अगर यह कहा जाए कि रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन जल ही जीवन है तो यह गलत नहीं होगा. खाने के बिना इनसान कई दिनों तक जी सकता है, पर जल के बिना कुछ दिन भी नहीं रह सकता. पानी सिर्फ प्यास बुझाने के ही नहीं, खाना बनाने, घर की साफसफाई, स्नान से ले कर उद्योगधंधों व खेतीबाड़ी तक के लिए बेहद जरूरी है.
जरूरी है पानी की शुद्धता
सिर्फ पानी का होना ही पर्याप्त नहीं, इस का शुद्ध और हैल्दी होना भी बेहद जरूरी है. पानी में कई तरह के नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया, घुलनशील तत्त्व और ठोस अशुद्घियां मौजूद हो सकती हैं. ऐसे में अशुद्ध पानी का सेवन हमें बीमार कर सकता है. यह उलटी, डायरिया, टायफाइड, पोलिया, पीलिया आदि होने का कारण बन सकता है. गंदे पानी से स्नान करने से त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें- 10 टिप्स: बरसात में फूड पौयजनिंग से ऐसे बचें
टीडीएस लैवल
पानी में कुल घुलित ठोस यानी टीडीएस लैवल का ध्यान रखना जरूरी है. पानी में कई तरह के खनिज जैसे मैगनीशियम, कैल्सियम, सोडियम आदि घुले होते हैं. इस के अलावा कम मात्रा में मगर खतरनाक घुलित ठोस पदार्थ भी होते हैं. जैसे आर्सेनिक फ्लूराइड और नाइट्रेट वगैरह. आमतौर पर पीने के पानी में टीडीएस लैवल 500 एमजी प्राप्त लिटर से अधिक नहीं होना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 से 150 का स्तर बेहतर बताया है.
पानी शुद्ध करने के तरीके
पानी को शुद्ध करने का सब से पुराना और आसान तरीका है छानना. किसी कपड़े या छलनी से पानी को छान लिया जाता है. मगर इस तरीके से केवल ठोस पदार्थ ही बाहर निकलते हैं, घुलनशील गंदगी दूर नहीं होती.
पानी को शुद्ध करने का दूसरा तरीका है उसे उबालना. कम से कम 15-20 मिनट तक पानी को तेज आंच पर उबाला जाता है. इस से उस में मौजूद नुकसानदेह बैक्टीरिया मर जाते हैं.
ये भी पढ़ें- सोना, कितना सोना है
रसायनों का प्रयोग कर के भी पानी को शुद्ध किया जाता है. आमतौर पर इस के लिए क्लोरीन और आयोडीन का इस्तेमाल होता है. इस से हानिकारक बैक्टीरिया आसानी से हटा दिए जाते हैं. पर इस पानी को भी पूरी तरह शुद्ध और हैल्दी नहीं कहा जा सकता.
बहुस्तरीय शुद्घिकरण द्वारा भी पानी को साफ किया जाता है. पर इस में बिजली के प्रयोग के बगैर भी कई स्तरों पर पानी साफ किया जाता है. प्रीफिल्टर प्यूरीफिकेशन ऐक्टीवेटेड कार्बन प्यूरीफिकेशन, बैक्टीरिया का खात्मा और अंत में पानी का स्वाद भी बेहतर किया जाता है.
आरओ सिस्टम
पिछले कुछ समय से बाजार में जल श्ुद्घिकरण की नई तकनीक आ गई है. थोड़ी महंगी होने के बावजूद यह लोगों को काफी पसंद आ रही है. इस में पानी पूरी तरह शुद्ध हो जाता है. आरओ यानी रिवर्स आसमोसिस प्रोसैस, जिस के तहत पानी को तेज दबाव में साफ किया जाता है. यह काफी प्रभावशाली तरीका है.
आरओ सिस्टम के अंतर्गत मुख्य रूप से 5 चरणों में सफाई होती है. पानी में मौजूद ठोस और घुलनशील गंदगी व बैक्टीरिया की सफाई कर इसे मीठा भी बनाया जाता है. खासतौर पर यदि टीडीएस की मात्रा एक खास स्तर से बढ़ जाती है तो आरओ एक बेहतरीन उपाय है.
ये भी पढ़ें- अल्जाइमर रोग दूर करने में आहार की भूमिका
मगर बाजार में उपलब्ध ज्यादातर आरओ प्यूरीफायर स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह मुफीद नहीं होते. पानी में पहले से टीडीएस की मात्रा कम हो तो आरओ के प्रयोग से टीडीएस ज्यादा ही कम हो जाता है. आरओ पीने के पानी से जरूरी मिनरलस भी बाहर कर देता है. लंबे समय तक इस के इस्तेमाल से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
अब बाजार में टीडीएस कंट्रोल तकनीक से लैस प्यूरीफायर उपलब्ध हैं. इन के प्रयोग से पानी में टीडीएस की मात्रा का बैलेंस बना रहता है.
इसी तरह नसाका प्यूरिफायर में ओआरपीएच तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिस के द्वारा जरूरी मिनरल्स पानी में शामिल कर दिए जाते हैं. इस तकनीक के द्वारा पानी का ओआरपी एवं पीएच लैवल भी सामान्य बना रहता है.
एक बेहतर ओआरपीएच तकनीक वाले आरओ का पानी पीने के लाभ
ओआरपीएच तकनीक का उपयोग करते हुए पानी 100% शुद्ध , सुरक्षित एवं स्वास्थ्यवर्धक हो जाता है.
यह शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.
शरीर की त्वचा निखर जाती है.
बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है.
ये भी पढ़ें- बारिश के मौसम में ऐसा होना चाहिए खानपान
बेहतर स्वाद
बेहतर जल होने की वजह से कैंसर, रक्तचाप, हृदय की समस्याएं, त्वचा रोग जैसी बीमारियों से बचाव और ऊर्जा स्तर का सामान्य बने रहना.
अब भारत में नई तकनीक आ गई है और बहुत सी मशहूर कंपनियां इस तरह के आरओ का निर्माण करने लगी हैं, जो पानी में आवश्यक मिनरल्स शामिल करते हैं और पीएच लैवल भी मैंटेन रखते हैं. आप को इस तरह के आरओ आसानी से बाजार में मिल जाएंगे.