‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन तेंदुलकर और दुनियाभर के क्रिकेट फैन्स के लिए 16 नवंबर 2013 की तारीख बेहद खास है. यह एक ऐसी तारीख है, जिसे कोई भी भारतीय अपने जेहन से नहीं निकाल पाएगा. यही वह दिन है, जिस दिन सचिन ने कहा था- ’22 यार्ड के बीच की मेरी 24 वर्ष की जिंदगी का अंत आ चुका है’.
उनके इस वाक्य के बाद हर भारतवासी की आंखों में बस आंसू थे. क्रिकेट फैन्स की आंखें नम थीं, क्योंकि अब वह ‘क्रिकेट के भगवान’ को बल्ला थामे अब क्रिकेट के मैदान पर नहीं देख पाएंगे. सचिन ने 16 नवंबर 2013 के दिन ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.
अब स्टेडियम में बैठे उनके फैन्स सचिन, सचिन, नहीं कह पाएंगे, क्योंकि उनका सचिन मैदान पर अब नहीं आएगा. 24 वर्षों तक चले अपने क्रिकेट करियर को जब सचिन रमेश तेंदुलकर ने अलविदा कहा तो वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं.
सचिन तेंदुलकर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए दूसरे और अंतिम टेस्ट मैच में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इस मैच को भारत ने तीसरे दिन एक पारी और 126 रन से जीत लिया था. साथ ही भारत ने इस सीरीज को 2-0 से अपने नाम किया था. सचिन के लिए यह एक यादगार विदाई थी, क्योंकि उन्होंने अपने करियर तो जीत के साथ अलविदा कहा था.
मैच के आखिरी दिन सचिन के अपनी स्पीच से पूरी दुनिया को इमोशनल कर दिया. सचिन ने काफी लंबी स्पीच दी थी, जिसे कहते हुए वह खुद तो भावुक थे ही साथ ही इस स्पीच को सुनने वाले हर शख्स की आंखों में आंसू भरे हुए थे.
सचिन ने कुछ ऐसे की अपनी स्पीच की शुरुआत- ”पिछले 24 साल से मेरी जिंदगी 22 यार्ड के बीच गुजरी है. यह यकीन करना मुश्किल है कि उस शानदार सफर का आखिरी पड़ाव आ गया है. मैं सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने मेरी जिंदगी में कोई न कोई भूमिका अदा की है. पहली बार मेरे हाथों में लिस्ट है. बात करना मुश्किल हो रहा है लेकिन मैं कोशिश करूंगा.”
सचिन ने इस मौके पर अपने परिवार, दोस्तों और साथी खिलाड़ियों के साथ हर उस शख्स का शुक्रिया अदा किया, जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण रहा है. सचिन ने इस मौके पर अपनी पत्नी अंजलि का भी शुक्रिया अदा किया. सचिन ने कहा, ”1990 में मेरी जिंदगी में सबसे खूबसूरत लम्हा आया जब मेरी अपनी पत्नी अंजलि से मुलाकात हुई.
जब हमने घर बसाने का फैसला किया, तो उसने कहा वह उसका ख्याल रखेगी. तुम क्रिकेट खेलो मेरा साथ निभाने और मेरी बकवास सुनने के लिए शुक्रिया. तुम मेरी जिंदगी की सबसे बढ़िया पार्टनरशिप हो जो भी मैंने कभी की है.”
सचिन की यह बातें सुनकर मैदान पर खड़ी उनकी पत्नी भी रोने लगी थीं. आखिर में सचिन ने कहा, ”मैं आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. आपका सपोर्ट मेरे दिल के करीब और मेरे लिए बेशकीमती है. मैं इतने सारे लोगों से मिला हूं, जिन्होंने मेरे लिए उपवास रखा, मेरे लिए प्रार्थना की. इस सबके बिना मेरी जिंदगी आज वह नहीं होती जो है. वक्त पंख लगाकर उड़ जाता है, लेकिन आप लोगों ने मेरे लिए जो यादें छोड़ी हैं वह हमेशा मेरे साथ रहेंगी. विशेषकर सचिन, सचिन, की वह आवाज जो आखिरी सांस तक मेरे कानों में गूंजती रहेगी.
”शुक्रिया. अगर मुझसे कुछ छूट गया है तो मेरा मानना है कि आप समझ सकेंगे.”
सचिन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का यह आखिरी दिन बना और पूरी टीम ने उन्हें पवेलियन तक ‘गार्ड औफ हौनर’ दिया. सचिन भी नम आंखें लिए स्टंप उठाकर दर्शकों का अभिवादन करते हुए पवेलियन गए. सचिन, सचिन, के नारों के बीच तेंदुलकर वानखेड़े स्टेडियम की पिच को नमन करने गए.
गौरतलब है कि सचिन तेंदुलकर को ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है. इस बात का प्रमाण उनका करियर है. महान बल्लेबाज ने 200 टेस्ट खेले हैं, जिसमें 53.78 की औसत से 15,921 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 51 शतक और 68 अर्धशतक जमाए हैं.
टेस्ट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 248* रहा. वन-डे में सचिन ने 463 मैच खेले और 49 शतक व 96 अर्धशतक की मदद से 18,426 रन बनाए. वन-डे में सचिन का सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 200 रन रहा.