India Post Services: लेखक: डॉ. दीपक कोहली - डाक विभाग अब ई-कौमर्स और निजी कुरियर कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को पुनर्गठित कर रहा है. पार्सल सेवाओं, प्रीमियम ट्रैकिंग और एयर डिलीवरी जैसी सुविधाओं ने डाक विभाग को एक नए व्यावसायिक मोड़ पर ला दिया है. पर इस व्यावसायिकता की दौड़ में कहीं उस की सामाजिक भूमिका कमजोर न पड़ जाए.
वैसे तो डाकिए की अहमियत आज भी है लेकिन हमारे जमाने में डाकिए की एक अलग ही पहचान होती थी. घर के सभी लोग अपनेअपने पत्रों का इंतजार करते थे. क्योंकि तब मात्र डाकघर ही पत्रों के संप्रेषण का माध्यम हुआ करते थे. पोस्टकार्ड, लिफाफे, मनी आर्डर, टेलीग्राम आदि ही सूचना के माध्यम हुआ करते थे. इंटरनेट के इस जमाने में आज भी लोग डाक सेवा का प्रयोग कर रहे हैं. डाक पर लोगों का भरोसा आज भी उतना ही कायम है. डाक या पोस्ट एक शहर से दूसरे शहर तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है. इतना ही नहीं दुनिया के किसी भी देश में आप अपना संदेश डाक की मदद से पहुंचा सकते हैं.
डाक, डाकघर एवं डाकिया के महत्व को बताने के लिए दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 9 अक्तूबर को ‘वर्ल्ड पोस्ट डे’ मनाया जाता है. वर्ल्ड पोस्ट डे मनाने का उद्देश्य लोगों को डाक सेवाओं और डाक विभाग के बारें में जागरूक करना है.
वर्ष 1874 में इसी दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में इसी दिन को चयन किए जाने की घोषणा की गई. एक जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत पहला एशियाई देश था. जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा. संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन गई.
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