लोकतांत्रिक सरकारों के गलत फैसलों से ज्यादा नुकसानदेह बात होती है उनका अपने गलत फैसलों को सही साबित करने की झख और जिद पर अड़ जाना. नोटबंदी की सालगिरह या बरसी अपनी अपनी सहूलियत से कुछ भी कह लें, पर यही हुआ. मोदी सरकार के मंत्री देश भर में शहर शहर नोटबंदी के फायदे गिनाते रहे. रट्टू तोतों की तरह बोलते इन मंत्रियों में से एक नई बात कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भोपाल में यह कहते बताई कि नोटबंदी से देहव्यापार में भी कमी आई है.
न मौका था न मौसम था और न ही दस्तूर था फिर भी जोश के समुद्र में गोते लगा रहे रविशंकर जाड़ों की एक गुलाबी शाम में इस आदिम कारोबार का जिक्र कर ही बैठे तो यह बात नोटबंदी से भी ज्यादा बेतुकी और बेहूदी थी, जिसे लेकर कांग्रेस ने उन पर चढ़ाई करने का सुनहरा मौका गंवाया नहीं.
नोटबंदी के फायदों की इस अदभुत मिसाल पर कांग्रेस ने उनसे देहव्यापार का विवरण मांगते कहा कि रविशंकर प्रसाद बताएं कि देश भर में देहव्यापार कहां कहां रजिस्टर्ड यानि कानूनन मान्य है और नोटबंदी के पहले और बाद में उसके औसत आंकड़े क्या क्या हैं. इस सवाल पर रविशंकर उस पंडे जैसे बगलें झांकते नजर आए जो पूजा पाठ के दौरान संस्कृत में मंत्र तो पढ़ देता है पर पूछने पर उसका मतलब नहीं बता पाता.
गौरतलब है कि पिछले साल 8 नवंबर की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का तुगलकी फरमान जारी किया था. उन्होंने भ्रष्टाचार, कालेधन और आतंकवाद जैसी समस्याओं के काबू होने की बात करते सवा सौ करोड़ देशवासियों को नोट बदलने की लाइन में लगने मजबूर कर दिया था. उस वक्त कैसी अफरातफरी मची थी यह विपक्षियों ने अपने अपने तरीके से जगह जगह प्रदर्शन करते अपनी लोकतान्त्रिक जिम्मेदारी निभाई.
लेकिन देहव्यापार का जिक्र पहली बार हुआ, मानो यह कोई भीषण अपराध हो, हां धार्मिक कट्टरवादी जरूर देहव्यापार को घिनौना और समाज को पतन की तरफ ले जाने वाला पाप बताते रहते हैं, तो यह उनके धार्मिक पूर्वाग्रह और कुंठाए हैं. यह सच है कि नोटबंदी की बड़ी मार वेश्याओं, कालगर्ल्स और बार बालाओं पर भी पड़ी थी, लेकिन इससे यह धंधा कम नहीं हो गया था, बल्कि उनकी आमदनी कम हो गई थी. नोटबंदी के दौरान तमाम रोज्मर्राई जरूरी चीजों के भावों में उतार चढ़ाव आए थे और हैरतअंगेज तरीके से जिस्म के भाव गिरे थे, क्योंकि सवाल जिस्म का कम उससे पलने वाले पेटों का ज्यादा था, जिससे किसी रविशंकर को कोई सरोकार न तब था न आज है.
भोपाल की ही एक हाइप्रोफाइल कालगर्ल की मानें, तो इन मंत्री जी को कुछ बोलने से पहले यह देख लेना चाहिए था कि इसी भोपाल में मध्य प्रदेश में और पूरे देश में देहव्यापार पुलिस के संरक्षण में होता है, पकड़े तो वे चार पांच फीसदी लोग या लड़कियां जाती हैं जो हफ्ता या महीना वक्त पर नहीं पहुंचाती, यह कारोबार अरबों खरबों का है, जिसे अगर कानूनी जामा पहना दिया जाये तो सरकार की सारी दरिद्रता (गरीबी) दूर हो जाएगी. जो पैसा अभी घूस की शक्ल में पुलिस वाले, दलाल और दूसरे रसूखदार खा रहे हैं, वह टैक्स की शक्ल में सरकारी खजाने में पहुंचेगा तो आम लोगों के सर से भी दूसरे करों का भार कम होगा.
बात में दम इस लिहाज से भी है कि हर कोई मानता है कि देहव्यापार खत्म नहीं हो सकता और इसे कुछ बन्दिशों के साथ या शर्तों पर अपराध की श्रेणी से बाहर रखना कोई हर्ज की बात नहीं. यहां मकसद देहव्यापार की वकालत कम वेश्याओं को शोषण से मुक्त करने कराने की ज्यादा है, जिस पर रविशंकर जैसे मंत्रियों को बजाय नाकभों सिकोड़ने के या इसे जिल्लत ज़लालत वाला काम बताने के गंभीरतापूर्वक पहल करनी चाहिए.