हमारी एक परिचिता प्रतिवर्ष सावन माह के सभी सोमवार को व्रत रखती हैं, जिस में वे केवल फलाहार करती हैं. इस वर्ष उन्होंने अपने पति को जबरदस्ती व्रत रखवाया. तीसरे सोमवार को उन के पति का ब्लडप्रैशर एकदम लो हो गया और वे औफिस में ही चक्कर खा कर गिर पड़े. आननफानन उन्हें अस्पताल में भरती कराना पड़ा. डाक्टरों के अनुसार, लंबे समय तक भूखे रहने के कारण उन का बीपी लो हो गया, जिस के कारण उन की जान भी जा सकती थी. एक सप्ताह तक अस्पताल में रहने के बाद वे घर आ सके.

प्रतिभा अग्निहोत्री, उज्जैन (म.प्र.)

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हमारे एक साथी हैं जो वन विभाग में नौकरी करने के बाद रिटायर हो कर गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं. परिवार में उन की बूढ़ी मां भी हैं. वे काफी बुजुर्ग होने के कारण अब चलनेफिरने से मुहताज हैं. उन को गांव के ही एक पंडित ने बताया कि आप गाय को रोज एक रोटी दो, गाय को खिलाने से आप के सारे पाप कट जाएंगे और इस योनि से आप को मुक्ति मिल जाएगी. पंडित की यह बात उन के दिल में घर कर गई और प्रतिदिन वे एक रोटी गाय को खिलाने लगीं. एक दिन मेरे मित्र ने कहा, ‘‘मां, इन सब झंझटों में न पड़ो, जानवर का क्या भरोसा, किसी दिन वह हूंफ देगी तो आप गिर पड़ोगी, हाथपैर टूट जाएंगे,’’ लेकिन उन पर असर नहीं पड़ा. एक दिन वही गाय उन के हाथ से रोटी लेने के लिए दरवाजे पर ऐसी चढ़ी कि वे उस के धक्के से गिर पड़ीं और हाथपैर की हड्डियां टूट गईं. अब लाचार हो कर बिस्तर पर पड़ी रहती हैं, अपने हाथ से खाना खाने से भी मजबूर हैं. अंधविश्वास पता नहीं कितने लोगों को सताएगा?

कैलाश राम गुप्ता, इलाहाबाद (उ.प्र.)

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मेरे छोटे भाई की बस अड्डे के समीप कन्फैक्शनरी की दुकान है. वह साधुसंतों की खूब सेवा करता है. एक दिन जब मेरा छोटा भाई किसी शादी को अटैंड करने गया हुआ था, तब दुकान पर मेरे पास एक साधु आया. उस ने 1 रुपया मुझे देते हुए 5 रुपए वाली सिगरेट मांगी. मैं ने उस से 4 रुपए और मांगे, वह आगबबूला हो कर मुझ से कहने लगा कि यदि उसे गुस्सा आ गया तो वह यह सारा बिजनैस चौपट कर देगा और उस के एक मंत्र से मैं भी रहस्यमय बीमारियों की गिरफ्त में आ जाऊंगा. फिर उस साधु ने लोगों की भीड़ इकट्ठी कर ली और मुझ पर तरहतरह के लांछन लगाता रहा. धर्मभीरु भीड़ की नजर में मैं गुनाहगार था, जबकि मुफ्तखोर साधु एक सज्जन.

प्रदीप गुप्ता, बिलासपुर (हि.प्र.)

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