दूध की खपत को ध्यान में रख कर जहां एक ओर दूध कंपनियां हर घर में पहुंचाने के लिए कमर कस रही हैं वहीं डीएमएस भी घाटे से उबरने की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं. यही वजह है कि डीएमएस को अमूल ने सब से ऊंची बोली लगा कर अपने नाम कर लिया है.

गुजरात से संबंध रखते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुकूमत में केंद्र सरकार की डीएमएस को अब गुजराती कंपनी अमूल को सौंपा जा रहा है. केंद्र सरकार के उच्च पदों पर जहां गुजराती कैडर के अधिकारी काबिज हैं वहीं अब गुजराती कंपनियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

घाटे में चल रहे डीएमएस का संचालन कर अमूल न सिर्फ उसे किराया देगी बल्कि वह करोड़ों रुपए की आमदनी भी अपने नाम करेगी. दरअसल, मोदी सरकार देशभर में हर क्षेत्र में गुजरातियों को बढ़ावा देने में जुटी है. उस की इस मुहिम का ही नतीजा है कि अब डीएमएस भी अमूल के हाथों में रहेगी.

मतलब साफ है कि आने वाले समय में अमूल कंपनी डीएमएस को अपने हाथ में ले लेगी. अमूल ब्रांड के मालिक गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन यानी जीसीएमएमएफ ने मदर डेरी को पछाड़ कर मुश्किलों में घिरी डेरी यूनिट दिल्ली मिल्क स्कीम यानी डीएमएस को चलाने की खातिर सब से ऊंची बोली लगाई है.

डीएमएस की संपत्तियों को इस्तेमाल करने के बदले में जीसीएमएमएफ ने 42.30 करोड़ रुपए के सालाना रैंट की पेशकश की, जबकि इस की तुलना में मदर डेरी ने 42.20 करोड़ रुपए का औफर दिया. बता दें कि डीएमएस की बोलियों को 27 नवंबर को खोला गया था.

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