नीट में एक लाख 50 हजार सीट्स के लिए इस बार लगभग 24 लाख छात्रों ने एग्जाम दिया. जिस तरह पूरे देश में परीक्षाओं में चल रही धांधली बड़ा मुद्दा बना हुआ है, नीट एग्जाम की गड़बड़ी ने इस मुद्दे की गरमी को बढ़ाने का ही काम किया. यही कारण था कि इन में से कुछ जागरूक छात्रों, जिन्हें आशंका थी कि बाकी संस्थाओं में हो रही धांधली के बाद यहां भी एनटीए जैसी स्वायत्तता बौडी भी फेल नजर आ रही है, ने न्यायालयों के दरवाजे खटकाए. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार और एनटीए यह मानने को ही राजी नहीं थे कि नीट एग्जाम में कोई गड़बड़ी हुई है.

नीट परीक्षा में गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही इस में परीक्षा देने वाले कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट व लोअर कोर्ट में याचिकाएं दायर करनी शुरू कर दीं. 11 जून को नीट एग्जाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि नीट यूजी 2024 रिजल्ट को वापस लिया जाए और दोबारा एग्जाम कराया जाए.

इस याचिका में कहा गया कि नीट एग्जाम में मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क दिए गए हैं और इसी वजह से 67 स्टूडैंट्स को एकजैसे यानी फुल मार्क्स 720 नंबर आए. छात्रों ने मांग की कि मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाए. कुछ छात्रों ने काउंसलिंग पर रोक लगाने और री-एग्जाम के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
इन मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिस में कोर्ट ने काउंसलिंग पर रोक लगाने और री-एग्जाम का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनटीए को नोटिस जारी किया और एक याचिका को एक दूसरी याचिका के साथ जोड़ दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है, इसलिए हमें एनटीए को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगना बनता है. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी.

13 जून को सुप्रीम कोर्ट ने नीट को ले कर तेलंगाना के अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और आंध्र प्रदेश के दा. शेख रोशन मोहिद्दीन की याचिका पर सुनवाई की, जिस में कोर्ट ने कहा, ग्रेस मार्क वाले छात्रों के लिए नीट एग्जाम दोबारा आयोजित किया जाए. 2024 की नीट यूजी परीक्षा में 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, जिसे केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस की जानकारी दी. सरकार ने बताया कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले स्टूडैंट्स को दोबारा नीट परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा. अगर कोई दोबारा नीट नहीं देना चाहता तो उस का रिजल्ट, ग्रेस मार्क्स हटा कर, जारी किया जाएगा.

नीट यूजी का परीक्षाफल आया तो इस में 67 स्टूडैंट्स को 720 में से 720 अंक मिले. दो स्टूडैंट्स को 718 और 719 अंक मिले. सारा विवाद यहीं से शुरू हुआ. एनटीए ने बताया कि 6 परीक्षा केंद्रों के 1,563 स्टूडैंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, क्योंकि वहां परीक्षा देरी से शुरू हुई थी. स्टूडैंट्स को परीक्षा देने के लिए निर्धारित समय से कम वक्त मिला था.

सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, नीट यूजी 2024 में नौर्मलाइजेशन फार्मूले का उपयोग कर के 1,563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. इन परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए निर्धारित 3 घंटे 20 मिनट का समय नहीं दिया गया था. एनटीए ने ग्रेस मार्क्स देने का फैसला दिशा पांचाल बनाम भारत संघ व अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर लिया था.

दरअसल, साल 2018 में हुई नीट परीक्षा में कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. औनलाइन परीक्षा में कुछ कैंडिडेट्स का सिस्टम देरी से लौगइन हुआ था. वहीं कुछ में प्रश्न तेजी से भाग जा रहे थे. दिशा पांचाल बनाम भारत संघ मामले में मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और जस्टिस दीपक गुप्ता की बैंच ने नीट की औनलाइन परीक्षा में परीक्षार्थियों के सवाल हल करने के लौगइन और लौगआउट की टाइमिंग के हिसाब से ग्रेस मार्क्स देने का फैसला सुनाया था.

सरकार और उस के सिस्टम को सही काम करना चाहिए. आम व्यक्ति के लिए हर बात के लिए कोर्ट जाना संभव नहीं होता. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाना हर किसी के वश का नहीं होता. वहां वकील की फीस ज्यादा होती है. यह खर्च हर किसी के वश में नहीं होता है. सरकारी संस्थाओं को मुकदमा लड़ने के लिए पैसा संस्था की तरफ से मिल जाता है. आम आदमी कैसे अपनी छोटी परेशानी को ले कर कोर्ट जा सकता है. इसीलिए संविधान ने हर संस्था की जिम्मेदारी अलग तय की है.

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