Patanjali Ads Case: पतंजलि के स्पैशल च्यवनप्राश के एड में ‘चलो, धोखा खाओ’ जैसे कैची फ्रेज इस्तेमाल किए गए थे. इस एड में बाबा रामदेव ये कहते दिख रहे हैं कि ‘ज्यादातर लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं’ पतंजलि के इस भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ डाबर इंडिया ने हाईकोर्ट में शिकायत अपील की थी. कोर्ट ने इस विज्ञापन को देखा और कहा कि ये दूसरे प्रोडक्ट्स को फेक या कमतर दिखाने की कोशिश है. डाबर का च्यवनप्राश भी इस में आ जाता है, जो अनफेयर है.

डाबर का आरोप था कि पतंजलि अपने विज्ञापन में डाबर के च्यवनप्राश को ‘सामान्य’ और आयुर्वेद की परंपरा से दूर बता कर प्रोडक्ट की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है. इस विज्ञापन में स्वामी रामदेव खुद यह कहते नजर आते हैं कि जिन्हें आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं वे च्यवनप्राश कैसे बना सकते हैं?

एक आम आदमी की नजर से देखें तो ये एड इम्प्रेशन क्रिएट करता है कि दूसरे प्रोडक्ट्स सिर्फ धोखा हैं. हाईकोर्ट ने पतंजलि को 72 घंटों में इस एड को नैशनल टीवी चैनल्स, स्ट्रीमिंग प्लेटफौर्म्स, डिजिटल, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया अकाउंट्स, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सभी शोशल प्लेटफौर्म से हटाने का निर्देश दिया.

जस्टिस तेजस करिया की बेंच ने कहा कि आप तुलना करने वाला विज्ञापन चला सकते हैं, लेकिन दूसरों को नीचा दिखाने वाला या गलत और भ्रामक स्टेटमेंट्स नहीं चलेंगे. पतंजलि के विज्ञापन पर यह रोक फरवरी 2026 तक लागू रहेगी.

डाबर और पतंजलि के बीच च्यवनप्राश मार्केट में काफी समय से टेंशन चल रही है. डाबर करीब 60% हिस्सेदारी के साथ इस सेगमेंट में मार्केट लीडर है, जबकि पतंजलि ने हाल ही में अपना स्पैशल च्यवनप्राश लौन्च किया. डाबर का कहना है कि पतंजलि का एडवर्टाइजमेंट न सिर्फ उन के प्रोडक्ट को बुरा दिखाता है, बल्कि पूरे च्यवनप्राश कैटेगरी को ‘धोखा’ कह कर उन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है. ये केस कमर्शियल डिस्पैरेजमेंट का है, जहां एक कंपनी दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करती है.

इस केस की अगली सुनवाई 26 फरवरी 2026 को होगी. तब मेरिट्स पर आर्ग्युमैंट्स होंगे और परमानेंट रिलीफ मिल सकता है. यह केस इंडस्ट्री के लिए बेंचमार्क सेट कर सकता है, जहां ब्रांड्स एकदूसरे को टारगेट करते हैं. डाबर को राहत मिली है, लेकिन पतंजलि अपील कर सकता है. मार्केट में च्यवनप्राश सेल्स पर असर पड़ेगा, क्योंकि कंज्यूमर्स अब विज्ञापनों पर ज्यादा सतर्क होंगे.

इस तरह के भ्रामक विज्ञापन और प्रचार पर बाबा रामदेव को पहले भी कोर्ट से फटकार लग चुकी है लेकिन अपनी दुकानदारी के लिए बाबा रामदेव लगातार ऐसे दुष्प्रचार करते आए हैं. अगस्त 2022 में इंडियन मैडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी तब आरोप लगे थे कि पतंजलि कोविड और दूसरी बीमारियों के इलाज के झूठे दावे कर रही है.

नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया, लेकिन आदेश के बाद भी कंपनी ने प्रचार जारी रखा.

27 फरवरी 2024 को कोर्ट ने पतंजलि को फिर फटकार लगाई और बाबा रामदेव-आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया. मार्च-अप्रैल 2024 में कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की. 2025 में बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट में माफीनामा दिया तब कोर्ट ने केस बंद किया. Patanjali Ads Case.

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