अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदू कट्टरता में विश्वास करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार को पूरा समर्थन व सहयोग देने का, बराबरी का, आर्थिक समझौतों का भरोसा तो दिलाया पर साथ ही जातेजाते यह भी कह गए कि भारत देश का संविधान धर्म की स्वतंत्रता देता है और धर्म के नाम पर अनुच्छेद 25 के अनुसार किसी से भेदभाव नहीं किया जा सकता.
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ जता दिया कि वे नई सरकार के धार्मिक कट्टरता फैलाने वाले गुपचुप प्रोग्राम से अनभिज्ञ नहीं हैं और उन्हें विकास व गुड गवर्नेंस के पीछे धार्मिक व्यापार को फैलाने की चेष्टा की जानकारी है. पर वे खुल कर यह नहीं कह पाए कि यह अनुच्छेद 25 असल में महिलाओं और परिवारों पर एक भारी दबाव डालने वाला भी सिद्ध हो रहा है. भारतीय संविधान का धार्मिक स्वतंत्रता जैसा सिद्धांत दुनिया के बहुत देशों में है पर हर देश में धर्म के व्यापारियों के हाथ में यह आम लोगों को बरगलाने वाला महाशास्त्र सा बना हुआ है जिस का विरोध करना या जिस की पोल खोलने का हक दूसरे धर्म वालों, सरकारों, अदालतों को तो छोडि़ए, उसी धर्म के विचारकों व सुधारकों को भी नहीं.
बराक ओबामा ने मोदी सरकार को चेतावनी दी है तो वहीं उन्होंने हिंदू व मुसलिम कट्टरपंथियों को यह एहसास कराया है कि वे सदियों पुराने धार्मिक रीतिरिवाजों को बिना संकोच, बिना किसी नियंत्रण के अपने भक्तों पर थोपते रहे और अपनी पोल खोलने वालों के मुंह पर ताले जड़ते रहे हैं. धर्म का अधिकार जो भारतीय संविधान देता है, किस काम का, किस के लिए और कौन इस का फायदा उठाता है? तिलक लगाना, टोपी पहनना, पूजापाठ करना, दान देना किस भक्त को कौन सा लाभ देते हैं कि सरकार व संविधान इन को थोपने वालों को संरक्षण दे और लोकतंत्र के महारक्षक अमेरिका के राष्ट्रपति इस का समर्थन करें?
इस देश में औरतों पर अत्याचार, उन के बलात्कार, बलात्कार के बाद उन्हें दोषी मानना, विवाह पर दहेज का बोझ, लड़की वालों का बारबार सिर झुकाना, औरतों को पूजास्थलों में धकेलना, विधवाओं को वृंदावन जैसी जगह छोड़ना, उन्हें सफेद कपड़ों में रहने देना, तलाक होने पर उन्हें ही दोषी करार देना सब धर्म की ही तो देन हैं. धर्म ने देश को ही नहीं, सारी दुनिया को खेमों में बांट दिया है. आज एक बार फिर नए साम्राज्य रुपएपैसे और शक्ति के लिए नहीं, धर्म के महत्त्व के नाम पर बन रहे हैं. पोप रोमन कैथोलिक साम्राज्य बनाने में लगे हैं; रूस के पुतिन और्थोडौक्स रूसी चर्च को दंभ दे रहे हैं; बोको हरम, इसलामिक स्टेट और तालिबानी कट्टर इसलाम को; तो भारत में हिंदुत्व का डंका बज रहा है. ये सब हर घर को धर्म का गुलाम बनाने में लगे हैं. धर्म की तरफदारी बराक ओबामा आखिर क्यों कर गए?