मकई की खेती उन किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है, जो नदी के किनारे रहते है. मकई की खेती में मेहनत कम करनी पड़ती है और खर्च भी कम होता है. इस के अलावा मकई की फसल तैयार होने में वक्त भी कम लगता है. सब से खास बात तो यह है कि मकई की फसल तैयार हो जाने के बाद उसी खेत में धान की खेती भी आसानी से की जा सकती है, यानी किसान एक ही खेत में 2 फसलें आसानी से पैदा कर सकते हैं. जहां तक मकई की खेती में कम लागत में अधिक आमदनी होने की बात है, तो इस के बारे में किसानों का कहना है कि मकई की खेती करने में कुल मिला कर प्रति बीघा 12 से 15 क्विंटल उपज हासिल होती है. इस में तकरीबन 2 हजार रुपए का खर्च आता है और तकरीबन 16 हजार रुपए  की आमदनी होती है. इस फायदेमंद खेती के प्रति बड़ी तादाद में किसान आकर्षित हो रहे हैं. यहां तक देखने में आया है कि अपने पास उपजाऊ जमीन न होने के बाद भी तमाम किसान दूसरे लोगों की उपजाऊ जमीन को बंटाई पर ले कर मकई की खेती करते हैं. इस प्रकार से मकई की खेती नदियों के करीब रहने वाले किसानों की खास खेती बन गई है. यह खेती एक तरह से किसानों के जीने का सहारा बन कर उभरी है.            

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