BPSC Exam : प्रतियोगी परीक्षाएं छात्रों के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं. फौर्म भरने से ले कर परीक्षा देने तक छात्र कई दिक्कतों से जूझते हैं.
संघ लोक सेवा आयोग यानि यूपीएससी ने एनडीए नैशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी एग्जाम 2024 के लिए नोटिस दी. एग्जाम नोटिस नवंबर 3 /2025- एनडीए-1 में परीक्षा के बारे में 109 पेज का एक फौर्म बनाया. इस में परीक्षा कैसे दें, कितने नंबर के सवाल हैं जैसी तमाम चर्चा की गई थी. 109 पेज पढ़ कर उस को परीक्षा का फार्म भरना था. परीक्षा फौर्म भरने से ले कर सवालों के जवाब भरने तक एक लंबी प्रक्रिया होती है, जिस में एक भी गड़बड़ी होने का मतलब होता है पूरी परीक्षा का रद्द हो जाना.
अधिकतर परीक्षाओं में नाम, रोल नंबर और डिटेल को लिखना नहीं होता है, इस की जगह पर केवल गोले में काले रंग के बौलपेन से भरना होता है. ऐसे में एक भी गोला गलती से काला हो गया तो पूरा पेपर रिजैक्ट हो जाता है. इन परीक्षाओं के पेपर कंप्यूटर के जरिए जांचे जाते हैं. ऐसे में वह काले गोले के जरिए ही पेपर और बाकी डिटेल की जांच करता है. एक गोले के गलत होने से पूरा पेपर रद्द कर दिया जाता है. इसलिए परीक्षा का फार्म लंबाचौड़ा 109 पेज तक का हो जाता है.
सरल किया जाएं फौर्म भरना
नैशनल डिफेंस एकैडेमी और नेवल एकैडेमी एग्जाम 2024 के 109 पेज को देखें तो पता चलता है कि किसकिस तरह से परीक्षा फार्म भरना सिखाया जाता है. पहले प्वाइंट पर लिखा है कि कैंडिडेट यह जांच लें कि वह परीक्षा के लिए योग्यता रखता है या नहीं? जो योग्यता रखता है वही आगे फौर्म भरे. इस के बाद कैसे अप्लाई करें. रजिस्ट्रेशन प्रोफाइल में 7 दिनों तक कोई बदलाव किया जा सकता है. फार्म भरने में कोई गलती न हो इस के लिए इतनी बारीक जानकारियां दी जाती हैं. इसलिए पहली जरूरत है कि फौर्म भरना सरल किया जाए, जिस से गलती की संभावना कम हो सके.
फौर्म भरना कठिन होने से कोचिंग संस्थाएं और कंप्यूटर सेवा केंद्र जैसे बिचौलियों की चांदी हो जाती है. यह लोग फौर्म भरवाने का पैसा लेते हैं. बहुत सारे ऐसे बच्चे भी हैं जिन के पास अपने कंप्यूटर नहीं हैं. ऐसे में वे कंप्यूटर सेवा केंद्र का सहारा लेते हैं. ये लोग फौर्म भरने का 100 रुपए से ले कर 500 रुपए तक की फीस लेते हैं. अब सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का फौर्म कंप्यूटर पर भरना पड़ता है. इस में गलती सुधारने का समय होता है. समय निकल जाने के बाद सुधार की गुजांइश खत्म हो जाती है.
परीक्षा केंद्र दूर और अव्यवस्थित
आज के दौर में हर परीक्षा में लाखोंलाख छात्र बैठते हैं. ऐसे में परीक्षा आयोजन के लिए बने केंद्र बड़ी दूरदूर होते हैं. परीक्षा का फौर्म भरते समय छात्र से पूछा जाता है कि वह अपने पसंद के शहर का नाम बताएं. उसे क्रमवार 3 से 5 शहरों के नाम बताने होते हैं. परीक्षा आयोजन करने वाले संस्थान कोशिश करते हैं कि छात्र की पसंद का शहर मिल जाए. आमतौर पर पंसद का शहर मिल जाता है. हर शहर में कई सेंटर ऐसे होते हैं जो काफी दूर होते हैं. ऐसे में सुबह 8 बजे परीक्षा सेंटर पर पहुंचना कठिन होता है.
तमाम छात्र रात में ही रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन या फिर किसी पार्क में ही पहुंच कर रूक जाते हैं. इन में लड़केलड़कियां सभी होते हैं. कई परीक्षा केंद्र ऐसे स्थानों पर होते हैं जहां संकरी गलियां और सड़कें होती हैं. उन में 1 से 2 हजार छात्र पहुंच जाते हैं तो अव्यवस्था हो जाती है.
22 दिसंबर को एआईबी यानी औल इंडिया बार काउंसिल की परीक्षा थी. लखनऊ के ब्राइट कावेंट कालेज और गर्ल्स कालेज में सेंटर था. यह दोनों कालेज ठाकुरगंज में संकरी सड़कों पर बने थे. ऐसे में कुछ छात्र अपने वाहनों से आए थे. सड़क जाम हो गई. छात्रों का सेंटर तक पहुंचना मुश्किल हो गया. कालेज के सामने वाली रोड मुश्किल से 12 फुट चौड़ी थी. जिस में छात्र और उन के पेरैंट्स का चलना मुश्किल हो गया था. ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाता तो मुश्किल हो जाता.
परीक्षा आयोजित करने की अच्छीखासी फीस छात्रों से ली जाती है. इस के बाद भी उन की सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इस से छात्रों में नाराजगी होती है. कई बार यह नाराजगी बड़ी परेशानी बन जाती है. कुछ दिन पहले नीट परीक्षा में धांधली का मुद्दा लोकसभा और सुप्रीम कोर्ट तक गया. इस के बाद भी छात्र संतुष्ट नहीं हैं. उन को लगता है कि उन के साथ चीटिंग हुई है. अब कोई भी परीक्षा हो उस में हिस्सा लेने वाले छात्रों की संख्या लाखों होती है. इतनी बड़ी व्यवस्था करना सरल नहीं होता.
बिहार में BPSC छात्रों का आंदोलन
बिहार में 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन बीपीएससी ने किया. इस के तहत 1957 पदों का भरा जाना था. इस के लिए 5 लाख से अधिक छात्रों ने अप्लाई किया. पहले आवेदन की लास्ट डेट 18 अक्टूबर थी. परीक्षा से पहले ही नौर्मलाइजेशन को ले कर फैली अफवाह, छात्रों के प्रदर्शन और आवेदन में सामने आई कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण आखिरी डेट बढ़ा कर 4 नवंबर कर दी गई. 5 लाख आवेदनों में से 4 लाख 80 हजार छात्रों ने परीक्षा दे दी.
इस परीक्षा के तहत डिप्टी एसपी, डिप्टी कलेक्टर, सीनियर डिप्टी कलेक्टर और राजस्व अधिकारी जैसे कई पद भरे जाने थे. कैंडिडेट का सिलेक्शन प्रीलिम्स, मेंस और पर्सनाल्टी टेस्ट के आधार पर किया जाता है. परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद नौर्मलाइजेशन को ले कर सब से पहला विवाद सामने आया. इस को ले कर छात्र प्रदर्शन करने लगे. इस के बाद बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन को सफाई देनी पड़ी कि इस परीक्षा में नौर्मलाइजेशन लागू नहीं किया गया है. छात्रों ने पटना में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के औफिस के बाहर धरना देना शुरू किया.
इस में मशहूर कोचिंग टीचर खान सर भी इस में शामिल हुए. प्रशासन और पुलिस ने कोचिंग संस्थानों पर छात्रों को भड़काने का आरोप भी लगाया. 13 दिसंबर को एग्जाम हो जाने के बाद पेपर आउट होने का आरोप भी लगा. छात्रों ने परीक्षा में गड़बड़ी, प्रश्नपत्र में असमानता का आरोप लगाते हुए पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग की.
पेपर लीक के आरोप पर हंगामा बढ़ने पर आयोग ने बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा रद्द करने और उसे 4 जनवरी 2025 को उसी सेंटर पर फिर से आयोजित कराने की घोषणा कर दी. इस के लिए नए एडमिट कार्ड भी जारी किए गए. छात्र दोबारा परीक्षा आयोजित कराने की मांग करने लगे. छात्रों की बिहार के मुख्य सचिव से भी वार्ता हुई. इस के बाद भी छात्र माने नहीं. आयोग के मुख्यसचिव की तरफ से साफ कहा गया कि परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं होगी.
क्या होता है नौर्मलाइजेशन
अगर कोई परीक्षा एक ही शिफ्ट में होती है तो एक ही प्रश्नपत्र सभी छात्रों के लिए होता है इस को ही नौर्मलाइजेशन कहते हैं. मगर कोई परीक्षा एक से ज्यादा शिफ्ट में होती है तो विभिन्न शिफ्टों में परीक्षा देने वाले छात्रों को अलगअलग प्रश्नपत्र दिए जाते हैं. नौर्मलाइजेशन सिस्टम के द्वारा यह अनुमान लगाया जाता है कि कोई पेपर कितना सरल और कितना मुश्किल होता है. इस के अनुसार ही मार्क्स तय किए जाते हैं.
अगर एक शिफ्ट में छात्रों का औसतन स्कोर 100 में से 95 है और दूसरी शिफ्ट में 85 है और पाया जाता है कि दूसरी शिफ्ट का पेपर कुछ मुश्किल था तो नौर्मलाइजेशन स्कोर फार्मुले में दोनों ग्रुप के छात्रों को बराबर 90-90 स्कोर दिया जा सकता है. इस को ले कर छात्र विरोध कर रहे थे.
छात्रों का आंदोलन बढ़ने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड्गे, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, तेजस्वी यादव तक सभी नेता छात्रों के साथ खड़े हो गए. प्रशांत किशोर जैसे नेता भी छात्रों के साथ खड़े हो गए. एनडीए के घटक दलों में से चिराग पासवान भी छात्रों के साथ खड़े हो गए. यहां तक कि भाजपा के नेता भी प्रशासन के विरोध में खड़े हो गए. बिहार में इसी साल के दिसंबर में विधानसभा चुनाव हैं.
छात्र आंदोलन का प्रभाव वहां भी पड़ सकता है. केंद्र की भाजपा सरकार हो या प्रदेशों की, न तो वह रोजगार दे पा रही हैं और न ही सही से परीक्षा आयोजित करा पा रही हैं. ऐसे में युवा परेशान हैं. वह भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हैं. उत्तर प्रदेश में भी शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का सही तरह से पालन नहीं हुआ. इस का आरोप एनडीए के घटक दल ने ही लगाया. ऐसे में सरकार और युवा आमनेसामने हैं. नीट परीक्षा में धांधली के बाद नएनए सवाल दिख रहे हैं. परीक्षा के नाम पर यह खेल खतरनाक है. इस का परिणाम खराब होगा.
लेखक – शैलेंद्र सिंह