एक शोध के मुताबिक हर साल फसलों की उपज का 20 फीसदी कीटों द्वारा व 26 फीसदी रोगों द्वारा खराब होता है. किसी भी फसल में बीमारियों से होने वाला नुकसान महामारी का रूप ले लेता है. यहां तक कि इस के प्रकोप से पूरी फसल तबाह हो जाती है. ज्यादातर फसलों में कीटों व रोगों का संक्रमण जमीन, वायुमंडल व बीजों के द्वारा ही होता है. फसल के रोगी बीजों को अगले साल बोने पर रोग के लक्षण दिखाई पड़ते हैं. इस से हर साल किसानों को काफी नुकसान होता है. अब बीजजनित व भूमिजनित रोगों के इलाज के लिए एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसे बीजशोधन कहते  हैं. इस से फसलों की रोगों से हिफाजत होती है और अनुमानित पैदावार के साथसाथ आमदनी भी बढ़ती है. आइए तफसील से जानते हैं बीजशोधन और उस के फायदों के बारे में.

क्या है बीजशोधन

फसलों में रोगों का हमला भूमि, वायु व बीजों के जरीए ही होता है. बीजशोधन का खास मकसद बीजजनित, वायुजनित व जूमिजनित रोग कारकों के खिलाफ सुरक्षा कवच बनाना है. रसायनों व बायोएजेंट्स से शोधित कर देने से बीजों व मिट्टी में पाए जाने वाले बीमारियों के बीजाणु नष्ट हो जाते हैं.

कैसे होता है बीजशोधन

बोआई से पहले बीजों को शोधित करने के लिए खास रसायनों व बायोएजेंट्स वगैरह को पानी में मिला कर घोल तैयार करते हैं. घोल को बीजों में इस तरह मिलाते हैं कि हर बीज पर एक मोटी सी परत बन जाए, इस से बीज के साथ पाए जाने वाले बीजाणु व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि परत के अच्छी तरह सूखने के बाद ही बीजों की बोआई करनी चाहिए.

बीजशोधन के फायदे

बीज शोधित हो जाने से अगली फसल बीजजनित, भूमिजनित और वायुजनित रोगों से बच जाती है. ऐसे बीजों की दोबारा बोआई करने पर रोग के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते. अरहर, चना व मटर के उकठा रोग सहित कई रोगों का इलाज सिर्फ बीजशोधन से ही हो पाता है. इस तरह बीजशोधन से फसल की रोगों से हिफाजत के साथसाथ बंपर पैदावार भी हासिल होती है. खास बात यह है कि बीजशोधन से आगामी फसलों में अधिक खर्च से भी बचा जा सकता है. यकीनन इस से किसान भाइयों की माली हालत काफी अच्छी हो सकती है.              

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