सरकार देश में तंबाकू की खपत और इस के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए घरेलू स्तर पर कड़े नियम लागू कर चुकी है. पैकेट पर 85 प्रतिशत हिस्से पर लिखी तंबाकू से होने वाली चेतावनी पर सरकार ने जो रुख दिखाया है उसे देखते हुए लगता है कि उस की सख्ती पर किसी दबाव का असर नहीं पड़ेगा. तंबाकू कंपनियों ने सरकार पर यह नियम लागू नहीं करने के लिए जबरदस्त दबाव बनाया था. तंबाकू कंपनियों ने इस फैसले के विरोध में सिर्फ हड़ताल ही नहीं की, बल्कि कंपनियां बंद करने की भी धमकी दी. कई कंपनियों ने तो काम बंद कर दिया है और बेरोजगार हुए कर्मचारियों को ढाल बना कर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास भी किया. लेकिन सरकार ने उन की एक नहीं सुनी. अब इन कंपनियों पर और शिकंजा कसने के लिए इस क्षेत्र में विदेशी निवेश को भी पूरी तरह बंद करने की तैयारी चल रही है.

एफडीआई यानी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तंबाकू निर्माण के लिए पहले से ही प्रतिबंधित है लेकिन एफडीआई के जरिए तंबाकू कंपनियों को अब तक तकनीकी सहयोग देने के लिए एफडीआई की सुविधा थी. यहां तक कि प्रबंधन में सहयोग की प्रक्रिया भी चलती थी लेकिन नया नियम बनने से इस तरह की सुविधाओं के लिए एफडीआई को इजाजत नहीं होगी. मतलब तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पूरी तरह प्रतिबंधित होगा. इस का तंबाकू उत्पाद कंपनियों पर और गहरा असर पड़ेगा. सरकार का यह कदम उत्पादक और उपभोक्ताओं के प्रतिकूल है लेकिन देश के स्वास्थ्य पर इस का अनुकूल असर होगा. तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों से लोगों को मुक्ति मिलेगी.

सरकार को इसी तरह का कठोर कदम शराब के खिलाफ भी उठाना चाहिए. यह बहुत बड़ी बीमारी है. बीड़ीसिगरेट से परिवार का एक सदस्य ही प्रभावित होता है लेकिन शराब से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. शराब से मरने की खबरें अखबारों में छपती रहती हैं. घरों तथा गांव के गरीब परिवारों के सदस्यों के जहरीली शराब के कारण मारे जाने की घटनाएं आएदिन होती रहती हैं. जरूरत शराब पर भी पूर्ण प्रतिबंध की है.

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