय की बचत

आज कम उम्र में ही लड़कियां नौकरी करने लगती हैं. ऐसे में उन को अपनी बचत का एक हिस्सा ऐसी बचत योजनाओं में लगाना चाहिए जो लंबे समय के इन्वैस्टमैंट प्लान हों, जैसे पीपीएफ  यानी पब्लिक प्रौविडैंट फंड. इस में हर साल आप कुछ न कुछ पैसा जमा करती रहें. इस में 15 साल बाद एक अच्छी रकम एकत्र हो जाती है, जो जरूरत के समय काम आती है. पीपीएफ में ब्याजदर अधिक होती है.

एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान भी लंबे समय के लिए मददगार होता है. एसआईपी पीपीएफ से एक माने में अलग है. इस में पैसा शेयर बाजार से प्रभावित होता है. पीपीएफ  में एक फिक्स ब्याज की दर से पैसा मिलता है.

इसी तरह से आरडी यानी रिकरिंग डिपौजिट भी जरूरी होता है. इस में हर माह एक तय रकम जमा करने के बाद इसे पीपीएफ  में जमा कर सकते हैं. ऐसे में एकसाथ पैसे जमा करने का दबाव खत्म हो जाता है.

महिलाओं में बचत योजनाओं के बढ़ते क्रेज को देखते हुए बैंकों ने कुछ खास योजनाओं को महिलाओं के लिए शुरू किया है.

सुरक्षा के लिए भी करें बचत

आज महिलाओं पर आर्थिकरूप से घर का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. वे अपने घर की कमाऊ सदस्य भी होती हैं. ऐसे में अगर उन को किसी तरह की सुरक्षा या बीमारी संबंधी दिक्कत आती है तो पूरा घर प्रभावित होता है. अब महिलाओं के लिए भी जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा और हैल्थ बीमा बहुत जरूरी है.

बीमा को बचत योजना से अलग रख कर प्लान करना चाहिए. बीमा और बचत में अंतर होता है. ऐसे में बचत योजनाओं के साथसाथ बीमा योजनाओं को भी लेना चाहिए. इस में किसी तरह की दुर्घटना होने पर या बीमारी में खर्च के लिए पैसे मिल जाते हैं. आमतौर पर लोग, खासकर युवावर्ग, बीमा योजनाओं को प्रमुखता नहीं देते हैं. असल में बीमा योजनाएं भी बचत योजनाओं की ही तरह जरूरी होती हैं.

कई तरह की बीमा योजनाएं बाजार में हैं. ठीक से समझ कर योजनाओं का चुनाव करना चाहिए. कई बार बीमा करने वाली कंपनियां लुभावने प्रचार से लोगों को सही बात नहीं बतातीं, ऐसे में बीमा करने से पहले योजना और उस से जुडे़ बिंदुओं को समझ लेना चाहिए, जिस से बाद में किसी तरह का कोई भ्रम न रहे.

युवाओं को लगता है कि उम्र के इस दौर में बीमा की क्या जरूरत है ? यह सही धारणा नहीं है. आज खानपान और जीवनशैली ठीक नहीं है. ऐसे में युवावस्था से ही सेहत की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए. इस तरह की योजनाओं का लाभ युवाओं को उठाना चाहिए. युवावस्था की बचत जीवन में आगे काम आती है.

महिलाओं में हैल्थ की बहुत सारी परेशानियां पैदा होती हैं. ऐसे में स्वास्थ्य बीमा लेते समय खासतौर से जागरूक रहें. इस से बीमार होने पर खर्च का दबाव कम होगा जिस से परेशान नहीं होना पडे़गा. ऐसे में महिलाओं को अपने हिसाब से बचत करनी चाहिए. यह बचत केवल घरेलू बजट में कटौती तक ही सीमित नहीं रह गई है. अब बदलते दौर में यह बदल चुकी है.

बदलते दौर के हिसाब से बचत करने में भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर ही कदम उठाने चाहिए. बचत का मूलमंत्र सही तरह से खर्च करना है. ऐसे में अपने खर्चे जरूरत के हिसाब से ही करें, तभी सही तरह से बचत हो पाएगी.

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