सोशल नैटवर्क साइट पर एक राजनीतिक ‘पोस्ट’ पर हुई बहस के दौरान कुसुम का परिचय रमेश से हुआ. सामाजिक या राजनीतिक चाहे कोई भी मुद्दा हो, दोनों हर बहस में भाग लेते थे. अब चूंकि दोनों एक ही शहर से थे, इसीलिए वे दोनों विभिन्न मुद्दों पर निकलने वाले जुलूस, धरनाप्रदर्शन में भी भाग लेने लगे. अब परिचय दोस्ती में बदल गया और फिर दोनों के बीच चैटिंग की शुरुआत हुई. दिन में कई बार दोनों चैट करते. धीरेधीरे यह सिलसिला देर रात तक भी चलने लगा. पहले तो यह सिर्फ टैक्स्ट चैट तक सीमित था, लेकिन बाद में यह मामला वैबकैम चैट तक पहुंच गया. रमेश अब कभीकभार कुसुम के घर भी जाने लगा था. इस बीच दोनों के मन में एकदूसरे के लिए जगह बनने लगी.
एक दिन रमेश ने दोस्तों के साथ 4-5 दिन के लिए शहर से बाहर दीघा घूमने की योजना बनाई और कुसुम को भी साथ चलने को कहा. कुसुम पहले तो तैयार नहीं हुई, लेकिन जब रमेश ने इस ट्रिप में और भी कई लड़कियों, खासतौर पर अपने दोस्त की बहन के भी साथ जाने की बात कही तो कुसुम मान गई. उस ने अपनी मां को भी इस बात के लिए बड़ी मुश्किल से तैयार किया. तय हुआ कि सभी दीघा स्टेशन पर मिलेंगे. कोलकाता से कुसुम और रमेश एकसाथ रवाना हुए, लेकिन 4-5 दिन के बाद भी कुसुम घर नहीं लौटी और लगभग 2 हफ्ते बाद दीघा के झाऊवन से कुसुम की लाश मिली.
कुसुम को नएनए दोस्त बनाने का बड़ा शौक था. जिस किसी से भी वह मिलती, खुल कर मिलती थी. खाली समय में उस का अधिकतर समय सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर ही बीतता था. इन सोशल साइट्स पर वह अपनी निजी सूचनाओं को भी बेधड़क शेयर किया करती थी. जाहिर है, उस के निजी जीवन के बारे में रमेश को पूरी खबर थी. कुल मिला कर सोशल साइट्स पर कुसुम का जीवन एक खुली किताब था, लेकिन सोशल नैटवर्किंग के सामान्य नियम की न तो उसे कोई जानकारी थी और न ही इस की उसे परवा थी.
मानव एक सामाजिक प्राणी है. ऊपरी तौर पर इस बारे में शक की कोई गुंजाइश नहीं है. आज लोग सोशल साइट्स के जरिए अपना एक अलग गु्रप बना रहे हैं. क्या बच्चे, बुजुर्ग सभी इन सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर अपना नाम लिखवा रहे हैं. एक ही गु्रप में लोग समाज, देशदुनिया के विभिन्न मुद्दों पर बहस कर रहे हैं. इस से सोशल नैटवर्किंग साइट्स की ताकत दिनोदिन बढ़ती जा रही है. कोई भी उत्पाद बनाने वाली कंपनी हो या राजनीतिक पार्टियां सभी एक हद तक सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं, बल्कि सोशल नैटवर्किंग साइट्स आजकल राजनीति का रुख बदलने, सरकारी नीतियों के बननेसुधरने में अहम भूमिका निभा रही हैं और जहां तक आम लोगों का सवाल है तो सोशल साइट्स की बदौलत इन का दायरा भी निसंदेह बढ़ जाता है.
सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर लोगों के व्यवहार पर शोध करने वाले अनिर्वान चौधरी का कहना है कि इन तमाम सहूलतों के बावजूद सोशल नैटवर्किंग साइट्स बहुत सारी समस्याएं हैं. सोशल साइट्स के जरिए कोई भी, कहीं भी अपनी ऐंट्री दर्ज कर सकता है, इस से यूजर्स के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाने का खतरा होता है. इन सब से बचने के लिए सोशल नैटवर्किंग साइट्स के नियमों की पूर्ण जानकारी होना जरूरी है.
कुसुम के संदर्भ में अनिर्वान का कहना है कि आजकल लोगों का सामाजिक होना ईसोशलाइजिंग का पर्याय बन गया है. हो सकता है कि हम अपने आसपड़ोस में किसी को जानतेपहचानते न हों, लेकिन सोशल साइट्स के जरिए हमारे फैंड्स की सूची बहुत लंबीचौड़ी हो सकती है. आज की जीवनशैली और कैरियर इतना बदल चुका है कि पुराने अर्थों के परिपे्रक्ष्य में देखा जाए तो हर 10 में से एक व्यक्ति असामाजिक कहलाएगा और हो भी क्यों न, नौकरीचाकरी की अवधारणा बदल जो गई है. सुबह 10 से 5 बजे तक औफिस समय जैसा अब कुछ रह नहीं गया है. इस के अलावा बहुत सारे लोग हैं जो रात को काफी देर से घर लौटते हैं और सुबह जल्दी चले जाते हैं. ऐसे लोग अपने आसपड़ोस को भला कितना जान पाएंगे.
भीड़ में कैसे चुनें दोस्त
सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर पल में दोस्त बन जाते हैं. दोस्ती के मामले में सावधान रहने की जरूरत होती है, लेकिन युवा फ्रैंड्स की संख्या को ज्यादा तवज्जो देते हैं और हर रिक्वैस्ट को कन्फर्म कर देते हैं, जबकि उन्हें सावधानी बरतते हुए दोस्त बनाने चाहिए. हालांकि पेशेवर सोशल नैटवर्किंग साइट पर किसी अनजान व्यक्ति के साथ कनेक्शन बनाना आसान नहीं होता, पर फेसबुक पर यह संभव है. इसलिए युवाओं को यहां सजग रहने की जरूरत है. सवाल है कि किसी अनजान व्यक्ति को दोस्त बनाना कहां तक जायज है? किसी भी साइट पर अनजान व्यक्तियों की भीड़ में से किसी को दोस्त बनाने से पहले उस का प्रोफाइल अच्छी तरह परखना जरूरी है. अगर प्रोफाइल में कहीं कुछ आपत्तिजनक लगे तो संभल जाना चाहिए. थोड़ी सी सावधानी अवांछित परिस्थितियों से हमें बचा सकती है.
कितना और क्या दर्ज करें
सोशल साइट्स का इस्तेमाल जरूर करें, लेकिन सावधानी बरतते हुए. क्योंकि आप की एक लापरवाही आप को मुसीबत में डाल सकती है. इन पर बनाए प्रोफाइल के जरिए आप की एक इमेज तैयार हो जाती है. यहां आप अपने बारे में बुनियादी जानकारी दर्ज कर सकते हैं, लेकिन यहां थोड़ा स्मार्ट होने की जरूरत है यानी अपने निजी तथ्यों को किस हद तक दर्ज करना चाहिए, यह तय करना बहुत जरूरी है. आमतौर पर सलाह यही दी जाती है कि गलत तथ्य देने के बजाय कुछ जगहों को खाली छोड़ दिया जाए. इस में कोई हर्ज नहीं है, वहीं अपने प्रोफाइल में प्रवेश करने की अनुमति की ‘चाबी’ भी आप के ही हाथ में होती है. इसलिए खुद ही तय करें कि आप का प्रोफाइल कौनकौन देख सकता है. यही बात ब्लौग के मामले में भी लागू होती है. बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपने ब्लौग में बेबाक हो जाते हैं, अपने पूरे विचार उड़ेल कर रख देते हैं. ऐसे में एक की बेबाकी दूसरे के लिए परेशानी का सबब बन सकती है.
पेशेवर इस्तेमाल
सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर शिरकत करने के अनुशासन का जिक्र करते हुए अनिर्वान कहते हैं कि सोशल नैटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल पेशेवर तरीके से भी किया जा सकता है. सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर जीवन की अलग धारा बहती है इसलिए यहां भी अनुशासन एक माने रखता है. अनुशासित हो कर सोशल नैटवर्किंग साइट्स का लाभ पेशेवर तौर पर उठाया जा सकता है. बहुत सारी पेशेवर सोशल नैटवर्किंग साइट्स हैं, जहां ‘कनैक्शन’ जुड़ते चले जा सकते हैं और एकदूसरे को प्रमोट करने की भी गुंजाइश है. जाहिर है यहां अपार संभावनाएं हैं. बस, जरूरत है उपयुक्त तलाश की. अगर सही रास्ता मिल गया तो कैरियर को नई दिशा मिल सकती है.