Rahul Gandhi : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को खूब खरीखरी सुनाई. उन्होंने साफसाफ कहा कि उन में से आधे भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं और यही वजह है कि विपक्ष 40 फीसदी वोट पा कर भी कमजोर और बिखरा हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे तथाकथित कांग्रेसियों को निकाल बाहर किया जाएगा.

वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने अपनी पार्टी की कमजोरी तो पकड़ ली लेकिन वे यह साफ नहीं कर पाए कि कांग्रेस ऐसा कौन सा करिश्मा करेगी जो भारतीय जनता पार्टी नहीं कर सकती.

हर व्यापार की तरह पौलिटिक्स के बिजनैस में भी एक पार्टी दूसरी पार्टी के एजेंडे की चोरी करती है और दिल्ली विधानसभा चुनावों में यह एकदम स्पष्ट हुआ जब अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली, बस यात्रा, कैश सहायता, मुफ्त सा इलाज जैसी नीतियों को भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने दोहरानी शुरू कर दीं.

नतीजा यह हुआ कि जिस पार्टी के पास ज्यादा कमिटेड वर्कर थे वह जीत गई. आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को मुगलकालीन विरोधियों को सताने की नीति की तरह भाजपा की केंद्र सरकार ने जेल में डाल दिया, बिना सुबूत के, केवल एक अभियुक्त के बयान के आधार पर जिसे उस ने ईडी को 7वीं-8वीं जिरह में तब दिया था जब उसे केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों की तरफ से कोई छूट मिलने वाली थी. अपने नेताओं के जेल में डाल दिए जाने से आप के कार्यकर्ता कमिटेड नहीं रह पाए, जिस का फायदा भाजपा को मिला.

गुजरात में कांग्रेस के पास कुछ अलग करने की बात कहने के लिए है क्या? गुजरात ही नहीं, अन्य राज्यों में जनता से कांग्रेस ऐसा कौन सा वादा कर सकती है जो भाजपा नहीं कर सकती? केवल संविधान की किताब लहरा कर भगवे झंडे की लहर का मुकाबला नहीं किया जा सकता.

गुजरात हो या कोई और राज्य, कांग्रेस को साफ कहना होगा कि वह सिर्फ मंदिरों की पार्टी नहीं है, वह जनता की पार्टी है. भाजपा मंदिर नहीं छोड़ सकती. कांग्रेस को जनता को समझना होगा कि मंदिर ही सामाजिक भेदभाव की जड़ हैं. उन्हीं से वे जहरीली हवाएं निकलती हैं जो न केवल धर्म के नाम पर बंटवारा करती हैं बल्कि जातियों के नाम पर भी बंटवारा करती हैं.

राहुल को देश के मतदाताओं को यह भी समझना होगा कि संविधान आदमी और औरत में कोई भेद नहीं करता जबकि मंदिर, मसजिद, चर्च आदि सभी अपने धर्म में, अपनी ही जाति में औरतों को जन्म से कमजोर और पुरुष के पैर की जूती मानते हैं. भाजपा मंदिरों को चलाती है और वह जातिवादी बंटवारे को बढ़ाने/फैलाने के साथ सवर्ण औरतों को कमजोर करना चाहती है.

कांग्रेसी सरकारों ने, कट्टरपंथी हिंदुओं के बयानों के मुताबिक, मुसलिमों को सिर पर चढ़ा रखा था और मोदी, योगी की सरकारों ने उन्हें सही ठिकाने पर लगाया है. कांग्रेस को खुलेआम कहना होगा कि वह हर कमजोर के साथ है और मंदिर, मसजिद, चर्च की धौंस के खिलाफ है.

जब तक कांग्रेस में यह हिम्मत नहीं आएगी, उस में वे लोग आते रहेंगे जो टोपी तो कांग्रेसी पहनेंगे पर दिल से धर्म की भेदभाव की साजिशों के पक्षधर हैं.

धर्म चाहे लोगों को 2,000 से ज्यादा वर्षों से पूरी तरह नियंत्रित कर रहा हो लेकिन अब नई वैज्ञानिक शिक्षा ने उन्हें धर्मजंजाल से निकलने का अवसर दिया है. पिछले 100 सालों में धर्म का प्रभाव कम हुआ था. लेकिन अब रूस में व्लादिमीर पुतिन, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और भारत में नरेंद्र मोदी के आने पर इन 3 बड़े देशों में धर्म को नई जान मिली है. पंडेपुजारी, पादरी एक बार फिर मजबूत हुए हैं, वे सत्ता में आ गए हैं. इसलामिक देशों में तो कभी भी वैज्ञानिक सोच आई ही नहीं थी. वहां न सिर्फ औरतें बल्कि आदमी भी धर्म और धर्म को चलाने वाले शासकों के गुलाम रहे हैं.

कोई भी समाज धर्म के साए में प्रगति नहीं कर सकता, कांग्रेस के राहुल गांधी शायद यह समझते हों क्योंकि उन का परिवार मिश्रित धर्मों से आया. उन की दादी ने पारसी से शादी की तो पिता ने ईसाई से. राहुल गांधी हिंदू हैं हालांकि भाजपा के कुप्रचार के चलते उन्हें अपने को हिंदू होना जताने के लिए देशवासियों के सामने खुलेतौर पर मंदिरों के चक्कर लगाने पड़े. अब वे लगातार कर्म कर रहे हैं और कर्म करते रहने की बात कह भी रहे हैं. आज वे उस स्थिति में हैं कि जब वे भारतवासियों को धर्म के दलदल से निकाल सकते हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने ही नहीं बल्कि लगभग सभी दूसरे दलों ने भी कुंभ के कीचड़ में डुबकी लगा कर साबित कर दिया है कि उन की नीति धर्म की चालबाजी, चतुराई, कथित चमत्कारी, चिड़चिड़ी और सदियों से चली आ रही सड़ीगली मान्यताओं पर टिकी है, संविधान के नैतिक, तार्किक, व्यावहारिक या वैज्ञानिक आधार पर नहीं.

गुजरात एक नमूना हो सकता है हालांकि वहां कोई नैतिकता की खेती कभी हुई, ऐसा लगता नहीं. दक्षिण के तमिलनाडु के अलावा अंधविश्वास का सार्वजनिक विरोध कहीं नहीं हो पाया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...