रसोई न केवल घर बल्कि पूरे परिवार का केंद्र होता है. यहीं से स्वास्थ्य, संतुष्टि, सौहार्द, स्नेह, समभाव व दूसरे अनेक भावों की सृष्टि होती है. अभिनेत्री करिश्मा कपूर हों या काजोल, श्रीदेवी हों या माधुरी दीक्षित नेने, जब वे कहती हैं कि वे अपने मातृत्व को रसोई से सार्थक मानती हैं लेकिन बच्चों व पति के लिए रसोई में कुछ बनाने में उन्हें बहुत सुखसंतोष मिलता है तो लगता है कि स्त्री का दिल रसोई में ही बसता है. यही वह जगह है जहां जिंदगी के हर रंग और स्वाद का मजा मिलता है. विवाह के सभी रस्मों को निभाते हुए एक नववधू जब नए परिवेश में नई रसोई में अपना पहला कदम रखती है तो उस के मन में अनेक सवाल, अनेक सपने जन्म ले रहे होते हैं. रसोई में पहले कदम से ले कर रसोई से जुड़े विभिन्न रंगों और स्वादों का सफर पेश है आप के सामने.
रसोई में पहला कदम
नेहा अपनी शादी की सभी रस्मोरिवाजों को निभाते हुए ससुराल पहुंची. वहां की रस्मोंरिवाजों को निभाते हुए जब रसोई में पहला कदम रखा तो उसे घबराहट होने लगी कि वह ऐसा क्या बनाए जिस से वह सब का दिल जीत ले. ऐसे में ससुराल का भय कि कहीं कुछ गलत हो गया तो मायके को ताने दिए जाएंगे. मायके में जैसा चाहे बना दो चल जाएगा पर ससुराल में तौबा. वैसे भी ‘फर्स्ट इंप्रैशन इज द लास्ट इंप्रैशन’ होता है. नेहा जैसी घबराहट हर नई दुलहन के मन में होती है. आइए, जानें नई दुलहन रसोई में कैसे जमाए अपने कदम.
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दुलहन की जिम्मेदारी
अगर नईनवेली दुलहन पहले से ही अपनी ससुराल की पसंद/नापसंद को समझ ले कि उन्हें वहां वालों को खाने में क्या अच्छा लगता है तो उसे नई रसोई में काम करने और परिवार वालों का दिल जीतने में आसानी होगी. पहले दिन रसोई में जाने से पहले अपनी सास से पूरा सहयोग लें, चाहे आप कितनी भी ऐक्सपर्ट क्यों न हों. इस से आप की इमेज अच्छी बहू की बनेगी. अपना अधिकार जमाना न शुरू कर दें क्योंकि जो सास सालों से रसोई संभाल रही है उसे बुरा लग सकता है. खुद को संयम में रखें. ज्यादा जल्दबाजी न करें. कोई चीज बनानी नहीं आती तो पूछने में कोई बुराई नहीं है. रसोई में अपनी ही न चलाएं कि हमारे मायके में तो ऐसे बनता है क्योंकि ससुराल और मायके की स्थिति व खानपान में अंतर हो सकता है. अपनी पसंद को ससुराल वालों पर न थोपें क्योंकि सब की अपनी पसंद होती है. आप सब की पसंद और रुचि के अनुसार काम करेंगी तभी आप परफैक्ट बहू बनेंगी.
सास का कर्तव्य
सास नईनवेली दुलहन के आते ही उस पर रसोई का पूरा भार न छोड़ें. उसे कुछ दिन ससुराल के नियमकायदों को समझने का समय दें. रसोई के पहले दिन दुलहन को पूरा सहयोग दें क्योंकि नए वातावरण में वह इतनी घबराई हुई होती है कि सही चीजें भी उस से गलत हो जाती हैं. सास अगर खाना बनाने में ऐक्सपर्ट हैं तो जरूरी नहीं कि आने वाली बहू भी ऐक्सपर्ट होगी. उस से ज्यादा अपेक्षाएं न रखें. अगर खाना बनाने में नई?दुलहन से कोई गलती हो जाए तो उसे प्यार से समझाएं. घर के लोगों की पसंदनापसंद के बारे में आप उसे सही ढंग से बता सकती हैं. धीरेधीरे उसे रसोई की जिम्मेदारी दें और उस की प्रशंसा भी करती रहें.
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रसोई में पौलिटिक्स
व्यस्ततम जीवनशैली में स्त्री का कार्यक्षेत्र सिर्फ घर और रसोई ही नहीं रह गया है. उस ने घर से बाहर की दुनिया में कदम रख कर अपनी जिम्मेदारी बढ़ा ली है. वह घर पर काम करती है, बाहर भी करती है, इसलिए वह थकती भी है पर इस पर ज्यादा सोचा नहीं जाता बल्कि तरहतरह की किचन पौलिटिक्स की जाती है.आजकल हर क्षेत्र में होती पौलिटिक्स ने रसोई को भी अछूता नहीं रखा है. पहले यह पौलिटिक्स टीवी सीरियलों तक सीमित थी लेकिन अब तो तकरीबन हर रसोई में पौलिटिक्स की घुसपैठ हो चुकी है. रसोई ऐसी जगह है जहां तूतू-मैंमैं होना स्वाभाविक है. सब अपने काम को रफैक्ट मानते हैं, जिस की वजह से गुपचुप बातें शेयर करने का यह अड्डा कभीकभी युद्ध का मैदान भी बन जाता है.
सास को लगता है कि वे वर्षों से रसोई संभाल रही हैं, इसलिए उन का काम करने का तरीका सही है. रसोई में सब उन के अनुसार काम करें. उधर आज के जमाने की बहू को लगता है कि रसोई ‘टू मिनट कौंसैप्ट’ पर आधारित होनी चाहिए ताकि काम फटाफट निबट जाए. कुछ बहुएं रसोई में सास की दखलंदाजी पसंद नहीं करती हैं और अगर इन के बीच नौकरानी का भी पार्टिसिपेशन हो जाए तो इन तीनों के बीच शीतयुद्ध हो जाता है. इस बारे में दिल्ली की 52 वर्षीय मोहिनी कहती हैं, ‘‘मेरी बहू रसोई में मुझ से ज्यादा स्पेस नौकरानी को देती है, जिस की वजह से नौकरानी मेरी कोई बात नहीं सुनती. अगर मैं उस से कुछ करने के लिए कहती हूं तो उलटा मुझे कहती है कि मेमसाहब ने ऐसा करने से मना किया है इसीलिए मैं नहीं कर सकती. यह सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आता है और मैं अपनी बहू व कामवाली दोनों को भलाबुरा सुनाने लगती हूं.’’
खटपट की वजह
रसोई में खटपट होने की कई वजहें हो सकती हैं. कुछ खास संभावित वजहें ये हैं:
स्वाद को ले कर :
सासबहू के बीच नोकझोंक इसलिए होती है क्योंकि सास को बहू का एक्सपैरिमैंट पसंद नहीं आता है. वह चाहती है कि बहू उन्हीं की तरह पारंपरिक खाना बनाए, मार्केट की रेडीमेड चीजों का कम प्रयोग करें.
पैक्डफूड को ले कर :
नए जमाने की बहू खाने के लिए पैक्डफूड का ज्यादा इस्तेमाल करती है. उसे लगता है कि पैक्डफूड से जब खाना मिनटों में तैयार हो जाता है तो कौन इतनी मेहनत करे. जबकि सास को लगता है कि खुद से बनाए खाने में जो स्वाद है वह पैक्डफूड में कहां. और इस बात को ले कर सासूमां अपनी बहू को ताने मारती हैं.
रसोई अव्यवस्थित होने पर :
रसोई जरा सी भी गंदी हो या जिस तरह से सजाई गई है, उस में थोड़ी सी भी छेड़छाड़ होने पर दोनों के बीच नोकझोंक हो ही जाती है.
समय का ध्यान नहीं रखने पर :
अगर किसी दिन बहू खाना बनाने में थोड़ा लेट हो जाती है तो सासूमां उसे ताना मारने में जरा भी देर नहीं करतीं.
मां के हाथ का खाना
स्त्रियों में यह वाक्य ‘मां के हाथों का खाना’ गर्व का कारण नहीं बनता. दरअसल, मां जितने प्यार व अपनत्व से बच्चों के लिए पोषण का ध्यान रख कर खाना बनाती हैं लोग पत्नी से भी वही भाव चाहते हैं. पत्नी उस भाव को लाने के बजाय मां यानी सास के हाथ के खाने की तारीफ से हटाने के लिए सास को ही रसोई से हटाने की भरसक चेष्टा करती है. उसे लगता है कि जब तक सास खाना बनाती रहेंगी, उस के खाने की कोई पूछ नहीं रहेगी.
एक मनोविज्ञानी का कहना है कि मां व बहन का खाना दिलोदिमाग में बसा रहता है क्योंकि किसी के भी जीवन में पत्नी या भाभी आदि का प्रवेश देर से होता है. इसलिए स्त्रियों को घर की महिलाओं का अनुकरण कर के सीखने में रुचि रखनी चाहिए न कि घुटघुट कर जीने या दूसरों के बनाए खाने में नुक्ताचीनी करने में.
एक कहावत है कि जब चार बरतन होंगे तो टकराएंगे जरूर लेकिन थोड़ी सी समझदारी और आपसी सूझबूझ से रिश्तों को मधुर बनाए रखा जा सकता है.
प्यार से सुलझाएं रिश्तों को
पारिवारिक रिश्ते नाजुक डोर से बंधे होते हैं. इस में हर छोटी बात दिल पर लग जाती है. अगर कभी रसोई की किसी बात को ले कर आप दोनों के बीच मनमुटाव हो भी जाता है तो रसोई की खटपट का असर अपने रिश्ते पर न पड़ने दें. रसोई से बाहर निकलते ही उस बात को भूल जाएं.
तूतू-मैंमैं करने के बजाय रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश करें. बहू को चाहिए कि वह सास के साथ मिल कर ही रसोई को मैनेज करे. वहीं, सास को चाहिए कि वे हमेशा बहू के कामों में नुक्स निकालने के बजाय उस की मदद करें और खुद नईनई, आधुनिक चीजों को सीखने की कोशिश करें ताकि आप आधुनिक सास के साथ परफैक्ट कुक भी बन जाएं.
– रेखा व्यास के साथ एनी और आभा