Senior Citizen : अकेले बुजुर्ग घरेलू हिंसा से ले कर आपराधिक घटनाओं तक के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में घरपरिवार, कानून और समाज सभी के लिए इन की परेशानियों का समाधान करना जरूरी हो जाता है.

उत्तरीपश्चिमी दिल्ली के नेताजी सुभाष प्लेस थाना इलाके के कोहाट एनक्लेव की 317 नंबर बिल्डिंग में रहने वाले 70 साल के मोहिंदर सिंह और उन की 68 साल की पत्नी दलजीत कौर की हत्या कर दी गई. पुलिस के मुताबिक, महिला के साथ पहले मारपीट की गई, फिर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. वहीं बुजुर्ग का आरोपियों ने औक्सीजन पाइप से गला दबाया, जिस से उन की मौत हो गई. घर का कुछ सामान बिखरा हुआ पाया गया था. देखने से लग रहा था कि हत्या के साथसाथ लूट की वारदात को भी अंजाम दिया गया.

शुरुआती जांच में पुलिस का शक परिवार द्वारा बुजुर्ग दंपती की देखरेख के लिए रखे गए नौकर पंकज और उस के साथी रवि पर गया. कोठी के अंदर मोहिंदर सिंह और उन की पत्नी की लाश बरामद हुई. लाश 2 दिन पुरानी लग रही थी. कोठी में बुजुर्ग दंपती के अलावा नौकर रहता था. दंपती का बेटा पड़ोस में ही रहता है.

फ्लैट के ठीक बराबर वाली इमारत में इन के 2 शादीशुदा बेटे चनप्रीत तलवार और मनप्रीत तलवार अपनेअपने परिवारों के साथ रहते हैं. मोहिंदर सिंह का कपड़े का बड़ा कारोबार था. एक शोरूम ज्वाला हेड़ी और दूसरा कमला नगर में है. दोनों बेटे वहां बैठते हैं. करीब 5 साल पहले तबीयत खराब रहने की वजह से मोहिंदर ने शोरूम जाना बंद कर दिया था. इन के पास दिन और रात के 2 अलगअलग नौकर रहते थे.

पुलिस को पूछताछ और छानबीन से पता चला कि कुछ दिनों पहले विक्की नाम के नाइट केयरटेकर को बुजुर्ग दंपती ने निकाल दिया था. इस के बाद नाइट केयरटेकर की जरूरत पड़ने पर बुजुर्ग दंपती ने पहले वाले ही नौकर से संपर्क किया. उसी ने ही 4 दिन पहले अपनी जगह एक नया नौकर रखवा दिया था. बेटे और बहुएं अकसर मातापिता के पास मिलने आते थे.

18 मार्च को घटना वाले दिन सुबह करीब 9.30 बजे इन का ड्राइवर भैरव कुमार मोहिंदर सिंह के फ्लैट पर पहुंचा. वह काफी देर तक डोरबैल बजाता रहा. दरवाजा नहीं खुला तो उस ने पड़ोस में रहने वाले बेटे मनप्रीत और उस की पत्नी को बताया. दोनों मातापिता के फ्लैट पर पहुंचे. दरवाजा बाहर से लौक नहीं था. अंदर पहुंचने पर मातापिता अलगअलग कमरे में फर्श पर पड़े थे. उन की नाक और मुंह से खून बह रहा था. शव भी सड़ने लगे थे.

घर का सामान भी फैला हुआ था. मामले की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे. छानबीन के बाद पुलिस को नौकर पर ही हत्या करने का शक है. घर से लाखों रुपए की ज्वैलरी, दलजीत की पहनी हुई ज्वैलरी, कैश और अन्य कीमती सामान लूटा गया था. मोहिंदर के चेहरे पर तकिया भी रखा हुआ मिला. वहीं दलजीत का गला घोंटने के अलावा उन के सिर पर लोहे की रौड से वार भी किया गया था. वारदात के बाद सोमवार सुबह करीब 5 बजे आरोपी नौकर को बड़ा बैग ले कर सोसाइटी से बाहर जाते हुए देखा गया था.

इस तरह की घटनाएं पूरे देश के बड़े शहरों में हो रही हैं. अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपती नौकरों का शिकार बन जाते हैं. मोहिंदर सिंह और दलजीत कौर का मसला अलग सा दिखता है. यहां इन के बेटे और बहुएं पास के दूसरे मकानों में रहते थे. इस के बाद भी उन का रोज का संपर्क नहीं था. मोहिंदर और दलजीत की मौत का पता 18 मार्च को चला तब तक शव सड़ने लगे थे. पुलिस ने बताया कि हत्या 2 दिन पहले की गई थी.

मांबाप की हत्या हो जाए, उस के 2 दिनों के बाद बेटेबहुओं को पता चले, यह बड़ा सवाल है जबकि आज मोबाइल कैमरे हैं, सीसीटीवी की निगरानी होती है, एडवांस कैमरे हैं जिन में सैंसर लगा होता है. मोहिंदर बिजनैसमैन थे. पैसों की कमी नहीं थी. जब वे नौकरों के हवाले थे तब सुरक्षा के लिए उन के आसपास ऐसा सीसीटीवी क्यों नहीं था जो किसी भी अनहोनी घटना के समय अलर्ट भेज सकता. दूसरा बड़ा सवाल, क्या बेटे मांबाप से एकदो दिन किसी तरह का संपर्क नहीं रखते थे, जिस से 2 दिनों बाद हत्या का पता चल सका?

जब यह बात उठती है कि बुजुर्गों का खयाल रखना पुलिस और समाज की भी जिम्मेदारी है तो पहला सवाल परिवार के ऊपर भी जाता है. जिन घटनाओं में परिवार साथ नहीं रहता, वहां अलग परेशानियां होती हैं.

आज के जमाने में जहां किसी की भी निगरानी करना सरल है वहां बच्चे अपने बुजुर्ग मांबाप के लिए इस तरह का सिस्टम क्यों नहीं बनाते कि जिस में वे 5-7 घंटे में मांबाप से बात करते रहें. बात न कर सकें तो सीसीटीवी के ऊपर नजर रख सकें जिस से किसी अनहोनी की जानकारी मिल सके. मांबाप को भी चाहिए कि वे बुढ़ापे में बच्चों के संपर्क में रहें. उन के साथ अपने संबंधों को मधुर बना कर चलें.

संकट में हैं बुजुर्ग

उत्तर प्रदेश के जालौन के कोतवाली क्षेत्र में हरदोई गूजर गांव में 65 वर्षीया विधवा महिला मुनिया की उन के घर में हत्या कर दी गई. मुनिया अपने घर में अकेली रहती थीं. उन के बड़े बेटे नेता कुशवाहा की 7 महीने पहले मृत्यु हो चुकी है. छोटा बेटा सरजू आंध्र प्रदेश में पानीपूरी का व्यवसाय करता है. घटना का पता तब चला जब दोपहर में महिला घर से बाहर नहीं निकलीं. पड़ोसियों ने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. पास के निर्माणाधीन मकान में काम कर रहे मजदूरों ने महिला को खून से लथपथ देखा. इस की सूचना भतीजे को दी.

लखनऊ के बीकेटी थाना क्षेत्र के मामपुर गांव में 65 साल की बुजुर्ग महिला रजाना की हत्या कर दी गई. पति फकीरे की मृत्यु के बाद से रजाना अकेली रहती थी. उस ने एक करोड़ 20 लाख रुपए की जमीन बेची थी. बेची गई जमीन के रुपए से उस ने रिश्ते के एक भतीजे के नाम पर बाराबंकी में जमीन खरीदी. रजाना के सगे रिश्तेदार नहीं थे. बुजुर्ग महिला की हत्या कर उस के शव को बाग में फेंक दिया गया था.

शहर हो या गांव, अकेले रहने वाले बुजुर्ग दंपती अपराधियों के निशाने पर होते हैं. कई बार ये अपनों का शिकार हो जाते हैं तो कई बार अपराधी इन की जान के दुश्मन बन जाते हैं. बुजुर्गों के प्रति अपराध की सब से बड़ी वजह उन की धनसंपत्ति होती है. लोग पैसा बुढ़ापे के लिए बचा कर रखते हैं जिस से बुढ़ापे में किसी से मदद न लेनी पड़े. यही पैसा अपने करीबी लोगों और अपराधियों की आंखों में खटकने लगता है. इसी लालच में इन की हत्या कर दी जाती है.

असहाय हो जाती है अकेली महिला

पतिपत्नी में से किसी एक की मौत तो पहले होनी ही होती है. ज्यादातर मामलों में अकेली महिला अंत में बचती है. उस के साथ घरपरिवार, बच्चे नहीं रहते. वह या तो अकेली रहती है या ओल्डएज होम में रहती है. हमारे देश में ओल्डएज होम का कोई अच्छा आधारभूत ढांचा नहीं है. सरकारी ओल्डएज होम्स में अव्यवस्था है. प्राइवेट ओल्डएज होम्स अधिक हैं. यहां पैसा तो लिया जाता है लेकिन बहुत बेहतर हालत नहीं है.

हमारे देश का समाज घर और परिवार भले ही बुजुर्गों को अपने साथ न रखे लेकिन वह सामाजिक आलोचना के भय से उन को ओल्डएज होम में भी नहीं रखना चाहता है. ऐसे में बुजुर्गों को अकेला ही जीवन काटना पड़ता है. अकेले रह रहे बुजुर्ग सब से असुरक्षित होते हैं. कई बार इन की अनदेखी घर में भी होने लगती है. कमजोर होना तो एक परेशानी है ही, याद्दाश्त का कमजोर होना सब से बड़ी परेशानी होती है.

स्वास्थ्य संबंधी खतरों से निबटने के लिए समयसमय पर दवा और जांच जरूरी होती है. बीमारी बुजुर्गों में कामकाज में बाधा डालती है. कमजोर होने से इन के प्रति दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है. इस के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, उचित देखभाल और दवाओं का सेवन आवश्यक है. बुजुर्गों में गिरने की संभावना अधिक होती है, इसलिए घर को सुरक्षित बनाना और गिरने से बचने के लिए उपाय करना चाहिए.

समाज भी उठाए जिम्मेदारी

परिवार के सदस्यों को चाहिए कि वे बुजुर्गों की नियमित गतिविधियों को पूरा करने में उन की मदद करे और उन्हें गिरने से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं. बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार बड़ी परेशानी होती है. परिवार के लोगों के संपर्क और साथ में रहते समय इस का ध्यान रखना चाहिए. कानून बुजुर्गों की मदद के लिए कहता रहता है. कई कानून भी बने हैं. बुजुर्ग कानून और पुलिस की मदद जरूरत पड़ने पर ले सकते हैं.

बुजुर्गों को चाहिए कि वे सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने की कोशिश करें. दूसरों से संबंध बनाने के लिए खुद पहल करें. वे वृद्धाश्रम, सामुदायिक केंद्र और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लें. सरकार बुजुर्गों को एक हजार रुपए प्रतिमाह पैंशन देती है. यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान होती है. बुजुर्गों को सरकार द्वारा चलाई जा रही दूसरी सहायता स्कीमों का भी फायदा लेना चाहिए. जब तक उन का अपना शरीर ताकत दे तब तक छोटेमोटे काम अपनी खुशी के लिए उन्हें करने चाहिए. बुजुर्गों के सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए समाज को उन की देखभाल और सुरक्षा के लिए मिल कर काम करना चाहिए.

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