अब विष्णु के एक और अवतार का नया उद्घोष हुआ है. महाराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता अवधूत वाघ ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विष्णु का 11वां अवतार बताया तो विपक्ष की ओर से मजाक उड़ना ही था. एकदूसरे को पौैराणिक नायक और खलनायक बताया जाने लगा. महिषासुर, बाणासुर जैसे तमाम असुरों के नामों से नवाजा जाने लगा.
दरअसल भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विष्णु का 11वां अवतार बताया था. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी विष्णु का 11वां अवतार हैं. देश का सौभाग्य है कि हमें मोदी के रूप में भगवान जैसा नेता मिला है.
इस बयान के बाद महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा कि यह देवताओं का अपमान है. कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने विष्णु अवतार की जगह महिषासुर बता दिया.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने तो भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ की इंजीनियरिंग डिग्री की असलियत पर ही सवाल उठा दिया और डिग्री की जांच की मांग कर डाली.
वाघ वीरमाता जीजाबाई टैक्नोलौजी इंस्टीट्यूट [वीजेटीआई] से इंजीनियरिंग स्नातक हैं. यह एशिया में सब से पुराना इंजीनियरिंग संस्थान बताया जाता है जो 1887 में स्थापित हुआ था. यह पहले विक्टोरिया जुबली टैक्नोलौजिकल इंस्टीट्यूट कहलाता था.
अवतारों की मानसिकता से देश उबर नहीं पाया है. देश में अवतारों को अवतरित कराने का ढोंग सदियों से चल रहा है. इस तरह के काम भाजपा और संघ की सत्ता में अधिक होते देखे गए हैं. केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में पौराणिक पात्रों को ले कर जितना प्रचारप्रसार हुआ है उतना शायद किसी अन्य काम का नहीं हुआ होगा.
वह चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुंबई के रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में कर्ण और गणेश के बारे में दिया गया बयान होे, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव दास का सीता को ले कर टेस्टट्यूब बेबी तकनीक का हो या राजस्थान भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का गाय द्वारा आक्सीजन छोड़ने को ले कर दिया गया ज्ञान हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि महाभारत में पूरे देश ने पढा है कि कर्ण को अपनी मां के गर्भ से कैसे पैदा नहीं किया गया था. उस समय आनुवांशिक विज्ञान मौजूद था. मोदी ने गणेश के हाथी का सिर लगे होने को उस समय प्लास्टिक सर्जरी की अवधारणा करार दिया था.
पौैराणिक सोच अब भी दिमागों पर हावी है. अनपढ, कम पढेलिखों की बात तो क्या, उच्च शिक्षित लोग भी अवतारों की अवधारणा के शिकार नजर आते हैं.
पहले से ही इस देश में व्यक्तिपूजकों की कोई कमी नहीं है. अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, रजनीकांत जैसे लोगों के मंदिर बने हैं. कुछ लोग इन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं. सदियों ने इन जाने कितने देवीदेवता गढे गए. उन को ले कर कल्प कथाएं रची गईं.
आश्चर्य नहीं कि आगे चल कर कथा रच दी जाएगी कि भारतभूमि पर पाप, अत्यार बहुत बढ गया था. चारों ओर अधर्म फैल गया था. साधुसंतों, बाह्मणों को परेशान किए जाने लगा था. उन के जप, तप में विघ्न पैदा किया जाने लगा था. शूद्र और दलित ईश्वरीय वर्णव्यवस्था पर चलने से हटने लगे थे इसलिए गौ, ब्राह्मण और साधुसंतों के उद्घार के लिए नरेंद्र मोदी ने अवतार लिया था.
अवतार गढ़ने वाले देश के लोग व्यक्तिपूजा के अंध समर्थक रहे हैं. उन्हें चमत्कारों पर हमेशा से भरोसा रहा है. साधारण आदमी पर चमत्कारी होने की आस्था रखने वाले अगर किसी को अलौकिक अवतार करार देते हैं तो यह जड़बुद्धि की पराकाष्ठा ही है.