बच्चों की पहली पाठशाला उस का अपना परिवार होता है. वह अपने घर में जो देखता है वही सीखता है. इसलिए अपना व्यवहार वैसा ही न रखें जैसा आप बच्चों आप अपने बच्चों में नहीं देखना चाहते.
अगर एक पिता सड़क के बीचोबीच अपनी बाइक खड़ी कर दी, तो आप बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं. साथ ही अगर सड़क से उठा कर आपने पानी की बोतल डस्टबिन में डाली है तो आप का बच्चा भी वही करेगा. लेकिन अगर आपने सड़क पर फेंक दी तो बच्चा घर में भी वही करेगा. ये छोटीछोटी बातें बच्चे के मन में बहुत बड़ी बन जाती है. बच्चे के इर्दगिर्द जो घटनाएं हो रही हैं वह उसी से सीखता है, उसे ये नहीं मालूम कि आज मोदीजी ने अमेरिका के राष्ट्रपति से क्यों बात की. लेकिन उस के मांबाप जो उस के आसपास कर रहे हैं वह उस के लिए काफी है. मां घर आते ही पर्स फेंक कर, टीवी, एसी खोल कर पसर जाएंगी, तो बच्चों को लगेगा की पसरना घर के काम से जरूरी काम है. इस तरह आप बच्चों को गलत शिक्षा दे रहें हैं. इस के लिए जिम्मेदार मांबाप का अपना व्यवहार है. यही वजह है कि बच्चों की परवरिश में पेरैंट्स को बहुत सावधान रहने की सलाह दी जाती है. इसलिए बच्चों को अनुशासित बनाने से पहले खुद अनुशासित बनिए.
सुबह जल्दी उठें और व्यायाम करें
अपनी सुबह की शुरुआत जल्दी सो कर उठने से करें. यह नियम बना लें कि रोज सुबह जल्दी उठ कर आप वाक पर जाएंगे या फिर घर पर ही एक्सरसाइज आदि करेंगे और छुट्टी वाले दिन बच्चों को भी साथ ले कर जाएं. इस से यह चीज बच्चों के रूटीन में आ जाएगी. जब बच्चे आप को रोज एक्सरसाइज करते हुए देखेंगे तो उन्हें पता होगा के यह करना अनिवार्य है.
मेहमानों के आने पर उन का स्वागत करें : कई बार देखने में आता है कि किसी मेहमान के आने पर आप के लाख कहने पर भी बच्चे कमरे से बाहर नहीं आते और आप सब के सामने शर्मिंदा हो जाते हैं और मेहमानों के जाने के बाद बच्चों को खूब डांट पड़ती है पर क्या आपने कभी सोचा है के वे ऐसा क्यों करते हैं. दरअसल, जब मेहमान आते हैं तो आप ही उन के जाने के बाद बच्चों के सामने उन की बुराइयां करते हैं. कई बार तो बच्चों से झूठ बुलवा देते हैं कि पापा घर पर नहीं हैं. जब आप ही ऐसा करेंगे तो बच्चें उन की इज्जत क्यों करेंगे. इसलिए मेहमानों के आने पर उन से अच्छे से पेश आएं तभी आप बच्चों से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा रखें.
पेड़ पौधों की महत्व समझें फिर समझाएं : कहीं पौधें पर कोई फूल अच्छा देखा और नजर बचा कर तोड़ लेना आप की आदत तो नहीं? अगर ऐसा है तो बच्चे को भी प्रकृति से लगाव नहीं होगा. आपने घर में पौधें लगाएं, उन की बच्चों की मदद लें इस से वह भी समझेंगे की पौधें लगाना अच्छी बात है. इस से होने वाले फायदे भी उन्हें समझाएं.
बच्चों पर बेवजह गुस्सा न करें : अगर आप बच्चों से प्यार से बात करेंगे उन्हें गलती होने पर डांटने के बजाय प्यार से समझाएंगे तो बच्चों का स्वभाव भी ऐसा ही बन जाएगा. वह भी ज़िद्दी नहीं बनेंगे और मातापिता की बात सुन कर समझेंगे भी. बच्चों पर हाथ न उठाएं वरना बच्चे भी हिसंक बन जाएंगे.
कानून का पालन करें : रोड पर चलते समय अगर आप खुद नियमों और कानूनों का पालन नहीं करेंगे तो बच्चों का क्या सिखाएंगे. इसलिए सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करें ताकि बच्चों को भी इस की आदत हो.
संवेदनशील बनें : दूसरों की मदद करना, सब की मुश्किल में साथ देना, दूसरों के दुख में दुखी होना ये सब मानवीय गुण जब आप में होंगे. बच्चा आप को यह सब करते हुए देखेगा तो खुद ब खुद आप से सीखेगा और उस का व्यवहार भी ऐसा ही हो जाएगा.
सोशल मीडिया से दूर बनाएं: अपने औफिस से आने के बाद या फिर छुट्टी वाले दिन फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही न लगे रहें. याद रखें आप का जितना स्क्रीनिंग टाइम होगा उस से डबल बच्चों का मान कर चलें. अगर आप को उन का स्क्रीन देखना पसंद नहीं तो पहले खुद पर कंट्रोल करें क्योंकि वे आप को देख कर ही सीखते हैं.
अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं: बच्चे घर में हर वक्त इसलिए घुसे रहते हैं क्योंकि वे आप को ऐसा ही करते हुए देखते हैं. अपना फ्रैंड सर्कल बनाएं उन्हें और उन के बच्चों को घर बुलाएं और साथ में एन्जोए करें. चाहें तो वीकेंड्स पर बाहर घूमने जाएं. इस का फायदा यह होगा की बच्चे भी आपस में दोस्त बन जाएंगे और आप के साथसाथ उन का भी कोई सोशल सर्कल होगा.
बच्चों के साथ गेम खेलें : हर वक्त यह रोना न रोएं कि बच्चे तो सारा दिन मोबाइल में लगे रहते हैं. आप पहले खुद को देखें. आप भी तो मोबाइल में ही लगे हैं तो बच्चें भी वही सीखेंगे. बच्चों के साथ घर पर गेम खेलने की आदत डालें या फिर बाहर उन के साथ बैडमिंटन, क्रिकेट आदि गेम खेलें. इस से बच्चे मोबाइल से दूर रहेंगे और इसे बहाने सब साथ में टाइम स्पेंड कर पाएंगे.
घर के कुछ नियम बनाएं और उन का पालन करें बच्चों को बताएं के आप घर से बहार गए हैं तो खेल कर समय से घर आना है क्योंकि डिनर सब लोग साथ में ही करते हैं और सब एक दूसरे का इंतजार करते हैं इसलिए आप खुद भी इस नियम का पालन करें तभी बच्चे भी इस बात का ख्याल रखेंगे. ये नियम उन्हें समय का पाबंद और परिवार के नजदीक लाने में मदद करते हैं. साथ ही उन्हें अनुशासन भी सिखाता है.