Red Fort Incident: 10 नवम्बर की शाम दिल्ली में हुए आतंकी बम ब्लास्ट से पूरा देश दहल गया. धमाका लालकिला के नजदीक बने मेट्रो स्टेशन के पास हुआ. इस आतंकी हमले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
10 नवम्बर की शाम 6.52 पर दिल्ली के लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट न. 1 के सामने भीड़ भरी सड़क पर विस्फोटकों से भरी हुंडई आई-20 कार में हुआ धमाका इतना भयावह था कि उस के 100 मीटर के दायरे में आने वाले तमाम वाहनों के परखच्चे उड़ गए. सड़क पर गाड़ियां और अन्य वाहन धूंधूं कर जल उठे. लाल किले के समीप ट्रैफिक लाइट पर रुकने के बाद उस कार में अचानक विस्फोट हुआ था. इस धमाके में 13 लोग मारे गए और दो दर्जन से ज्यादा घायल हो कर अस्पताल में पड़े हैं. विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास के भवनों की खिड़कियां टूट गईं. पुलिस के मुताबिक उस कार में 3 लोग सवार थे जिन के शरीर के चीथड़े उड़ गए. यह भारत पर हुआ एक और फिदायीन हमला था, जिस को आतंकी हमला घोषित करने में मोदी सरकार को 48 घंटे का समय लग गया. जबकि पिछले पहलगाम हमले के बाद औपरेशन सिंदूर चलाने वाली मोदी सरकार ने कहा था कि अब यदि कोई आतंकी हमला भारत पर हुआ तो उसे युद्ध के रूप में देखा जाएगा और पाकिस्तान इस के लिए तैयार रहे.
हैरानी की बात यह है कि चौकीदार सरकार के तमाम चौकन्नेपन के बाद भी भारत में आतंकवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. और इस बार तो आतंकी कोई बाहर से आए लोग नहीं, बल्कि अपने ही देश के लोग है, जो पढ़ेलिखे, डाक्टर-इंजीनियर की डिग्री लिए हुए हैं और बकायदा देश के अनेक संस्थानों में कार्यरत हैं. घटना के बाद जो लोग पकड़े जा रहे हैं उन में कोई फरीदाबाद में डाक्टर है, कोई कानपुर में, कोई जम्मू-कश्मीर में तो कोई लखनऊ में. इन के घरों से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और हथियार बरामद हुए हैं. हद तो यह है कि देश में सालों से चल रहे कई मैडिकल शिक्षण संस्थानों के नाम भी आतंकवाद की पैदावार तैयार करने में सामने आ रहा है.
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